हाइलाइट्स
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बैगा, पंडो जनजाति को राष्ट्रंपति के दत्तक पुत्र का दर्जा
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आर्थिक तंगी सुधारने नसबंदी कराना चाहती हैं महिलाएं
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अस्पीतालों में नहीं होती पंडो, बैगा महिलाओं की नसबंदी
World Family Day: विश्व परिवार दिवस पर हम आपको छत्तीसगढ़ की विशेष संरक्षित आदिवासी समुदाय की बैगा और पंडो जनजाति के बारे में बताएंगे।
ये जनजाति बहुत ही सीमित संख्या में छत्तीसगढ़ में निवास करती हैं। इन जनजाति को राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र भी दर्जा प्राप्त है, लेकिन इनकी दुर्दशा और आर्थिक तंगी में तमाम योजनाओं के बाद भी कोई सुधार देखने को नहीं मिलता है।
आज भी ये परिवार (World Family Day) आर्थिक तंगी का शिकार हैं। इन समुदायों के पास अपने जीवन यापन के लिए केवल वन ही सहारा होता है।
हम आपको बताते हैं कि इन बैगा, पंडो समुदाय की संख्या बढ़ाने के लिए छत्तीसगढ़ में नसबंदी पर लोक लगा दी गई है। इन जनजाति के महिला पुरुष की नसबंदी किसी भी अस्पताल में नहीं की जाती है।
ऐसे में इन समुदाय में परिवार (World Family Day) तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन इनकी संख्या में बढ़ोतरी के साथ-साथ आर्थिक तंगी और जीवन यापन करना इनके लिए मुश्किल होता जा रहा है।
सरकार को इन समुदायों के संरक्षण के साथ-साथ इन्हें जीवन यापन के लिए पर्याप्त मात्रा में सुविधाएं उपलब्ध कराना चाहिए। ऐसा कहना है बैगा समुदाय के लोगों का।
वहीं बैगा समुदाय की महिलाएं अपनी नसबंदी कराना चाहती है ताकि परिवार आर्थिक तंगी से न जूझें और वे भी स्वस्थ रहें।
आइए जानते हैं विश्व परिवार दिवस (International Day of Families) पर किन परेशानियों से गुजर रही इस समुदाय की महिलाएं-
नहीं की जाती नसबंदी
बता दें कि देश में सरकार को बढ़ती आबादी की चिंता सता रही है। केंद्र सरकार बढ़ती जनसंख्यां को रोकने के लिए कई तरह की योजनाएं व जागरूकता कार्यक्रम चला रही हैंं।
इधर छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में बैगा जनजाति समुदाय की महिलाएं अपने स्वास्थ्य और परिवार (World Family Day) की आर्थिक तंगी सुधारने नसबंदी कराना चाहती है, लेकिन उनकी नसबंदी नहीं की जाती है।
बैगा आदिवासी समुदाय की महिलाएं नसबंदी (Women Vasectomy) कराने के लिए अस्पंतालों के चक्कर भी काटती हैं, लेकिन उनकी नसबंदी नहीं की जाती है।
इनके दर्द को सुनने वाला कोई नहीं
बता दें कि केंद्र सरकार (Central govt) के साथ-साथ राज्य सरकार भी जनसंख्या नियंत्रण के लिए कई तरह के जागरूकता कार्यक्रम चला रही है, लेकिन ये जागरूकता कार्यक्रम बैगा, पंडो जनजाति के साथ ही प्रदेश की सात जनजातियों पर लागू नहीं होता।
इन समुदाय की महिला-पुरुषों की नसबंदी (Male and Female Sterilization) नहीं की जाती है। कवर्धा जिले में निवासरत संरक्षित बैगा जनजाति की महिलाओं की नशबंदी नहीं होने से परेशान हैं।
बता दें कि इस समुदाय में कम उम्र में ही शादी हो जाती है और समय से पहले अधिक बच्चे पैदा होते हैं।
जिसके चलते ये महिलाएं परेशान हैं, ये लोग भी चाहते हैं इनकी भी नसबंदी हो, परन्तु इनके दर्द को सुनने वाला कोई नही है।
