Shree Ganesh Mantra: हिन्दू धर्म में किसी भी पूजा की शुरुआत भगवान गणेश वंदना के साथ ही होता है. गणेश जी के मन्त्रोंच्चारण के बिना कोई भी पूजन अधुरा ही होता है. सनातन धर्म में भगवन गणेश जी के मन्त्रों को हमेशा से ही शुभ माना जाता है. हमारे देश के अलग अलग हिस्सों में गणेश जी की पूजा अपने अपने संस्कृति के अनुसार की जाती है. हिंदी भाषी क्षेत्रों में गणेश चतुर्दशी बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, तो वही महाराष्ट्र के गणेश पूजा की तो बात ही अलग है. यूँ कहें कि भगवान गणेश को सनातन धर्म में अव्वल स्थान प्राप्त है.
आइये जानते है गणेश जी के वो पांच शक्तिशाली मंत्र जिनके जाप से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
सर्व कार्य शुभारम्भ मंत्र
वक्र तुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ:।
निर्विघ्नं कुरु मे देव शुभ कार्येषु सर्वदा ॥
हे हाथी के समान विशालकाय, जिनका तेज सूर्य की समस्त किरणों के समान हैं। बिना किसी विघ्न के मेरा कार्य पूरा हो और सदैव ही मेरे लिए शुभ हो, हम ऐसी कामना करते है. भगवान गणेश जी के इस मंत्र का जाप सभी शुभ कार्यों में किया जाता है, जिससे गणेश जी की कृपा सदैव बनी रहती है. गणेश जी का वर्णन करता यह मंत्र बहुत ही प्रभावशाली माना जाता है.
गणेश वंदना मंत्र
गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्ं।
उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्॥
जो हाथी के जैसे मुख वाले हैं, भूतगणादिसे सदा सेवित रहते हैं, कैथ तथा जामुन फल जिनके लिए प्रिय भोजन है, पार्वती के पुत्र हैं और जो प्राणियों के दुखों का निवारण करनेवाले हैं, उन विघ्नेश्वर के चरणकमलों में प्रणाम करता हुँ। गणेश जी के इस मंत्र का जाप पूजन के शुरूआती चरण में किया जाता है.
दुर्रभावनाओं से रक्षा हेतु मंत्र
रक्ष रक्ष गणाध्यक्ष रक्ष त्रैलोक्यरक्षकं।
भक्तानामभयं कर्ता त्राता भव भवार्णवात्॥
हे गणों के अध्यक्ष हमारी रक्षा कीजिए। हे तीनों लोकों के रक्षक! रक्षा कीजिए; आप भक्तों को अभय प्रदान करनेवाले हैं, हर भवसागर से मेरी रक्षा कीजिये। भगवान गणेश के इस मंत्र का जाप सभी तरह की बुराइयों से रक्षा के लिए की जाती है, जिनसे भक्तों की रक्षा हो सके.
मनोकामना पूर्ति मंत्र
नमामि देवं सकलार्थदं तं सुवर्णवर्णं भुजगोपवीतम्ं।
गजाननं भास्करमेकदन्तं लम्बोदरं वारिभावसनं च॥
मैं उन भगवान् गजानन की वन्दना करता हूँ, जो समस्त कामनाओं को पूर्ण करते हैं, सुन्दर रंग और सूर्य के समान कान्ति से चमक रहे हैं, जो सदैव यज्ञोपवीत (जनेव) धारण करते हैं, एकदन्त हैं, लम्बोदर हैं और कमल के आसन पर विराजमान हैं।
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं।
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥
विघ्नेश्वर, वर देनेवाले, देवताओं के प्रिय, लम्बोदर, सभी कलाओं से परिपूर्ण, जगत् का हित करनेवाले, हठी के समान मुख वाले और वेद तथा यज्ञ से विभूषित पार्वतीपुत्र को प्रणाम है ; हे गणनाथ ! आपको प्रणाम है।
इन मंत्रों से होने वाले फायदे
भगवान गणेश के इन पांच मन्त्रों को सबसे प्रभावशाली माना गया है. पूजन की शुरुआत भी इन सभी मन्त्रों के उच्चारण से ही किया जाता है. यदि आप भी चाहते हैं कि आप की सभी मनोकामनाएं पूरी हो तो इन मन्त्रों का उच्चारण शरू कीजिये.