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Strawberry Farming Success Story: स्ट्रॉबेरी की खुशबू से महकी सतना की मिट्टी, किसान ने विदेशी फल को बनाया स्थानीय ब्रांड

Strawberry Farming Success Story: सतना के प्रभात त्रिपाठी ने विदेशी स्ट्रॉबेरी की 6 किस्मों की खेती कर खेती की तस्वीर बदल दी है। मात्र 2 साल में बना 35 लाख का टर्नओवर, ओडिशा तक हो रही है बिक्री, एग्रो टूरिज्म भी बढ़ा।

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Shashank Kumar
Strawberry Farming Success Story

Strawberry Farming Success Story- AI Image

Strawberry Farming Success Story: एक समय नौकरी की तलाश में निकलने वाला युवक आज स्ट्रॉबेरी की मिठास से हजारों लोगों का दिल जीत रहा है। मध्यप्रदेश के सतना जिले में शंकर नगर के रहने वाले प्रभात त्रिपाठी ने अपनी दूरदृष्टि और तकनीकी समझ से खेती को सिर्फ पेशा नहीं, बल्कि एक प्रेरणा बना दिया है। उन्होंने महज डेढ़ एकड़ जमीन से स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की थी और आज उनका सालाना टर्नओवर 30 से 35 लाख रुपए पहुंच चुका है।

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15 साल की नौकरी, फिर खेती में मिला सपना

प्रभात (Strawberry Farming Success Story) ने लगभग 15 साल तक देश की विभिन्न कृषि कंपनियों में नौकरी की। इस दौरान उन्होंने खेत, फसल, बाजार और तकनीक की गहराई से समझ विकसित की। नौकरी करते-करते ही उन्होंने खेती की नब्ज टटोलनी शुरू कर दी थी और 2023 में उन्होंने एक साहसी फैसला लिया, नौकरी छोड़कर अपने सपनों की खेती करने का।

[caption id="attachment_834747" align="alignnone" width="1121"]Strawberry Farming Success Story Strawberry Farming Success Story- AI Image[/caption]

6 विदेशी वैरायटी से बिखेरी मिठास

अपने फार्म में प्रभात ने विंटर डॉन, स्वीट सेंसेशन, पामरिटास, ब्रिलियंस, फॉर्चुना और नबीला जैसी छह विदेशी किस्मों की स्ट्रॉबेरी उगाना शुरू किया। इन किस्मों की खास बात यह है कि कुछ तो महज 30 दिनों में ही तैयार हो जाती हैं और 5 महीने तक फल देती हैं। सतना की बलुई दोमट मिट्टी में उगाई गई ये स्ट्रॉबेरी न केवल स्वादिष्ट हैं, बल्कि उत्पादन भी अधिक देती हैं।

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किराये की जमीन पर की विदेशी शुरुआत

प्रभात ने पांच एकड़ जमीन किराए पर लेकर विदेशी फल और सब्जियों की खेती को विस्तार दिया। इस दौरान उन्होंने विदेशी तकनीकों का प्रयोग करते हुए खेती को वैज्ञानिक रूप से आगे बढ़ाया। उनके अनुसार, भारतीय बाजार में विदेशी फल और सब्जियों की भारी मांग है लेकिन सप्लाई बेहद सीमित है और यही अवसर उन्होंने पहचाना।

ओडिशा तक बिक रही सतना की स्ट्रॉबेरी

प्रभात त्रिपाठी की स्ट्रॉबेरी (Strawberry Farming Success Story) आज केवल सतना और आसपास के क्षेत्रों में ही नहीं, बल्कि ओडिशा जैसे राज्यों तक पहुंच रही है। उनके फार्म से हर दिन करीब 300 किलो स्ट्रॉबेरी की पैदावार होती है। इसके साथ ही वे बीज उत्पादन में भी जुटे हैं और अन्य किसानों को भी आधुनिक किस्में उगाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

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खेती को एग्रो टूरिज्म से जोड़ा

स्ट्रॉबेरी की खेती को देखने और उसका अनुभव लेने अब लोग प्रभात के फार्म हाउस पहुंचते हैं। यहां आगंतुक खुद स्ट्रॉबेरी तोड़कर खा सकते हैं और खरीद भी सकते हैं। महाबलेश्वर जैसे एग्रो टूरिज्म डेस्टिनेशन की तर्ज पर सतना में भी यह नया अनुभव पर्यटकों को लुभा रहा है।

प्रभात की सफलता यह साबित करती है कि अगर वैज्ञानिक नजरिया, बाजार की समझ और मेहनत को साथ लाया जाए तो खेती न केवल आत्मनिर्भरता देती है बल्कि आर्थिक रूप से भी बेहद सशक्त बना सकती है। उनकी स्ट्रॉबेरी की खुशबू अब न केवल खेतों में बल्कि नए किसानों की सोच में भी फैल रही है।

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