शाजापुर/आदित्य शर्मा की रिपोर्ट। शाजापुर में तीर्थंकर भगवंतों की वाणी का सार आगम ग्रंथों में वर्णित है। जिनका वाचन, श्रवण या अध्ययन करने वाला मानव जीवन की सरलता को प्राप्त कर सकता है। इसीलिए इन्हें मोक्ष का आधार भी बताया गया है।
यह बात प.पू.जैन साध्वी शुद्धि प्रसन्ना श्रीजी म.सा. की सुशिष्या प्रवृद्धि श्रीजी म.सा.ने बुधवार को नगर के सिद्धचक्र जिनालय में निर्मित नूतन आगम मंदिर, श्रीसिद्धाचल पट्ट, श्री गिरनार पट्ट सहित माता सरस्वती व गुरूदेव आनंदसागरजी म.सा.की प्रतिमा तथा उपाश्रय में निर्मित चारित्र मंदिर के उद्घाटन महोत्सव में उपस्थित समाजजनों को आशीर्वचन प्रदान करते हुए कही। इस अवसर पर साध्वी समृद्धिश्रीजी भी विराजित रहे। इसके पूर्व सुबह 6 बजे मंदिर में भगवान महावीर के निर्वाण का लड्डू चढ़ाया गया तथा गौतम रास का पाठ किया गया। जिसके उपरांत 45 आगमों के लाभार्थियों द्वारा मस्तक पर आगम ग्रंथ धारण कर नगर भ्रमण किया गया।
इस दौरान अश्व रथों में लाभार्थी परिजनों ने माता सरस्वती, गुरूवर आनंद सागरजी की प्रतिमा सहित तीर्थंकरों की तस्वीरों को विराजित कर भ्रमण करवाया। उक्त चल समारोह चौबीस जिनालय धाम से प्रारंभ होकर नगर के विभिन्न प्रमुख मार्गों आजाद चौक, सोमवारिया बाजार, नागनागिनी रोड़, टाकीज चौराहा, नईसड़क तथा पुनः आजाद चौक होकर जैन उपाश्रय पहुंचकर सम्पन्न हुआ। जहां लाभार्थी परिजनों द्वारा मंदिर के द्वार उद्घाटन के साथ आगम ग्रंथों की स्थापना की तथा चारित्र मंदिर, श्री सिद्धाचल पट्ट व श्री गिरनारजी के पट्ट का अनावरण किया।
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