Snake Tongue : सांप का नाम सुनकर हमारे रैंगटे खड़े हो जाते है, यानि हमे डर का अहसास होने लगता है। देश के सांप की कई प्रकार की प्रजातिया पाई जाती है। आपने भी कई बार सांप को देखा होगा। आपने कभी गौर किया होगा की सांप जब भी अपनी जीभ बाहर निकालता है तो उसकी जीभ दो हिस्सों मेंं बंटी होती है। यह सवाल हर इंसान के दिमाग में आता है। कि आखिरकार सांप की जीभ दो हिस्सों में क्यों बंटी होती है।
सांप की जीभ को लेकर कई लोगों का मानना है कि जैसे इंसान के दो कान, दो नाक में छेद होते है इसलिए सांप की जीभ के दो हिस्से होते है। तो कई लोगों का कहना है कि खाने पीने में स्वाद अधिक आए इसलिए ऐसा होता है, लेकिन आपको बता दें कि ऐसा कुछ नहीं है। सांप की जीभ दो हिस्सों में क्यों बंटी होती है आइए आपको बताते है…
दरअसल, वैज्ञानिकों का कहना है कि सांप की जीभ के दो हिस्सों में बंटने का संबंध करोड़ साल पहले डायनासोर के जमाने से है। जब डायानासोर हुआ करते थे उस समय डायनासोर के पैरों के नीचे आने से बचने के लिए सांप मिट्टी, गड्ढे या किसी बिल में छिपकर रहते थे। सांप का शरीर पतला, लंबा और गोल होता है। सांप के पैर भी नहीं होते हैं और रोशनी के बिना ये सही से देख भी नहीं सकते है। ऐसे में इनकी सांप की जीभ उनका सुरक्षा कवच होता है। सांप गंध लेने के लिए ही अपनी जीभ को निकालकर हवा में लहराता है।
इसलिए दो हिस्सों में बंटी होती है सांप की जीभ
सांप की जीभ को वोमेरोनेजल अंग कहा जाता है। यह अंग सांप की नाक के चेंबर के नीचे होता है। जब यह हवा में निकालकर अपनी जेब लहराता है तो बाहर की गंध के कण जीभ पर चिपक जाते हैं और सांप को पता चल जाता है कि आगे क्या है। जीभ में पाए जाने वाले वोमेरोनेजल से सांप के जीभ में लगे कणों से गंध का पता चलता है। जैसे ही गंध को महसूस करने के बाद ये कण जब सांप के मुंह में जाते हैं तो सांप के दिमाग में यह संदेश पहुंच जाता है कि आगे आगे खतरा है या खाने लायक कोई जीव है। इतना ही नहीं सांप की जीभ दो हिस्सों में अलग अलग गंध को पहचानने की क्षमता रखते है।