बच्चों की परवरिश मुश्किल
बता दें कि पंडो, बैगा आदिवासी जंगलों में जीवनयापन करते हैं। बैगा आदिवासी महिलाओं की शादी कम उम्र में हो जाती है और 25-30 साल की उम्र में 4-5 बच्चे हो जाते हैं, जिसके कारण बच्चों की परवरिश ठीक से नहीं कर पाते हैं।
पढ़ाई लिखाई और अच्छे कपड़े नहीं खरीद पाते हैं, जिसके चलते गरीबी भी बढ़ते जा रही है। बैगा समुदाय की महिला रमिया बाई का कहना है कि हम अस्पताल में जाते हैं तो हमारी नसबंदी ऑपरेशन नहीं होता है।
हमारी कम उम्र में ही शादी हो जाती है और बच्चे कम उम्र में ही चार से पांच हो जाते हैं। इसस परिवार में भी गरीबी बढ़ती जा रही है।
राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र का दर्जा
विश्व परिवार दिवस (Global Family Day) पर हम इन समुदायों की बात कर रहे जिन्हें दत्तक पुत्र का दर्जा प्राप्त है। छत्तीतसगढ़ के वनांचल क्षेत्रों में बसे पंडो, बैगा आदिवासी समाज को राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र का दर्जा प्राप्त है। यह छत्तीसगढ़ की विशेष संरक्षित जनजाति है।
इसके चलते राज्य और केंद्र सरकार के द्वारा इनके संरक्षण के लिए भी कई तरह की योजनाएं भी चलाई जा रही हैं।
सुविधाओं के बीच कमी
बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार ( Chhattisgarh Govt) बैगा आदिवासियों के लिए कई योजनाएं संचालित कर रही है, ताकि इन आदिवासियों को किसी तरह की परेशानी न हो।
जबकि बैगा आदिवासी महिलाओं का कहना है उनका भी नसबंदी हो और बच्चे (World Family Day) कम होने से बच्चों को अच्छा परवरिश किया जा सके, लेकिन इन समुदाय की महिलाओं की अस्पताल में नसबंदी के ऑपरेशन नहीं किए जा रहे हैं।
इस कारण से नहीं हो रही नसबंदी
छत्तीसगढ़ में बैगा आदिवासियों की नसबंदी पर बैन लगा है, ऐसे में बैगा आदिवासी महिला चाहती हैं, उनका भी नसबंदी हो, परन्तु सरकार अनुमति नहीं देती है।
इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जासयवाल ने कहा कि इस संबंध में विस्तार से जानकारी लेकर आगे की कार्रवाई की जाएगी। संरक्षित समुदाय के लिए क्या नियम है।
कम शिक्षित है समुदाय
बैगा समुदाय (World Family Day) बहुत कम पढ़ा-लिखा समुदाय है। जिसमें सबसे कम महिलाएं पढ़ी लिखीं हैं। इसके कारण जागरूकता की कमी है।
ऐसे में देखने में आता है कि स्वास्थ्य विभाग इस समुदाय के लिए कितना भी दावा करें, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ ओर ही है।
बहुत कम संख्या की संरक्षित जनजाति
छत्तीसगढ़ राज्य में विशेष संरक्षित 7 जनजाति की आबादी (World Family Day) करीब सवा दो लाख हैं। इसमें सबसे कम जनसंख्या बिरहर की पांच हजार के करीब है।
अबूझमाड़ियों की संख्या लगभग 30 हजार व बैगा की 80 हजार है। वहीं, पहाड़ी कोरवा 5 हजार के करीब हैं। वहीं पंडो जनजाति की जनसंख्या 30 हजार के आसपास है।
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ऑपरेशन पर लगा है बैन
कवर्धा सीएमएचओ डॉ. बीएल राज का कहना है कि कवर्धा जिले समेत प्रदेश में संरक्षित बैगा जनजाति की महिलाओं का बच्चेदानी का ऑपरेशन पूरी तरह बैन है।
संरक्षित जनजाति होने के कारण टीटी ऑपरेशन नहीं होता है। कोर्ट का कोई आदेश की जानकारी नहीं है मुझे। मेरी जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ में ऑपरेशन बंद है।