शाजापुर/आदित्य शर्मा की रिपोर्ट। Shajapur Workshop News : महिलाओं और बच्चों के लिए सख्त कानून बनाये गए हैं, लेकिन नैतिकता के हनन और अमानवीयता के चलते कई मामलों में गवाह या खुद पीड़िता किसी दबाव या लोभ के चलते मुकर जाती है। ऐसे में सही पीड़ित को भी कई बार न्याय पाने में परेशानी होती है।
उसकी मदद करें, हिम्मत दें
समाज के जागरूक नागरिक होने के नाते यदि कोई पीड़ित नजर आता है तो उसकी मदद करे, उसे हिम्मत दे ताकि वह अपनी कानूनी लड़ाई बिना किसी डर, झिझक के लड़ सके। यह बात ललीत किशोर गर्ग प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने स्थानीय एडीआर सेन्टर के बैंठक हॉल में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण व जन साहस संस्था द्वारा आयोजित एक दिवसीय कर्याशाला को संबोधित करते हुए कहीं।
उन्होंने कहा कि आज समाज का स्वरूप बिगड़ रहा है। कई मामलों में परिचित या रिश्तेदार ही आरोपी निकलते है। साथ ही उन्हौने इसके दुष्परिणाम से अवगत कराते हुए इसके रोकथाम हेतु इस दिशा में सार्थक व कारगर कदम उठाने के साथ अपने बच्चों के प्रति अधिक संवेदनशील होने की आवश्यकता पर बल दिया।
महिलाओं-बच्चों से जुड़े विभिन्न विषयों पर चर्चा
कार्यशाला में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव व जिला न्यायाधीश राजेन्द्र देवड़ा ने महिलाओं एवं बच्चों से जुड़े विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई। साथ ही कार्यस्थल पर महिलाओं का लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम, महिलाओं तथा बच्चों के अधिकार, स्वास्थ्य एवं पोषण विषयों पर चर्चा की गई।
कार्यशाला को जिला न्यायाधीश प्रवीण शिवहरे ने अपने उद्बोधन में बाल अपराधों के घटित होने के सामाजिक कारणों का विश्लेषण करते हुये प्रतिभागियों को इन कुरीतियों के उन्मूलन का संकल्प लेने हेतु प्रेरित किया। कार्यशाला को प्रशिक्षक कमल राठौर ने भी संबोधित किया।
यह रहे उपस्थित
इस अवसर पर मोहम्मद अजहर विशेष न्यायाधीश, नीतूकान्ता वर्मा प्रथम जिला न्यायाधीश, अनिल नामदेव जिला न्यायाधीश, आशीष परसाई, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, आदिल अहमद खान चतुर्थ व्यवहार न्यायाधीश, सुश्री हर्षिता जैन प्रथम व्यवहार न्यायाधीश, डॉ. स्वाति चौहान द्वितीय व्यवहार न्यायाधीश, अनिरूद्ध जैन चतुर्थ व्यवहार न्यायाधीश, उर्वशी यादव अति व्यवहार न्यायाधीश सहित विभिन्न संस्थाओं से जुडे सदस्यगण उपस्थित थे। कार्यशाला का संचालन जिला विधिक सेवा सहायता अधिकारी फारूक एहमद सिद्धिकी ने किया।