रायपुर। विजन 2030 को लेकर दो दिवसीय ऑल इंडिया स्टील कानक्लेव का आयोजन राजधानी रायपुर में 25 व 26 मार्च को किया जाएगा जिसमें 15 राज्यों से लगभग 700 प्रतिनिधि और भिलाई इस्पात संयंत्र, जिंदल स्टील, टाटा स्टील, एनएमडीसी जैसी बड़ी कंपनियों के उच्च आधिकारी शामिल होंगे, सेकेंडरी स्टील मे पहली बार राष्ट्रीय स्तर का बड़ा आयोजन छत्तीसगढ़ में होने जा रहा है, जिसको लेकर छत्तीसगढ़ स्टील रिटेलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय त्रिपाठी ने बताया कि केंद्र सरकार की विजन 2030 के 300 मिलियन टन स्टील उत्पादन को हम कैसे पूरा कर सकते हैं, इन विषयों पर कानक्लेव में चर्चा की जाएगी।
कार्बन उत्सर्जन में 30-40 प्रतिशत की का भी है लक्ष्य
यहां बता दें कि भारतीय खनिज एवं धातु उद्योग 2030 के लिए साथ ही 2047 की परिकल्पना के तहत खनिज उद्योग का आह्वान किया गया है। इसके तहत वर्ष 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में 30-40 प्रतिशत की कटौती के साथ ही 2030 तक हर वर्ष 300 मिलियन टन इस्पात के उत्पादन का लक्ष्य बनाए जाने पर जोर दिया जा रहा है। जिसके तहत नई प्रौद्योगिकियों और नवोन्मेषों पर ध्यान केंद्रित किया किए जाने पर भी काम किया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक सरकार ने राजस्व साझा प्रणाली भी इसके लिए शुरू की है, जिसके अनुसार खनिजों के जल्द उत्पादन के मामले में राजस्व में 50 प्रतिशत छूट का हक दिया जाएगा।
ताकि भारत निर्यात के लिए पूरे विश्व पर प्रभाव डाल सके
बता दें कि यह सब प्रयास इसी लिए किए जा रहे हैं ताकि भारत अपने विकास, विस्तार और निर्यात के लिए पूरे विश्व पर प्रभाव डाल सके। इसके साथ ही माना जा रहा है कि जब हम 2047 में अपनी आजादी का सौंवा वर्ष मना रहे होंगे तब तक भारत पूरी शक्ति से अपने पैरों पर खड़ा हो चुका होगा। भारत के नए आर्थिक विकास के विमर्श की रचना के लिए सरकार ने स्वयं को व्यापार जगत के दूरदर्शी साझीदार के रूप में स्थापित कर लिया है। खनन और इस्पात उदयोगों में पिछले आठ वर्षों के दौरान अभूतपूर्व सुधार हुए हैं और महत्त्वपूर्ण निवेश हुआ है। पूरी दुनिया में आर्थिक, पूंजीगत और अवसंरचना विस्तार में योगदान करने वाला मुख्य घटक इस्पात ही है।