Shankaracharya Avimukteshwarananda: शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती गौमाता को राष्ट्र माता बनाने के लिए एक बड़े अभियान की शुरुआत करने जा रहे हैं। वे 36 राज्यों का भ्रमण करेंगे और गौमाता को लेकर लोगों को जागरुक करेंगे। शंकराचार्य सरस्वती ने राम मंदिर, पीएम मोदी और अन्य मुद्दों पर चर्चा की। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती से बंसल न्यूज चैनल हैड शरद द्विवेदी ने खास बातचीत की…
चैनल हैड शरद द्विवेदी – आपने गौमाता के लिए मुहिम शुरू की है, इस आंदोलन के बारे में बताइए ?
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद – गाय को हमारे पूर्वजों ने जो सम्मान दिया था, आज वो गौमाता को नहीं मिल पा रहा है। आज केंद्र सरकार और राज्य सरकारों ने गाय को पशु सूची में दर्ज किया है। शास्त्रों के अनुसार गाय पशु नहीं है। गाय को पशु कहना अपमान है। केंद्र और राज्य सरकार गाय को पशु सूची से हटाएं और सम्मानित रूप में दर्ज करें। गाय को माता के रूप में दर्ज करना चाहिए और गौमाता की हत्या पर दंडनीय अपराध घोषित करना चाहिए। 36 राज्यों में की जाने वाली यात्रा को गौ प्रतिष्ठा ध्वज स्थापना भारत यात्रा नाम दिया है।
चैनल हैड शरद द्विवेदी – आपने कहा था कि राम मंदिर विधिवत स्वरूप में निर्मित नहीं हुआ है, आरंभ करना उचित नहीं है ?
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद – हमारा सनातन धर्म मौसमी नहीं है। उसके जो सिद्धांत हैं वो तो शाश्वत ही होते हैं। मंदिर पूरा हो जाने के बाद ही प्रतिष्ठा होती है। ये जो हमारा कहना था, इसमें कोई बदलाव नहीं है। प्रधानमंत्री ने शिष्टाचार का निर्वहन किया तो हमने भी अपनी संस्कृति के अनुसार अपना आशीर्वाद दिया। इसे अच्छे ही रूप में सभी लोगों ने उसे लिया है ऐसा हम समझते हैं।
चैनल हैड शरद द्विवेदी – आप एक धनाढ्य व्यक्ति के समारोह में गए, कुछ लोगों ने पूछा कि सुदामा के यहां होता तो क्या धर्माचार्य एकत्रित होते ?
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद – हमसे जब ये प्रश्न पूछा गया कि आप इतने धनाढ्य व्यक्ति के यहां गए गरीब के यहां क्यों नहीं जाते हैं। हमने उनसे पूछा कि तुमको कैसे पता कि हम अमीर के यहां जाते हैं और गरीब के यहां नहीं जाते। हम अमीर और गरीब देखकर नहीं जाते हैं। हम गरीबी किसी की नहीं देखते और गरीबी किसी की नहीं देखते। हम तो उसके हृदय की श्रद्धाभक्ति देखते हैं। अगर वो भाव से बुला रहा है तब जाते हैं। हम नहीं देखते कि किसकी जेब में कितना पैसा है। हमने मीडिया वालों से पूछा कि हम हजार गरीब की शादी में गए थे, लेकिन आपका कैमरा वहां क्यों नहीं पहुंचा। आपने धनाढ्य व्यक्ति को ही कवर क्यों किया। इसका जवाब किसी ने नहीं दिया। एक पत्रकार ने कहा कि अगर आप सूचना देंगे तो हम आएंगे। हमने कहा कि हमने अंबानी के यहां जाने की सूचना दी थी क्या।
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने बताया कि जब अंबानी के यहां से हमें लोग आमंत्रित करने आए थे तब हमने पूछा कि हम क्यों आए आपके यहां ? क्या विशेषता है आपके विवाह की ? तब उन्होंने कहा कि हम पूरे विवाह के दौरान 700 से ज्यादा व्यंजन परोस रहे हैं, लेकिन एक भी व्यंजन मांसाहार का नहीं है। हम 3-4 महीने हम कई कार्यक्रम कर रहे हैं, लेकिन किसी एक दिन भी शराब नहीं परोस रहे हैं। जब आजकल बिना शराब और बिना मांस के विवाह नहीं हो रहे हैं, वहां कम से कम एक व्यक्ति एक आदर्श स्थापित कर रहा था कि बिना शराब और बिना मांसाहार के भी विवाह हो सकते हैं।
चैनल हैड शरद द्विवेदी – समाज में दुराचार क्यों हो रहे हैं, क्या कथा से कहा जा रहा है इसलिए समाज ग्रहण नहीं कर रहा है ?
