Simi Ban Case: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में दूसरे दिन भी सिमी पर लगाए प्रतिबंध को हटाने को लेकर बनाए गए ट्रिब्यूनल ने सुनवाई की। गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अपना पक्ष रखा तो वहीं दूसरे दिन शुक्रवार को सिमी संगठन के वकील ने ट्रिब्यूनल के सामने अपनी बात रखी।
एमपी में अब सिमी का नामो निशान मिट चुका,इसलिए बैन हटाया जाए
नईम खान ने कहा कि, 2007 के बाद से लेकर आज तक सिमी की एक भी गतिविधि देखने को नहीं मिली है।
मध्य प्रदेश में सिमी का नेटवर्क और उनके सदस्य पूरी तरह से खत्म हो गए हैं।
उनका कोई भी मूवमेंट नहीं हुआ है, प्रदेश से अब सिमी का नामो निशान मिट चुका है, इसलिए सिमी पर लगा प्रतिबंध हटाया जाए।
2 दिन की सुनवाई के बाद ट्रिब्यूनल के पीठासीन जस्टिस पुष्पेंद्र कौरव ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली है, जो कि जल्द ही केंद्र सरकार को सौंपी (Simi Ban Case) जाएगी।
क्या है सिमी?
सिमी यानी स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) एक प्रतिबंधित इस्लामिक छात्र संगठन है।
जिसकी स्थापना 39 साल पहले अप्रैल 1977 में हुई थी। सिमी का फाउंडर प्रेसिडेंट मोहम्मद अहमदुल्ला सिद्दीकी था।
केंद्र सरकार ने सिमी को यूएपीए के तहत 5 साल की अवधि के लिए ‘गैरकानूनी संगठन’ घोषित कर दिया है।
सरकार को ये कदम इसलिए उठना पड़ा, क्योंकि सिमी देश में कई आतंकी गतिविधियों में शामिल रहा है और अन्य आतंकी संगठनों के साथ मिलकर देश में हिंसा फैलाने में मदद करता है।
स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया यानी सिमी पर प्रतिबंध लगाए जाने को लेकर गुरुवार और शुक्रवार को दो दिन हाईकोर्ट में सुनवाई हुई।
सिमी (Simi Ban Case) पर प्रतिबंध को लेकर केन्द्र सरकार के द्वारा ट्रिब्यूनल बनाया गया है जिसके प्रथम पीठासीन अधिकारी दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस पुरुषेन्द्र कौरव है।
2008 में सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिबंध लगाया
आतंकी गतिविधियों में शामिल होने और आतंकी संगठनों के साथ संबंध होने के चलते 2001 में भारत सरकार ने सिमी को प्रतिबंधित संगठन (Simi Ban Case) घोषित कर दिया था।
2008 में एक विशेष न्यायाधिकरण के तहत सिमी से प्रतिबंध हटा दिया गया। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती मिली और कुछ दिन बाद ही यह प्रतिबंध फिर से लागू कर कर दिया गया।
बताया जाता है कि सिमी ने अपने मूवमेंट को चलाने के लिए 2002 में एक नए संगठन का नकाब पहना और इसे इंडियन मुजाहिदीन नाम दिया।
इंडियन मुजाहिदीन पर देश में कई जगह विस्फोट कराने का आरोप है। इसके साथ ही कहा जाता है कि आईएम के सभी संगठन स्लीपिंग मॉड्यूल की तरह काम करते हैं।
पिछले कुछ साल में यूपी, गुजरात और मध्य प्रदेश पुलिस ने सिमी के कई आतंकी पकड़े हैं। 2008 में इंदौर के एक घर पर दबिश के दौरान संगठन के तत्कालीन प्रमुख सफदर नागौरी को पकड़ लिया गया।
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ट्रिब्यूनल में सुनवाई पूरी, अब केंद्र के पास जाएगी रिपोर्ट
इसके अलावा 2 साल पहले बिजनौर में एक घर के अंदर विस्फोट के बाद सामने आई थी, जिसमें सिमी का हाथ था। आतंकी संगठन सिमी (Simi Ban Case) का मध्य प्रदेश से गहरा कनेक्शन रहा है. देशभर में सिमी के सबसे ज्यादा सदस्यों की गिरफ्तारी एमपी से हुई है। 2015 में मोदी सरकार ने सिमी पर प्रतिबंध अनिश्चितकालीन समय के लिए बढ़ाकर इस संगठन के खिलाफ कार्रवाई सख्त कर दी है।
ट्रिब्यूनल ने सिमी के वकील नईम खान की पैरवी के दौरान करीब चार घंटे तक बात सुनी। अब दोनों ही पक्षों की रिपोर्ट बनाकर ट्रिब्यूनल जल्द ही केंद्र सरकार को सौंपेगी, इसके बाद ही निर्णय लिया जाएगा कि सिमी पर प्रतिबंध (Simi Ban Case) जारी रखना है या नहीं।