Shivraj Singh Chauhan: जैत गांव से निकलकर सीएम बनना इतना आसान नहीं था, जानिए उनकी सफलता की कहानी

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिहं चौहान आज अपना 62वां जन्मदिन मना रहे हैं। चौहान उन नेताओं में से हैं जिनमें बचपन से ही नेतृत्व की क्षमता थी। जब वे महज 9 साल के थे तब से ही उन्होंने आंदोलनों का नेतृत्व करना शुरू कर दिया था। अपने गांव में मजदूरों का मेहनताना दोगुना करवाने के लिए उन्होंने सबसे पहले आंदोलन चलाया था। लोग उन्हें उस वक्त ही कहा करते थे, कि ये लड़का आगे जाकर बहुत नाम कमाएगा। शिवराज का जन्म सीहोर जिले के जैत गांव में 5 मार्च 1959 को हुआ था। उनके पिता का नाम प्रेम सिहं चौहान और मां का नाम सुंदर बाई चौहान है।
मॉडल स्कूल से हुई है उनकी पढ़ाई
शिवराज की शुरूआती पढ़ाई भोपाल के टीटी नगर स्थित मॉडल स्कूल से हुई है। इसी दौरान उन्होंने लीडरशिप क्वालिटी के गुर सिखे। इस काम में उन्हें निखारा मॉडल स्कूल के शिक्षक और प्रिंसिपल केसी जैन ने। जैन कहते हैं कि शिवराज, शुरूआत से ही दूसरे बच्चों से बिल्कुल अलग थे। वे अन्याय को कभी भी सहन नहीं करते थे। स्कूल के दिनों में भी हमेशा अन्याय का विरोध किया करते थे। वो स्कूल में छात्रों के बीच काफी लोकप्रिय थे। इतना लोकप्रिय की उन्हें वोटिंग से छात्र संघ अध्यक्ष चुना गया था।
सादगी के लिए जाने जाते हैं
गौरतलब है कि शिवराज सिंह चौहान को अक्सर लोगों के बीच देखा जाता है। प्रोटोकॉल को तोड़कर वे लोगों के बीच पहुंच जाते हैं। यही कारण है कि उन्हें प्रदेश के लोग पांव-पांव वाले भैया तक बुलाते हैं। जबकि युवा उन्हें प्यार से मामा भी कहते हैं। शिवराज भी युवा लड़के-लड़कियों को भांजा-भांजी कहने से नहीं चुकते। उन्हें अक्सर ऐसा कहते हुए सुना जा सकता है।
आसान नहीं था सीएम बनना
हालांकि, उनका मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्य के एक छोटे से गांव से निकलकर मुख्यमंत्री बनना इतना आसान नहीं था। उनकी कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि भी नहीं थी। लेकिन कहते हैं ना जहां चाह वहां राह। ठीक उसी प्रकार से शिवराज सिंह चौहान ने भी अपने राजनीतिक करियर को खुद ही बनाया। कम उम्र से ही उन्होंने नेतृत्व करना सीख लिया था और हमेशा लोग के बीच जाते रहे।
ऐसे बने पांव-पांव वाले भैया
शिवराज शुरूआत से लोगों के बीच अपनी पहचान बनाना चाहते थे। लोगों के दिलों में जगह बनाने के लिए वे हमेशा अपने क्षेत्र का दौरा किया करते थे। जब वे पहली बार सांसद बने तो उन्होंने गाड़ी की बजाय क्षेत्र में पैदल जाने का निर्णय। उन्होंने कई बार अपने संसदीय क्षेत्र, विदिशा का पैदल ही दौरा किया। इतना ही नहीं जब वे पहली बार प्रदेश के मुखिया बने तब भी उन्होंने कई गांवों का दौरा पैदल ही किया था और इसी कारण से उन्हें पहले विदिशा और बाद में पूरे मध्य प्रदेश के लोग पांव-पांव वाले भैया कहने लगे।
शिवराज का राजनीतिक करियर
शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बनने से पहले 5 बार सांसद रह चुके हैं। सबसे पहले विदिशा से 1991 में वे संसद भवन पहुंचे थे। इस सीट को अटल बिहारी वाजपेयी ने छोड़ा था। जिसके बाद भाजपा ने शिवराज सिंह चौहान को विदिशा से अपना उम्मीदवार बनाया था। शिवराज इस सीट से 5 बार सांसद रहे। इतने लंबे समय तक सांसद रहने के साथ ही शिवराज , 5वीं बार विधायक भी चुने गए हैं। वहींं मुख्यमंत्री के तौर पर ये उनका चौथा कार्यकाल है।