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद – कहे का भी असर होता है, कम होता है ये बात अलग है। सड़कों के किनारे विज्ञापन लगे होते हैं। मनोविज्ञान ये है कि एक बार देखने पर दिमाग में उसकी छाया पड़ जाती है। जितने पैमाने पर गलत जानकारी आ रही है। उतने पैमाने पर सही जानकारी लोगों को नहीं दे पा रहे हैं।
चैनल हैड शरद द्विवेदी – अगर हमारे चारों शंकराचार्य का अभिमत राष्ट्र को कैसे मिलता रहे ?
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद – सुखदेव जी महाराज ने उपदेश किया वो आज तक हमें सुनने को मिलता है। क्योंकि परीक्षित सुनने वाला था। परीक्षित के साथ हम लोग सुनते हैं। अगर परीक्षित ने ना सुना होता तो लिपिबद्ध कौन करता और कैसे यहां तक वो बात आती। इसलिए कोई परीक्षित हो तो चारों शंकराचार्य उसको सुनाएं और उसके माध्यम से पूरा देश सुन ले। अगर हमारे देश के प्रधानमंत्री मन की बात एक दिन शंकराचार्यों के साथ कर लेते तो पूरा देश न जान जाता। जब कोई परीक्षित आएगा तब सुखदेव जी का उपदेश लोकसुलभ हो जाएगा। अन्यथा वो अरण्यरोदन ही हो जाएगा जो अभी हो रहा है।
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चैनल हैड शरद द्विवेदी – तिरुपति बालाजी के प्रसाद में मिलावट को कैसे रोका जाए ?
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद – यह भक्तों के भावनाओं के साथ सबसे बड़ा खिलवाड़ हुआ है। भगवान के प्रसाद में अपवित्र घटक मिलना समस्त हिंदू से जन समुदाय के प्रति अपराध है। इस मामले पर उच्च स्तरीय कमेटी बनाकर जांच होनी चाहिए और दोषी को तत्काल गिरफ्तार कर सख्त सजा देनी चाहिए। यह अपराध किसी की हत्या करने से भी बड़ा अपराध है। दंड ऐसा मिलना चाहिए कि भविष्य में ऐसा मामला किसी और मंदिर में ना हो सके। देश के सभी मंदिरों के प्रबंधन से सरकार का हस्तक्षेप पूरी तरह से खत्म होना चाहिए। क्योंकि मंदिरों में धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का निर्वहन केवल संस्कृति से जुड़े लोग ही कर सकते हैं। मंदिरों की पूजा-पद्धति में सरकार का नियंत्रण पूरी तरह खत्म हो जाना चाहिए और मंदिरों का प्रबंध धर्माचार्यों के हाथों में दिया जाना चाहिए ताकि मंदिरों की परंपरा और संस्कृति को बचाया जा सके।
शंकराचार्य ने कहा कि तिरुमला मंदिर में जो हुआ है वही बद्रीनाथ और केदारनाथ मंदिर में हो रहा है यहां भी सरकार ने पारंपरिक लोगों को हटाकर अब सीधी भर्ती प्रक्रिया शुरू कर रही है ऐसे में धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ होना सामान्य बात हो जाएगी क्योंकि जो लोग मंदिरों में काम करेंगे वह आस्था से नहीं बल्कि नौकरी करेंगे। हम आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू का अभिनंदन करते हैं। शंकराचार्य ने कहा कि आरोपों में अगर सच्चाई नहीं होती तो अब तक चंद्रबाबू नायडू का घेराव हो चुका होता।