तो चलिए जानते हैं मां शीतला को प्रसन्न के उपाय क्या हैं। साथ ही जानेंगे शीतला अष्टमी (Sheetla Ashtami) पर क्या दान करना चाहिए और शीतला अष्टमी का महत्व क्या है। घर के वास्तु दोष को दूर करने के लिए हल्दी के उपाय क्या हैं। पढ़ें शीतला अष्टमी के अचूक उपाय।
मां शीतला को बासी भोजन का क्यों लगाते हैं भोग
2 अप्रैल को मां शीतला को शीतला अष्टमी (Sheetala Ashtami 2024) पर बासी भोजन का भोग लगाते हैं। पर क्या आप जानते हैं इसके पीछे क्या कारण है, यदि नहीं तो आपको बता दें मां शीतला शीतलता प्रदान करने वाली देवी हैं।
पहले के समय में चेचक बड़ी माता की शांति के लिए शीतला माता की पूजा की जाती थी। यही कारण है कि मां शीतला का पूजन कर चेचक रोग से मुक्ति मिलती है। निरोगी रहने के लिए मां शीतला की पूजा करनी चाहिए और इसीलिए मां शीतला को बासी खाने का भोग लगाते हैं।
इसलिए घरों में नहीं जलता चूल्हा
जैसा की मां के नाम से ही स्पष्ट हैं माता शीतला। यानि शीतलता प्रदान करने वाली। ऐसी मान्यता है इनके प्रकोप को शांत करने के लिए मां को बासी खाने का भोग लगता है। इतना ही नहीं इनकी पूजा करने से शरीर में निकलने वाली बड़ी माता की शांति होती है।
अष्टमी के एक दिन पूर्व विभिन्न प्रकार के पकवानों के साथ अठवाई और लप्सी बनाकर दूसरी दिन यानि अष्टमी पर मां शीतला को इसका भोग लगता है। यही प्रसाद सभी ग्रहण भी करते हैं। इस दिन घरों में अग्नि नहीं जलती है। यानि चूल्हा नहीं जलाया जाता।
शीतला अष्टमी से इस ऋतु की शुरुआत
अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार तो गर्मी का महीना शुरू हो गया है, लेकिन हिन्दू पंचांग के अनुसार वास्तविक रूप से गर्मी की शीतला अष्टमी (Sheetala Ashtami 2024) से मानी जाताी है। 2 अप्रैल से बसंत ऋतु की विदाई हो जाएगी।
इस दिन से नहीं खाते बासा भोजन
मां शीतला को बासी खाने का भोजन करना चाहिए। इसलिए इस दिन बासा भोजन करने के साथ मौसम की विदाई कर दी जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन यानी शीतला अष्टमी (Sheetala Ashtami 2024) के बाद से पूरे गर्मी के मौसम में बासा खाना नहीं खाना चाहिए।
मां शीतला अष्टमी के उपाय
ऐसी मान्यता है कि शीतला अष्टमी (Sheetala Ashtami 2024) पर पूजा और भोग लगाने के बाद मां शीतला के पूजा वाले जल से आंखों को धोना चाहिए। इसके पीछे का कारण बदलते मौसम में आंखों को शीतलता प्रदान करना है। साथ ही ये संकेत भी देता है कि गर्मियों में आंखों का ध्यान रखाना चाहिए।
घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक
मां शीतला माता की पूजा करने के बाद घर के मुख्य द्वार पर हल्दी से स्वास्तिक बनाना चाहिए। वो इसलिए क्योंकि हल्दी का पीला रंग अरोग्यता, सकारात्मकता और प्रसन्नता का प्रतीक माना जाता है। अगर आप ऐसा करते हैं तो इससे वास्तु दोष (Vastu Dosh) भी दूर होता है।
माँ शीतला का मंत्र
‘ॐ ह्रीं श्रीं शीतलायै नमः’
माँ शीतला का ध्यान मंत्र
‘वन्देऽहंशीतलांदेवीं रासभस्थांदिगम्बराम्।मार्जनीकलशोपेतां सूर्पालंकृतमस्तकाम् ||
अर्थ
मैं गर्दभ पर विराजमान, दिगम्बरा, हाथ में झाडू तथा कलश धारण करने वाली,सूप से अलंकृत मस्तक वाली भगवती शीतला की वंदना करता हूं। जिससे स्पष्ट हो जाता है कि मां स्वच्छता की अधिष्ठात्री हैं।
मां शीतला का स्तवन
”शीतले त्वं जगन्माता शीतले त्वं जगत्पिता। शीतले त्वं जगद्धात्री शीतलायै नमो नमः
अर्थ
हे माँ शीतला! आप ही इस संसार की आदि माता हैं, आप ही पिता हैं और आप ही इस चराचर जगत को धारण करतीं हैं अतः आप को बारम्बार नमस्कार है।
शीतला अष्टमी 2024 मुहूर्त
शीतला अष्टमी (Sheetala Ashtami 2024 Upay) 1 अप्रैल की रात 11.09 मिनट से शुरू होगी। इसका समापन 2 अप्रैल की रात 08.08 मिनट तक रहेगी। उदयातिथि के अनुसार, शीतला सप्तमी 2 अप्रैल को आएगी यानी अष्टमी 2 अप्रैल मंगलवार को ही मनाई जाएगी।
नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित है। बंसल न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता। अमल में लाने से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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