World Tiger Day 2024: आज पूरा भारत देश विश्व बाघ दिवस मना रहा है। बाघों के संरक्षण के प्रति लोगों में जागरूक करने 29 जुलाई को हर साल अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है।
इस दिन हम सब वन्य जीव का संरक्षण करने प्रण लेते हैं, जबकि दूसरी ओर हम जंगलों का दोहन भी तेजी से कर रहे हैं। हालत यह है कि अब बाघ शहरों और गांवों की ओर रुख करने लगे हैं।
यह मीडिया रिपोर्ट्स (World Tiger Day 2024) में पढ़ने और देखने को मिल जाता है, लेकिन वन्य प्राणी संरक्षक संगठनों, विशेषज्ञों की माने तो हम हमारे विकास के लिए, हमारी आमदनी बढ़ाने के लिए तेजी से जंगल की ओर बढ़ रहे हैं। लगातार जंगल काटे जा रहे हैं। इससे बाघ शहरों की ओर रुख कर रहे हैं।
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ (World Tiger Day 2024) राज्य में बाघों के मूवमेंट की बात करें तो ये वन अभ्यारण्य वाले क्षेत्रों में तो घूमते ही हैं। ये आसपास के इलाकों के गांवों और शहरों की ओर भी मूव कर जाते हैं। इसके चलते कई बार ग्रामीणों पर बाघों ने जानलेवा हमला भी कर दिया है। वहीं मध्य प्रदेश के बुदनी इलाके के जंगल की बात करें तो यहां हर साल बाघ ट्रेन हादसे का शिकार हो जाते हैं।
देश में बढ़ी बाघों की संख्या
अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस (World Tiger Day 2024) के मौके पर देशभर में बाघों की संख्या की बात करें तो इसमें बहुत तेजी से इजाफा हुआ है। सरकार के द्वारा पिछले साल जो आंकड़े जानी किए गए थे।
उनके अनुसार भारत में 2022 में बाघों की संख्या 3,682 थी, इसमें हर साल औसतन 6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वहीं हमारा देश पूरे विश्व में बाघों की कुल आवादी का 75 प्रतिशत वाला देश बन गया हैं। पूरे विश्व के बाघों में हमारे देश में सबसे ज्यादा आबादी बाघ की है। देश में हर चार साल में तैयार की जाने वाली रिपोर्ट्स के अनुसार 3167 बाघ से ज्यादा हैं। पिछले आंकड़े वर्ष 2022 में जारी किए गए थे।
मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा बाघ
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण (World Tiger Day 2024) प्राधिकरण (एनटीसीए) के अनुसार देश में ज्यादातर 3925 बाघ विचरण कर रहे हैं। इनकी औसत संख्या 3,682 सामने आई है। 2022 के आंकड़ों के मुताबिक चार वर्षों में 50 प्रतिशत की वृद्धि के साथ, मध्य प्रदेश ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है।
देश में बाघों की सर्वाधिक संख्या (785) मध्य प्रदेश में है। इसके बाद कर्नाटक स्टेट में (563) बाघ हैं। उत्तराखंड (560) और महाराष्ट्र (444) औसत बाघों की संख्या है।
जानें पीएम मोदी ने बाघ के लिए क्या कहा ?
29 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस (World Tiger Day 2024) से एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार 28 जुलाई को मन की बात (Mann Ki Baat) कार्यक्रम में बाघों के संरक्षण पर जोर दिया।
उन्होंने उनके संरक्षण की बात कही। पीएम ने कहा सोमवार को दुनिया भर में टाइगर डे सब मनाएंगे। भारत में तो बाघ हमारी संस्कृति का सबसे अभिन्न हिस्सा है। हम सब बाघों से जुड़े किस्से-कहानियां सुनकर ही बड़े हुए हैं।
गांव के लोग तालमेन से रहते हैं
पीएम मोदी ने कहा कि जंगल के आसपास के गांव में हर किसी को जानकारी रहती है कि बाघ (World Tiger Day 2024) के साथ तालमेल बिठाकर किस तरीके से रहना है। इस तरह के गांव हमारे देश में काफी हैं। जहां मानव और बाघों के बीच कभी टकराव के आलात निर्मित नहीं होते हैं। जहां ऐसे हालात निर्मित होते हैं, वहां बाघों के संरक्षण को लेकर विशेष प्रयास किए जा रहे हैं।
2010 में हुई थी बाघ दिवस की शुरुआत
बता दें कि इंटरनेशनल टाइगर डे (World Tiger Day 2024) की शुरुआत साल 2010 में की गई थी। रूस में एक टाइगर समिट आयोजित की गई थी, जिसमें बाघ संरक्षण पर सभी बाघ रेंज वाले देशों ने चर्चा की थी।
इसी सम्मेलन में हर साल 29 जुलाई को इंटरनेशनल बाघ दिवस मनाने का निर्णय लिया गया है। बाघ न सिर्फ भारत का राष्ट्रीय पशु है बल्कि, दुनिया के करीब 75 प्रतिशत बाघ हमारे देश में निवास करते हैं।
इसलिए टाइगर डे का महत्व जरूरी
इंटरनेशनल बाघ डे (World Tiger Day 2024) का सबसे प्रमुख उद्देश्य घट रही बाघों की संख्या में बढ़ोतरी के लिए जरूरी कदम उठाना है। इसके लिए विभिन्न आयोजनों के माध्यम से बाघों के प्रति जागरुकता फैलाने का काम किया जाता रहा है।
इस दौरान सरकारी और गैर-सरकारी संगठन बाघ संरक्षण के प्रयासों को बढ़ावा देते रहे हैं। बाघों की घटती संख्या के कारणों की बात करें तो उनकी खाल, हड्डियों और अन्य अंगों की मांग बाजार में बहुत ज्यादा है, इसके चलते इनका अवैध शिकार किया जाता है।
वहीं जंगल भी लगातार कम हो रहे हैं। इसी वजह से बाघ पास की बस्तियों और इलाकों पर हमले करने लगे हैं। अनुकूल वातावरण न होने के कारण इसका असर बाघों के जीवन यापन पर पड़ रहा है।
देश में ऐसे तैयार हुआ प्रोजेक्ट
हमार देश में टाइगर प्रोजेक्ट (Project Tiger In India) की शुरुआत 1973 में की गई थी। इसका उद्देश्य देश में बाघों की संख्या में बढ़ोतरी करना था। इसके लिए उनके आवासों की सुरक्षा करना था। इस परियोजना (World Tiger Day 2024) के चलते कई टाइगर रिजर्व बनाए गए। साथ ही बाघ संरक्षण को लेकर कई विशेष नीतियां तैयार की गईं। भारत में अभी कुल 54 टाइगर रिजर्व हैं।
3700 वर्ग किमी से ज्यादा जंगल कम
छत्तीसगढ़ में प्रतिवर्ष करोड़ों पौधों के लगाए जाते हैं। इसके बाद भी छत्तीसगढ़ (World Tiger Day 2024) में लगातार जंगल कम हो रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में लगातार पौधरोपण करने और वन संरक्षण के प्रति जागरूकता लाने के बाद भी पिछले बीस साल में लगभग 3700 वर्ग किमी जंगल कम हो गया है।
छत्तीसगढ़ के क्षेत्रफल की बात करें तो यहां के कुल क्षेत्रफल में से लगभग 44.21 प्रतिशत में जंगल है। जिसमें अब लगातार कमी आने लगी है।
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मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा जंगल
केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु मंत्रालय के द्वारा एक रिपोर्ट जारी की गई थी। देश के वनावरण (World Tiger Day 2024) की इस रिपोर्ट में जंगलों में पेड़ों का दायरा उनकी संख्या में बढ़ोतरी हुई है।
इस रिपोर्ट के अनुसार 2021 तक के आंकड़े बताते हैं कि वनावरण का दायरा 721 वर्ग किलोमीटर तक बढ़ गया है। पूरे देश में सबसे अधिक वनावरण या जंगल क्षेत्रफल वाले राज्यों में मध्य प्रदेश सबसे ऊपर है। वहीं पूर्वोत्तर में वन लगातार कम हो रहे हैं।
पूर्वोत्तर राज्यों में कम हुए वन
भारत वन स्थिति की रिपोर्ट के अनुसार देश में भौगोलिक क्षेत्रफल का 21.71% वनावरण (World Tiger Day 2024) का है। वहीं केंद्र सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक 713789 वर्ग किमी वन क्षेत्र हमारे देश में हैं।
लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार कुछ सालों में पूरे देश में वृक्षावरण का दायरा 721 वर्ग किमी बढ़ा है। इधर हैरानी की बात यह है कि पूर्वोत्तर के कई राज्य में जंगलों का दायरा कम होता जा रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार अरुणाचल प्रदेश में 2019 में जहां 66688 वर्ग किमी जंगलों का हिस्सा था। वह नई रिपोर्ट में 66431 वर्ग किमी रह गया। इसी तरह मणिपुर में 16847 वर्ग किमी जंगल था। नई रिपोर्ट में घटकर 16598 वर्ग किमी रह गया।
मेघालय में जंगलों का हिस्सा 17119 वर्ग किमी का था जो 17046 वर्ग किमी में सिमट गया। इसी तरह मिजोरम में 18006 वर्ग किमी के जंगलों का हिस्सा घटकर 17820 वर्ग किमी रह गया। नागालैंड में 12486 वर्ग किमी का वनावरण कम होकर 12251 वर्ग किमी पर आ गया। असम में 28327 वर्ग किमी के जंगलों का दायरा 28312 किमी का रह गया।