भोपाल। Shardiya Navratri 2023: आज से लगभग 42 साल पहले यानी साल 1981 में राजधानी भोपाल का पुराना शहर कई दिनों तक कर्फ्यू के साए में रहा।
कर्फ्यू खुलने के बाद यहां लोगों ने धूमधाम के साथ चौक पर मां भवानी की स्थापना की। जिसके चलते सोमवारा स्थित देवी माता मंदिर कर्फ्यू वाली माता के नाम से प्रशिद्ध है। मंदिर का गर्भ गृह स्वर्ण मंडित है।
बता दें कि मोती मस्जिद की ओर जाने वाले मुख्य मार्ग पर बने इस मंदिर के प्रति लोगों में काफी श्रद्धा है। यही वजह के है कि नवरात्रि के दौरान यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है।
कर्फ्यू वाली माता मंदिर का इतिहास
साल 1981 में आश्विन माह की नवरात्री में जयपुर से लेकर माता की मूर्ति सोमवारा चौराहे के पास चबूतरे पर स्थापित की गई थी। इसके बाद क्षेत्र में लोगों में मंदिर को लेकर बवाल हो गया था। जिसके चलते प्रशासन को शहर में एक माह तक कर्फ्यू लगाना पड़ा।
एक माह बीत जाने के बाद सरकार लोगों के सामने झुक गई और मंदिर की स्थापना करने की अनुमति दे दी। बताया जाता है कि इस मंदिर के निर्माण की भूमिका बाबूलाल माली और पुजारी पंडित श्रवण अवस्थी ने बनाई थी।
मंदिर में जलती हैं दो अखंड ज्योत
बता दें कि कर्फ्यू वाली माता मंदिर में घी और तेल की दो अखंड ज्योत जलती हैं। जिसके लिए छ: माह में 45 लीटर तेल और 45 लीटर घी लगता है।
वहीं नवरात्र के दौरान इस मंदिर में विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है। जिसमें शहर के अलावा आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के लोग बड़ी संख्या में शामिल होते हैं।
चेक से स्वीकार होता है दान
मान्यता है कि जो भी भक्त यहां माता के चरणों में अर्जी लगा हैं, देवी माता उसकी मन्नतें पूरी होती हैं। मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालु यथा योग्य चढ़ावा भी चढ़ाते हैं। यहां की एक दिलचस्प बात है कि 50 रुपये से अधिक की राशि का दान सिर्फ चेक के माध्यम से ही स्वीकार किया जाता है।
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