Soyabean Ki Kheti: एमपी में किसानों ने खरीफ के लिए तैयारी शुरू कर दी है. इस दौरान मौसम विभाग से भी अच्छी खबर सामने आई कि इस बार मानसून जल्दी आ जाएगा और बारिश भी सामान्य होगी. ऐसे में एमपी समेत कई राज्यों में सोयाबीन की फसल को लेकर किसान विचार कर रहे हैं.पूरे देश में एमपी ऐसा प्रदेश ऐसा सोयाबीन का सर्वाधिक उत्पादन मध्य प्रदेश में होता है.
इसके अलावा राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना में भी बड़े स्तर पर सोयाबीन की खेती की जा रही है.इसके साथ ही किसान उन्नत किस्में (Soybean Variety) तलाश कर रहे हैं. आज ऐसी ही कुछ बेहतर और अधिक पैदावार वाली किस्मों के बारे में हम बता रहे हैं.
पिछले कुछ सालों कमी आई
खरगोन कृषि अनुसंधान केंद्र में के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक आरके सिंह कहा कि पिछले कुछ सालों में सोयाबीन के उत्पादन में कमी आई है. इसकी दो मुख्य वजह हैं. पहली मौसम का बिगड़ना और दूसरा किसान खेती में पूरी तकनीक नहीं अपना रहे हैं. इस बार अच्छी बारिश होने के आसार हैं. अगर किसान तकनीक सही प्रयोग करें तो सोयाबीन की फसल अच्छा मुनाफा दे सकती है.
इन बातों का ध्यान रखें
सोयाबीन की खेती के लिए इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है. जिस खेत में सोयाबीन की खेती कर रहे हैं ध्यान रखें कि उसमें पानी न भरता हो. इसके अलावा किसानों को 20 जून से 30 के आस पास ही बुआई करना चाहिए. बुआई के लिए कम से कम 100 mm या चार इंच बारिश होने का इंतजार करें.
ब्रॉड बेड फरों (BBF) या रिज एंड फरों (पूर्ण नाली पद्धति) तकनीक से ही खेती करने की कोशिश करें. किसानों के पास अगर गोबर खाद उपलब्ध है तो 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर गोबर खाद अंतिम भखरनी के समय खेत में डाल दें. रासायनिक खाद को बुआई के समय प्रति हेक्टेयर 25 किलो नाईट्रोजन, 60 किलो फास्फोरस, 40 किलो पोटास और 20 किलो सल्फर जरूरी है.
Soyabean Top variety 2024
सोयबान में तीन प्रकार के बीज आते हैं. 60 दिन में पकने वाली किस्म साठिया कहलाती है. वहीं कुछ किस्मों के पकने में मध्यम समय लगता है. 2024 के खरीफ सीजन में सोयबीन की ये किस्तें अच्छा रिटर्न दे सकती हैं.
जेएस 9560, जेएस 335, जेएस 9305 जैसी अन्य वैरायटी की किस्में बेहतर मानी जा रही हैं. अगर किसान 2021, 2022, 2023 में आई नई किस्मों को अपनाते हैं तो वे 20 प्रतिशत तक अधिक उत्पादन ले सकेंगे.
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New Soyabean Best variety 2024
जल्दी पकने वाली किस्मों में JS 2034, JS 9560, RBS 18, एनआरसी 131, एनआरसी 152 प्रमुख हैं. ये सभी किस्में 85 से 90 दिन में पककर तैयार हो जाती हैं. वहीं मध्यम समय वाली किस्में RBS 2001/4, जेएस 2079, जेएस 20954, NRC 150, NRC 151 किस्म हैं. ये सभी किस्म 95 से 96 दिनों में पक जाती हैं.
वहीं देरी से पकने वाली किस्मों में NRC 136, NRC 142, RBSM 2011/35, RBS 76, जीएसबी 116 आदि शामिल हैं. इन किस्मों को पकने में 100 से 110 दिन लगते हैं. बता दें की जल्दी पकने वाली किस्में प्रति हेक्टर 18 से 20 क्विंटल और मध्यम और देरी से पकने वाली किस्में 21 से 22 क्विंटल तक उत्पादन दे सकती हैं.