नई दिल्ली। आज यानि 20 अक्टूबर Sharad Purnima 20 Oct 2021 को शरद पूर्णिमा का त्याहोर मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्यों की मानें तो पूर्णिमा तिथि पर ही आज सूर्योदय भी हुआ है। इसी तिथि में रात में चंद्रोदय भी होगा जिसके चलते आज ही शरद पूर्णिमा मनाई जाएगी। कि तिथियों के घट—बढ़ जानें के कारण त्योहार दो दिन पड़ जाते हैं। हालांकि अपने—अपने मतानुसार कुछ लोगों ने मंगलवार को शरद पूर्णिमा का त्योहार मनाया है। ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविन्द शास्त्री के अनुसार इस वर्ष की शरद पूर्णिमा 20 अक्टूबर यानि बुधवार को मनाई जाएगी। आइए जानते हैं क्या है इसके पीछे का कारण।
तिथि के दिन सूर्योदय और चंद्रोदय दोनों हैं जरूरी
ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविन्द शास्त्री के अनुसार जिस दिन जो तिथि होती है उस त्योहार के लिए उस दिन सूर्योदय के साथ—साथ चंद्रोदय भी देखा जाता है। जैसे शरद पूर्णिमा पर चांद की पूजा तो होगी। लेकिन इसके लिए इस तिथि में सूर्योदय का होना भी आवश्यक है। जो कि मंगलवार को नहीं हो पाया है। क्योंकि पूर्णिमा तिथि शाम 6:29 से लग रही है। जो महिलाएं व्रत वाली पूर्णिमा करेंगी उनके लिए आज पूर्णिमा का सूर्योदय तो मिला ही नहीं। इसलिए यह व्रत कल यानि बुधवार को ही मनाया जाएगा। अत:शरद पूर्णिमा का त्योहार स्नान दान और व्रत पूर्णिमा के साथ 20 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा। बुधवार को पूर्णिमा तिथि शाम 7:22 तक रहेगी।
सवा पाव शकर—सवा पाव मावे के बनेंगे लड्डू
शरद पूर्णिमा पर सवा पाव शकर और सवा पाव मावे के छ: लड्डू बनाए जाते हैं। इन्हें शकर व मावा मिलाकर बराबर साइज के छ: लड्डुओं का भोग लगाकर एक भगवान को, एक गर्भवती स्त्री को, एक गाय और एक पिता व बेटे को देने के बाद दो लड्डु स्वयं प्रसाद के रूप में ग्रहण किए जाते हैं।
रात में बरसता है अमृत
कहते हैं इस दिन रात में अमृत बरसता है। इसलिए अरोग्यता प्राप्ति के लिए इस दिन रात घर के आंगन या छत पर भगवान श्रीकृष्ण का पूजन करके उन्हें खीर का भोग लगाया जाता हैं। इस दिन का भोग आरोयग्यता दिलाता है।
मां लक्ष्मी का अवतरण दिवस
शरद पूर्णिमा को मां लक्ष्मी का अवतरण दिवस माना जाता है। समुद्र मंथन की पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन से इसी दिन ही मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। इसलिए इस दिन मां लक्ष्मी का पूजन करना श्रेष्ठ माना गया है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन रात्रि काल में मां लक्ष्मी भूमि पर भ्रमण के लिए निकलती हैं। वे देखती हैं जहां साफ—सफाई हो और उनके मंत्रों, स्तोत्रों का जाप हो रहा हो, उस घर में वो प्रवेश करती हैं। मां लक्ष्मी के प्रवेश का अर्थ आपके घर से दुख-दारिद्रय का नाश और सुख-समृद्धि का आगमन होता है। इसी कारण ही शरद पूर्णिमा को कोजागिरी पूर्णिमा या जागृत पूर्णिमा भी कहते हैं। इस पूर्णिमा पर रात्रि जागरण का विशेष महत्व है।
ऐसे करे मां लक्ष्मी को प्रसन्न
अगर आप भी शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ जरूर करें। रात में चंद्रोदय के बाद मां लक्ष्मी का विधि पूर्वक पूजन करें। अत: उन्हें सुगंधित इत्र, गुलाबी फूल और खीर जरूर चढ़ाएं। इसके साथ महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करें। आपके घर से दुख-दरिद्रता दूर होकर सुख-समृद्धि आएगी।
पूर्णिमा तिथि — मंगलवार शाम 6:30 से प्रारंभ होकर बुधवार शाम 7:22 तक रहेगी।
महालक्ष्मी स्तोत्र —
नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते।
शंखचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।1।।
नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयंकरि।
सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।2।।
सर्वज्ञे सर्ववरदे देवी सर्वदुष्टभयंकरि।
सर्वदु:खहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।3।।
सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि।
मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।4।।
आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि।
योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।5।।
स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे।
महापापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।6।।
पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणी।
परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।7।।
श्वेताम्बरधरे देवि नानालंकारभूषिते।
जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।8।।
हालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं य: पठेद्भक्तिमान्नर:।
सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा।।9।।
एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम्।
द्विकालं य: पठेन्नित्यं धन्यधान्यसमन्वित:।।10।।
त्रिकालं य: पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम्।
महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा।।11।।
नोट : इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित है। बंसल न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता।