Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि हम बार-बार चेतावनी के बावजूद राज्य सरकारों और पब्लिक सेक्टर यूनिट्स (PSU) की बेकार याचिकाओं से परेशान हो चुके हैं। साथ ही सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मुकदमेबाजी का खर्च अफसरों को नहीं उठाना पड़ता (Supreme Court) है।
फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा
बेंच ने कहा कि हम छह महीने से कह रहे हैं। चेतावनी के बावजूद राज्य सरकारें और PSU ऐसी बेकार याचिकाएं दायर करने से नहीं मान रहे हैं। उनके काम करने के तरीके में सुधार की कमी दिख रही है। एक कर्मचारी के सर्विस केस में बेंच ने झारखंड सरकार की अपील खारिज करते हुए उस पर एक लाख रुपए का जुर्माना ठोंक दिया है। जुर्माना चार सप्ताह में चुकाना (Supreme Court) होगा।
यहां बता दें, बेंच झारखंड सरकार की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। जिसमें रांची हाईकोर्ट ने सरकार को उसके एक कर्मचारी रवींद्र गोप को बहाल करने का आदेश सुनाया था। जिसके खिलाफ झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की (Supreme Court) थी।
जुर्माने की राशि यहां होगी जमा
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जुर्माने की राशि में से 50,000 रुपए ‘सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन’ (एससीएओआरए) के लिए जमा किए जाएंगे, जिसका उपयोग प्रयोगशाला के लिए किया जाएगा। शेष 50,000 रुपए हाई कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) अधिवक्ता कल्याण कोष में जमा होंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, राज्य सरकारें और यूपीएस (UPs) इस बात की जांच करने के लिए स्वतंत्र होंगे कि कौन से अफसर ऐसी गलत याचिकाएं दायर करने के लिए जिम्मेदार हैं और वे उनसे जुर्माने की भरपाई भी कर सकते (Supreme Court) हैं।
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कर्मचारी पर लगाए गए थे 14 आरोप
रवींद्र गोपे के खिलाफ अनुशासनहीनता, कर्तव्य में लापरवाही और अपने वरिष्ठों के निर्देशों का पालन ना करने के आरोप में विभागीय जांच की गई थी और उस पर 14 अलग-अलग आरोप लगाए गए थे। दो अगस्त, 2011 के आदेश के तहत उसे सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। हाईकोर्ट गोपे को नौकरी से हटाने के आदेश से सहमत नहीं था और राज्य सरकार को उसकी नौकरी बहाली का आदेश दिया था। इसके बाद राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। जिस पर उक्त फैसला हुआ (Supreme Court) है।
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