हाइलाइट्स
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OBC आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एमपी सरकार को दिया नोटिस
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पूछा- कानून पर रोक नहीं, तो OBC आरक्षण का लाभ क्यों नहीं दिया जा रहा
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एमपी के चयनित कैडिडेट्स ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई याचिका
MP OBC Reservation Supreme Court Notice: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मध्यप्रदेश सरकार से पूछा है कि जब कानून पर रोक नहीं है तो प्रदेश में अन्य पिछ़ड़ा वर्ग (OBC) को 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ क्यों नहीं दिया जा रहा है ? जस्टिस केबी विश्वनाथन और एन कोटेश्वर सिंह की अवकाशकालीन खंडपीठ ने मप्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले में अगली सुनवाई 4 जुलाई को होगी।
चयनित कैंडिडेट्स की याचिका पर सरकार को नोटिस
जबलपुर के कीर्ति चौकसे, बालाघाट निवासी निश्चय सोनवर्षे, सुनीत यादव भिंड, सत्य बिसेन बालाघाट, वीरेंद्र सिंह भोपाल, केएस परमार सीहोर, सोमवती पटेल सागर, नीमच नीलेश कुमार सहित अन्य की ओर से याचिका दायर कर बताया गया कि वे ओबीसी वर्ग के हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं में उनका चयन होने के बावजूद उन्हें नियुक्ति नहीं दी जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा
याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर वकील रामेश्वर सिंह ठाकुर ने दलील दी कि 8 मार्च 2019 को सरकार ने अध्यादेश लाकर ओबीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण निर्धारित किया था। इसी बीच मामला हाईकोर्ट पहुंच। मप्र हाईकोर्ट ने 19 मार्च 2019 को सरकार ने अध्यादेश पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि विधानसभा ने 14 अगस्त 2019 को कानून बनाकर इसे लागू कर दिया। कानून बनने के बाद अध्यादेश का अस्तित्व स्वमेव समाप्त हो जाता है। कानून पर कोई रोक नहीं है, इसके बावजूद सरकार उसे लागू नहीं कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के निर्णय पर आश्चर्य जताया
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के इस कृत्य का कारण पूछा तो सीनियर वकील ने बताया कि महाधिवक्ता प्रशांत सिंह के अभिमत के चलते राज्य सरकार ने 29 सितंबर 2022 को परिपत्र जारी कर शासकीय नियुक्तियों में 87:13 का फॉर्मूला लागू कर दिया। इसके चलते पीएससी सहित अन्य भर्तियों के 13 फीसदी पद होल्ड कर दिए गए। इन पदों पर अभ्यर्थियों का चयन तो हो गया है, लेकिन उन्हें नियुक्ति नहीं दी जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के इस कृत्य पर आश्चर्य जताया।