Arvind Kejriwal: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार 7 मई यानी आज सुनवाई हुई, लेकिन उन्हें जमानत नहीं मिल सकी। अब 9 मई को अंतरिम जमानत पर सुनवाई होगी। केजरीवाल ने लोकसभा चुनाव के प्रचार के लिए अंतरिम जमानत मांगी थी।
पिछली सुनवाई में केजरीवाल के वकील का कहना था कि “अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी गैरकानूनी है।” SC ने कहा- केजरीवाल चुने हुए CM हैं, ED बोला- केजरीवाल के साथ आम लोगों जैसा व्यवहार हो।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अरविंद केजरीवाल को जमानत दिए जाने के लिए शर्तें रखीं। कोर्ट ने जमानत का विरोध कर रही ED से कहा कि चुनाव चल रहे हैं और केजरीवाल मौजूदा मुख्यमंत्री हैं।
चुनाव 5 साल में सिर्फ एक बार आते हैं। कोर्ट ने केजरीवाल से कहा कि हम आपको जमानत दे देते हैं, लेकिन आप ऑफिशियल ड्यूटी नहीं करेंगे। हम नहीं चाहते कि आप सरकार में दखल करें। अगर चुनाव नहीं होते तो अंतरिम जमानत का सवाल ही नहीं उठता था।
इस पर SG तुषार मेहता ने कहा कि हम क्या उदाहरण रख सकते हैं।
क्या दूसरे लोग मुख्यमंत्री से कम महत्वपूर्ण हैं। सिर्फ इस आधार पर कोई फर्क होना चाहिए कि वो मुख्यमंत्री हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए ईडी से कई सवाल पूछे हैं।
कोर्ट ने पूछा कि चुनाव से पहले ही केजरीवाल की गिरफ्तारी क्यों (SC to ED)
ED ने कहा हमें पता चला कि अरविंद केजरीवाल के गोवा चुनाव के दौरान 7 Star होटल में रुकने के खर्च का कुछ हिस्सा उस व्यक्ति ने चुकाया था, जिसने शराब कंपनियों से नकद पैसे लिए थे।
हम दिखा सकते हैं कि केजरीवाल ने 100 करोड़ रुपये मांगे थे। किसी भी आरोपी या गवाह के बयानों में केजरीवाल को दोषमुक्त करने वाला एक भी बयान नहीं है।
केजरीवाल केस में कैसे बढ़ गई रकम (SC to ED)
जांच एजेंसी की दलील पर जजों ने कहा कि 100 करोड़ प्रोसिड्स ऑफ क्राइम है, लेकिन घोटाले को 1100 करोड़ का बताया जा रहा है। इतनी बढ़त कैसे हुई। वहीं ईडी ने कोर्ट में केजरीवाल की याचिका का विरोध करते हुए बताया कि उनका नाम जांच के दौरान सामने आया।
कार्रवाई और गिरफ्तारी के बीच लंबा वक्त क्यों रहा (SC to ED)
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि अगर हम शुरुआत में ही केजरीवाल के बारे में पूछना और उनकी जांच शुरू कर देते तो गलत लगता केस को समझने में समय लगता है। बातों की पुष्टि करनी होती है।
इससे पहले 3 मई को जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने कहा था कि लोकसभा चुनाव को देखते हुए केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर विचार किया जा सकता है, ताकि वे कैंपेन में हिस्सा ले सकें।
वहीं, भारत राष्ट्रवादी समिति (BRS) नेता के कविता की कस्टडी भी 7 मई को खत्म हो रही है।
केजरीवाल और ED के वकील की दलीलें
दिल्ली शराब नीति मामले में केजरीवाल(Arvind Kejriwal) की गिरफ्तारी और रिमांड पर सुप्रीम कोर्ट में 3 मई को दो घंटे बहस हुई थी।
बेंच ने कहा कि मेन केस यानी जिसमें केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी और रिमांड को चुनौती दी है, इसमें समय लग सकता है।
कोर्ट ने ED से कहा- अगली सुनवाई में अंतरिम जमानत की शर्तों को भी बताया जाए।
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केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और ED की तरफ से ASG एसवी राजू ने सुप्रीम कोर्ट में दलीलें रखीं।
सिंघवी ने एक बार फिर कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री के खिलाफ कोई सबूत नहीं है और उनकी गिरफ्तारी गैरकानूनी है।
केजरीवाल ने ED के 9 समन का जवाब दिया था। जांच एजेंसी के सामने पेश न होना गिरफ्तारी का आधार नहीं हो सकता।
वहीं ED की तरफ से ASG एसवी, राजू ने केजरीवाल(Arvind Kejriwal) की गिरफ्तारी का आधार बताया। उन्होंने कहा- केजरीवाल को गिरफ्तार करने का निर्णय सिर्फ जांच अधिकारी नहीं, बल्कि एक स्पेशल जज द्वारा भी लिया गया था।
दिल्ली के CM गिरफ्तार नहीं किए जाने को लेकर हाईकोर्ट भी गए थे, लेकिन कोर्ट ने दस्तावेजों को देखने के बाद गिरफ्तारी से रोक पर दखल देने से इनकार कर दिया।
अंतरिम जमानत पर फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, हम इस पर किसी भी तरह से टिप्पणी नहीं कर रहे, हम सिर्फ यह कह रहे हैं कि अंतरिम जमानत पर सुनवाई करेंगे, यह नहीं कह रहे कि अंतरिम जमानत दे देंगे।
हम अंतरिम जमानत दे भी सकते हैं और नहीं भी। बेंच ने अरविंद केजरीवाल की वर्तमान कानूनी दुविधा को देखते हुए उनके आधिकारिक कर्तव्यों, विशेष रूप से आधिकारिक दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के संबंध में भी सवाल उठाए थे।
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AAP का LG से विवाद
अभी हाल ही में एक विवाद खड़ा हुआ था, जब दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने ‘सिख फॉर जस्टिस’ से राजनीतिक फंडिंग का आरोप लगाते हुए अरविंद केजरीवाल के खिलाफ एनआईए जांच की सिफारिश की थी।
जवाब में, AAP नेताओं ने LG की सिफारिश को अरविंद केजरीवाल की छवि खराब करने के लिए बीजेपी की रची हुई एक और राजनीतिक चाल बताया था।