दूसरी प्रकट नवरात्रि को हम शारदीय नवरात्रि कहते हैं। यह अश्वनी माह के शुक्ल पक्ष के प्रतिपदा से प्रारंभ होता है। इस वर्ष यह 15 अक्टूबर से प्रारंभ हो रही है।
पहली गुप्त नवरात्रि आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से तथा दूसरी गुप्त नवरात्रि माघ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से प्रारंभ होती है।
नवरात्रि घटस्थापना के नियम (Shardiya Navratri 2023 Ghat Sthapna Rules)
1- देवी भागवत के अनुसार अगर अमावस्या और प्रतिपदा एक ही दिन पड़े तो उसके अगले दिन पूजन और घट स्थापना की जाती है।
2- विष्णु धर्म नाम के ग्रंथ के अनुसार सूर्योदय से 10 घटी तक प्रातः काल में घटस्थापना शुभ होती है।
3- रुद्रयामल नाम के ग्रंथ के अनुसार यदि प्रातः काल में चित्रा नक्षत्र या वैधृति योग हो तो उस समय घट स्थापना नहीं की जाती है अगर इस चीज को टालना संभव ना हो तो अभिजीत मुहूर्त में घट स्थापना की जाएगी।
4- देवी पुराण के अनुसार देवी की देवी का आवाहन प्रवेशन नित्य पूजन और विसर्जन यह सब प्रातः काल में करना चाहिए।
5- निर्णय सिंधु नाम के ग्रंथ के अनुसार यदि प्रथमा तिथि वृद्धि हो तो प्रथम दिन घटस्थापना करना चाहिए।
वर्ष 2023 के शारदीय नवरात्र के घट स्थापना का मुहूर्त (Shardiya Navratri 2023 Ghat Sthapna Muhurat)
उपरोक्त नियमों को ध्यान में रखते हुए हम घटस्थापना के मुहूर्त का शोध करेंगे। नियम क्रमांक 2 विष्णु धर्म ग्रंथ के अनुसार 10 घड़ी के अंदर घटस्थापना की जानी चाहिए। 15 अक्टूबर को सूर्योदय 6:21 पर होगा। अतः 10 घड़ी 10: 21 मिनट पर समाप्त होगी। अतः इस नियम के अनुसार घटस्थापना 10:21 के पहले कर लेनी चाहिए।
15 अक्टूबर को चित्रा नक्षत्र है और नियम तीन के अनुसार घट स्थापना का कार्य चित्रा नक्षत्र में नहीं करना चाहिए।
अतः 10:21 तक घट स्थापना करना संभव नहीं है। इसी नियम के अनुसार घटस्थापना का कार्य अभिजीत मुहूर्त में करना चाहिए जो की सागर के पंचांग के अनुसार 11:38 से 12:24 तक है। अतः सागर में घटस्थापना 11:38 से 12:24 दोपहर के बीच में किया जाना चाहिए। अन्य स्थानों के लिए अक्षांश देशांतर के अनुसार समय में थोड़ा सा परिवर्तन होगा।
नवरात्रि का दार्शनिक पहलू ( Shardiya Navratri 2023 religious reasons)
देवी भागवत के अनुसार देवी मां ने सबसे पहले महिषासुर के सेना का वध किया था। उसके बाद उन्होंने महिषासुर का वध किया। महिषासुर का अर्थ होता है ऐसा असुर जोकि भैंसें के गुण वाला है अर्थात जड़ बुद्धि है। महिषासुर का विनाश करने का अर्थ है समाज से जड़ता का संहार करना। समाज को इस योग्य बनाना कि वह नई बातें सोच सके तथा निरंतर आगे बढ़ सके।
समाज जब आगे बढ़ने लगा तो आवश्यक था कि उसकी दृष्टि पैनी होती तथा वह दूर तक देख सकता। अतः तब माता ने धूम्रलोचन का वध कर समाज को दिव्य दृष्टि दी। धूम्रलोचन का अर्थ होता है धुंधली दृष्टि। इस प्रकार माता ने धूम्र लोचन का वध कर समाज को दिव्य दृष्टि प्रदान की।
समाज में जब ज्ञान आ जाता है उसके उपरांत बहुत सारे तर्क वितर्क होने लगते हैं। हर बात के लिए कुछ लोग उस के पक्ष में तर्क देते हैं और कुछ लोग उस के विपक्ष में तर्क देते हैं। समाज की प्रगति और अवरुद्ध जाती है। चंड मुंड इसी तर्क और वितर्क का प्रतिनिधित्व करते हैं। माता ने चंड मुंड का संहार कर समाज को बेमतलब के तर्क वितर्क से आजाद कराया।
समाज में नकारात्मक ऊर्जा के रूप में मनो ग्रंथियां आ जाती हैं। रक्तबीज इन्हीं मनो ग्रंथियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। जिस प्रकार एक रक्तबीज को मारने पर अनेकों रक्तबीज पैदा हो जाते हैं उसी प्रकार एक नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने पर हजारों तरह की नकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है। जिस प्रकार सावधानी से रक्तबीज को मां दुर्गा ने समाप्त किया उसी प्रकार नकारात्मक ऊर्जा को भी सावधानी के साथ ही समाप्त करना पड़ेगा।
