नई दिल्ली। टेक्नोलॉजी के Solar Storm इस युग में आप किसी भी काम की कल्पना इंटरनेट के बिना नहीं कर सकते हैं। पर क्या आपने कभी सोचा है कि अगर ऐसा होता है तो क्या होगा। ये हम नहीं बल्कि वैज्ञानिक के अनुसार बताया जा रहा है। दरअसल वैज्ञानिकों के अनुसार सूरज की सतह पर विस्फोट से एक तूफान पैदा हुआ है। यह सोलर तूफान अंतरिक्ष में सूरज से पृथ्वी की तरफ काफी तेजी से बढ़ रहा है। इसका डर है कि अगले 24 घंटे में वायुमंडलीय क्षेत्र से टकरा सकता है। अगर ऐसा होता है तो हो सकता है पूरी दुनिया की इंटरनेट ठप्प हो जाएं।
सब चीजों का टूट सकता है संपर्क
ऐसा इसलिए होगा कि ये तूफान सेटेलाइट से टकरा सकता है। जिसके चलते सभी इंटरनेट सेवाओं से जुड़ी सेवाएं जैसे विमानों की उड़ाने, रेडियो सिग्नल,मौसम और कम्यूनिकेशन पर सीधे तौर पर इसका असर देखने को मिल सकता है।
सबसे शक्तिशाली है एक्स 1—क्लास सोलर
इस सौर तूफान को अपनी तरह का सबसे शक्तिशाली एक्स 1—क्लास सोलर फ्लेयर के रूप में जाना जाता है। नासा के अधिकारियों ने की मानें तो से सबसे सोलर फ्लेयर करार दिया गया है। जिसे अंतरिक्ष एजेंसी के सोलर डायनेमिक्स ऑब्जर्वेटरी के रियल टाइम वीडियो में कैप्चर भी किया गया है। सोलर फ्लेयर की जो शक्तिशाली श्रेणी होती है उसे एक्स क्लास कहते हैं। इसके बाद अवरोही क्रम में यानि ताकत के घटते क्रम में इन्हें एम, सी, बी और ए क्लास के रूप में जाना जाता है। ऐसा माना जा रहा है कि 30 अक्टूबर को इस तूफान से अमेरिका के त्योहार हैलोवीन पर असर दिख सकता है।
जानिए कैसे करेगा इंटरनेट को प्रभावित
वैज्ञानिकों की मानें तो इस सोलर तूफान के चलते धरती के बाहरी वायुमंडल के तापमान में तेजी आ सकती है। जिसका सीधा असर गरमा सकता है जिसका सीधा असर सैटलाइट्स पर हो सकता है। इससे जीपीएस नैविगेशन, मोबाइल फोन सिग्नल और सैटलाइट टीवी में रुकावट पैदा हो सकती है। इतना ही नहीं इसके असर से पावर लाइन्स में करंट तेज हो सकता है। जिससे ट्रांसफॉर्मर भी उड़ सकते हैं। हालांकि, धरती के चुंबकीय क्षेत्र के सुरक्षा कवच के चलते ऐसा कम होने की उम्मीद है।
करीब 32 साल पहले कनाड़ा में छा गया था अंधेरा –
1 — इससे पहले वर्ष 1859 में आए चर्चित सबसे शक्तिशाली जिओमैग्नेटिक तूफान ने यूरोप और अमेरिका में टेलिग्राफ नेटवर्क को तबाह कर दिया था।
2 — ऐसा नहीं है कि इस तरह की खगोलीय घटना पहली बार हो रही है। इससे पहले वर्ष 1989 में आए सौर तूफान की वजह से कनाडा के क्यूबेक शहर में 12 घंटे के के लिए बिजली गुल हो गई थी। फलस्वरूप लोगों को मुसीबतों का सामना करना पड़ा था।
3 — उस समय कुछ ऑपरेटर्स को इलेक्ट्रिक का झटका भी लगा था। जबकि कुछ के साथ तो इतना तक हुआ था कि वे बिना किसी बैटरी के ही अपने इंस्टूमेंट का उपयोग कर पा रहे थे।
4 — उस समय की नार्दन लाइट्स इतनी तेज थी कि पूरे पश्चिमोत्तर अमेरिका में रात को भी लोग अखबार पढ़ पा रहे थे।