Bhopal News: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 14 जून से बड़े तालाब में शिकारा बोट चलने लगी है। इसका उद्घाटन भोपाल नगर निगम की महापौर मालती राय ने किया।
दावा किया जा रहा है कि भोपाल के बड़े तालाब में शुरु हुई शिकारा कश्मीर की डल झील में चलने वाली शिकारा की तरह ही है। क्या वाकई इस दावे में सच्चाई है…आइये आपको बताते हैं।
NGT ने पिछले साल क्रूज और मोटर बोट पर लगाई थी रोक
मध्य प्रदेश और भोपाल (Bhopal News) में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण की वजह से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने बड़ा फैसला लेते हुए पिछले साल 2023 में भोपाल के बड़े तालाब और प्रदेश के किसी भी दूसरे वेटलैंड पर क्रूज बोट चलाने पर बैन लगा दिया था।
Bhopal News: कश्मीर की डल झील की तर्ज पर भोपाल के बड़ा तालाब में चलेगी शिकारा, जानें इस दावे में है कितनी सच्चाई#BhopalNews #Shikara #ShikaraBoat @BMCBhopal
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क्यों की गई शिकारा की शुरुआत
NGT के मोटर बोट और क्रूज पर बैन लगाने के बाद भोपाल (Bhopal News) के बड़ा तालाब पर पर्यटकों का आना कम हो गया था, क्योंकि पर्यटकों को वोटिंग करने को नहीं मिलती थी।
इसी बात को ध्यान में रखते हुए और बड़ा तालाब पर पर्यटकों को बढ़ाने के उद्देश्य से शिकारा बोट को शुरु किया गया है।
इन वोट में किसी भी प्रकार की मोटर का यूज नहीं किया जाता है इन्हें सादा चप्पू से चलाया जाता है।
कश्मीर की शिकारा और भोपाल की शिकारा में क्या हैं अंतर
1. कश्मीर की शिकारा बोट एक विशेष प्रकार की लकड़ी से बनी होती है जो देखने में काफी अच्छी लगती है। वहीं भोपाल की शिकारा एक सामान्य लकड़ी से बनी हुई दिखाई देती है इस कारण इसका लुक भी सामान्य ही है।
2. कश्मीर की शिकारा में लकड़ी के खम्बें देखक बोट के ऊपर शेड लगाया जाता है जो शेड भी लकड़ी से बना होता है। जबकी भोपाल की शिकारा में लोहे के पाइप देकर एक कपड़े का शेड बनाया गया है।
3. कश्मीर में चलने वाली शिकारा में बैठने के लिए कंफर्ट सीट और किसी-किसी शिकारा में तो काउच की सुविधा भी दी जाती है पर भोपाल वाली शिकारा में सिर्फ बैठने के लिए सामान्य लकड़ी की पट्टी दी गई।
4. कश्मीरी शिकारा में अंदर कार्पेट और डेकोरेशन अच्छे से किया जाता है जो आने वाले पर्यटकों को लुभाने का काम करती है मगर भोपाल ने चलाई जा रही शिकारा सामान्य में इसमें आर्कषण के लिए कुछ विशेष नहीं किया गया है।
5. कश्मीर की शिकारा का डिजाइन दोनो ओर से नुकीला बनाया जाता है जिससे उसे चलने में दिक्कत न आए और वह अच्छी दिखे पर भोपाल वाली शिकारा का डिजाइन सामान्य लकड़ी की बोट जैसा ही है।
6. कश्मीर की शिकारा में एक साथ 8 से 10 लोग बैठ सकते हैं ठीक इसी प्रकार भोपाल वाली शिकारा में भी 8 से 10 लोग बैठ सकते हैं। शिकारा में बैठने वाले लोगों की संख्या उसके साइज पर डिपेंड करती है।
क्रूज न चलने से सूना था तालाब
जब बड़ा तालाब में क्रूज और मोटर वोट चलती थी तो क्लब पर हर रोज हजारों की संख्या में पर्यटक आते थे और ये लोग क्रूज और मोटर बोट के जरिए बड़ा तालाब की लहरों का लुत्फ उठाते थे।
इनके बंद होने के बाद तालाब सूना हो गया था। अब शिकारा चलने से पर्यटकों को नया अनुभव मिलने वाला है।
कितना रखा गया है भोपाल की शिकारा का किराया
MIC मेंबर रवींद्र यती ने बताया है कि पर्यटकों को बढ़ावा देने के लिए अभी एक शिकारा बोट को शुरु किया है। जैसे-जैसे पर्यटकों का आना बढ़ जाएगा तो शिकारा की संख्या भी बढ़ा दी जाएगी।
अभी शिकारा का किराया 200 से 300 रुपए प्रतिव्यक्ति के आस-पास रखा गया है।
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