नवरात्र के 9 दिन अलग-अलग देवियों की आराधना की जाती है। नवरात्र का हर दिन मां के विशिष्ट स्वरूप को समर्पित होता है और हर स्वरूप की महिमा अलग-अलग होती है। आदि शक्ति के हर स्वरूप से अलग-अलग मनोरथ पूर्ण होते हैं। यह पर्व नारी शक्ति की आराधना का पर्व है।
नवरात्रि और विज्ञान
हमारे पुराने ऋषि मुनियों ने हर चीज को बड़ी सोच समझ कर बनाया था। हमारे जो भी त्यौहार हैं, उनके पीछे एक वैज्ञानिक महत्व भी है। इसी तरह नवरात्रि त्यौहार के पीछे भी वैज्ञानिक महत्व है। 15 अक्टूबर 2023 से शारदीय नवरात्रि का पर्व प्रारंभ हो रहा है और इन नौ दिनों में निम्न अनुसार देवियों की पूजा की जावेगी।
शारदीय नवरात्रि 2023 का वैज्ञानिक पक्ष (Shardiya Navratri 2023 scientific reasons)
नवरात्र के वैज्ञानिक पक्ष की तरफ अगर हम ध्यान दें तो हम पाते हैं कि दोनों प्रगट नवरात्रियों के बीच में 6 माह का अंतर है। चैत्र नवरात्रि के बाद गर्मी का मौसम आ जाता है तथा शारदीय नवरात्रि के बाद ठंड का मौसम आता है। हमारे महर्षियों ने शरीर को गर्मी से ठंडी तथा ठंडी से गर्मी की तरफ जाने के लिए तैयार करने हेतु इन नवरात्रियों की प्रतिष्ठा की है। नवरात्रि में व्यक्ति पूरे नियम कानून के साथ अल्पाहार एवं शाकाहार या पूर्णतया निराहार व्रत रखता है। इसके कारण शरीर का डिटॉक्सिफिकेशन होता है। अर्थात शरीर के जो भी विष तत्व है वे बाहर हो जाते हैं। पाचन तंत्र को आराम मिलता है। लगातार 9 दिन के आत्म अनुशासन की पद्धति के कारण मानसिक स्थिति बहुत मजबूत हो जाती है। जिससे डिप्रेशन माइग्रेन हृदय रोग आदि बिमारियों के होने की संभावना कम हो जाती है।
वर्ष के बीच में जो हम एक-एक दिन का व्रत करते हैं उससे मानसिक स्थिति मजबूत नहीं हो पाती है केवल पाचन तंत्र पर ही उसका प्रभाव पड़ता।
नवरात्रि में दिन से ज्यादा रात्रि का महत्व है
नवरात्रि में दिन से ज्यादा रात्रि के महत्व होने का विशेष कारण है। नवरात्रि में हम व्रत संयम नियम यज्ञ भजन पूजन योग साधना बीज मंत्रों का जाप कर सिद्धियों को प्राप्त करते हैं। हम देखते हैं अगर हम दिन में आवाज दें तो वह कम दूर तक जाएगी परंतु रात्रि में वही आवाज दूर तक जाती है। दिन में सूर्य की किरणें आवाज की तरंगों को और रेडियो तरंगों को आगे बढ़ने से रोकती है। अगर हम किसी रेडियो से दिन में गाने सुने सुन तो वह रात्रि में उसी रोडियो से उसी स्टेशन के गाने से कम अच्छा सुनाई देगा। दिन में वातावरण में कोलाहल रहता है जबकि रात में शांति रहती है। इसी शांत वातावरण के कारण नवरात्रि में सिद्धि हेतु रात का ज्यादा महत्व दिया गया है।
नवरात्रि में शरीर के नौ द्वार होते हैं शुद्ध
हमारे शरीर में 9 द्वार हैं। 2 आंख, दो कान, दो नाक, एक मुख, एक मलद्वार तथा एक मूत्र द्वार। नौ द्वारों को सिद्ध करने हेतु पवित्र करने हेतु नवरात्रि का पर्व का विशेष महत्व है। नवरात्रि में किए गए पूजन अर्चन तप यज्ञ हवन आदि से यह नवो द्वार शुद्ध होते हैं।
नवरात्रि हमें यह भी संदेश देती है की सफल होने के लिए सरलता के साथ ताकत भी आवश्यक है जैसे माता के पास कमल के साथ चक्र एवं त्रिशूल आदि हथियार भी है समाज को जिस प्रकार कमलासन की आवश्यकता है उसी प्रकार सिंह अर्थात ताकत ,वृषभ अर्थात गोवंश, गधा अर्थात बोझा ढोने वाली ताकत, तथा पैदल अर्थात स्वयं की ताकत सभी कुछ आवश्यक है।
शारदीय नवरात्रि की नौ तिथियाँ
15 अक्टूबर – घटस्थापना, मां शैलपुत्री की पूजा
16 अक्टूबर दूसरे दिन – मां ब्रह्मचारिणी
17 अक्टूबर तीसरे दिन – मां चंद्रघंटा
18 अक्टूबर चौथे दिन – मां कूष्मांडा
19 अक्टूबर पांचवे दिन – मां स्कंदमाता
20 अक्टूबर छठवें दिन – मां कात्यायनी
21 अक्टूबरसातवें दिन – मां कालरात्रि
22 अक्टूबर आठवें दिन – मां महागौरी
23 अक्टूबर नवें दिन – मां सिद्धिदात्री
Shardiya Navratri 2023, Shardiya Navratri 2023 in hindi, Shardiya Navratri 2023 religious reasons and scientific reasons, Shardiya Navratri ghat sthapna muhurat , Shardiya Navratri ghat sthapna ke niyam, news in hindi, hindi news, bansal news