हाइलाइट्स
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अब अफ्रीकन नस्ल के बकरे मिलेंगे
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78 सीमेन कई नस्ल के मंगाए गए हैं
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वजन ज्यादा होने से बढ़ेगी आमदनी
Ambikapur CG News: छत्तीसगढ़ में पहली बार अंबिकापुर में पशुधन विकास विभाग ने नई पहल की है। अब पशु पालकों को उनका व्यापार और आमदनी बढ़ाने के लिए नया जरिया इजात करने का प्लान बनाया है।
इसी प्लान के तहत विभाग ने अफ्रीकन बोयर नामक बकरे की नस्ल बनाने को लेकर पहल की है।
अंबिकापुर (Ambikapur CG News) पशुधन विकास विभाग की पहल पर जल्द ही सरगुजा में अफ्रीकन बोयर नस्ल के बकरा-बकरी नजर आएंगे। स्थानीय बकरा-बकरी की तुलना में इनका वजन तीन से चार गुना अधिक होता है।
इनकी कीमत भी बाजार में सबसे ज्यादा होती है। बोयर बकरे का औसतन वजन 100 किलो ग्राम और बकरी का औसतन वजन 80 किलो ग्राम होता है।
अफ्रीकन नस्ल के 7800 सीमेन मंगाए
किसानों की आमदनी बढ़ाने के उद्देश्य से अफ्रीकन बोयर नस्ल बनाने के लिए पशुधन विकास विभाग ने सीमेन मंगाए हैं। पशुपालन विभाग ने बकरियों में कृत्रिम गर्भाधान के लिए 78 सौ सीमेन मंगाए हैं। इसमें जमुनापारी, सिरोही, बारबरी के साथ विदेशी नस्ल अफ्रीकन बोयर का सीमेन भी मंगाया गया है।
बोयर नस्ल की जाएगी तैयार
प्रदेश में पहली बार अंबिकापुर (Ambikapur CG News) में पशुधन विकास विभाग के द्वारा नवाचार किया जा रहा है। विदेशी नस्ल अफ्रीकन बोयर नामक बकरे के सीमेन से कृत्रिम गर्भधारण कर पशु पालकों को आमदनी का बड़ा जरिया बनाने की ओर कदम बढ़ाया है।
पहले गाय भैंसों में कृत्रिम गर्भधारण कर उन्नत नस्ल बढ़ाई जा रही थी। अब अफ्रीकन बोयर नस्ल के बकरा-बकरी तैयार किए जाएंगे।
तीन से चार गुना ज्यादा वजन
सरगुजा संभाग (Ambikapur CG News) में बकरी पालन अतिरिक्त आय का माध्यम है। बकरी पालन का कार्य आर्थिक रूप से कमजोर किसान करते हैं, क्योंकि इसको पालना और खिलाना आसान होता है।
खेती-किसानी के साथ बकरी पालन कर ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोग लाभ कमा रहे हैं। वही अब जल्द ही सरगुजा जिले में अफ्रीकन बोयर नस्ल के बकरा-बकरी नजर आएंगे।
स्थानीय बकरा-बकरी की तुलना में इनका वजन तीन से चार गुना अधिक होता है। अफ्रीकन बोयर नस्ल के बकरा का औसत वजन 100 किलो तथा बकरी का वजन 80 किलो तक होता है।
इन नस्लों के मंगाए सीमेन
बता दें कि बकरी पालकों के हित में कलेक्टर विलास भोसकर के निर्देश पर पशुपालन विभाग ने बकरियों में कृत्रिम गर्भाधान के लिए 7800 सीमेन मंगाए हैं। इसमें जमुनापारी, सिरोही, बारबरी के साथ विदेशी नस्ल अफ्रीकन बोयर का सीमेन भी मंगाया गया है। पहली बार अफ्रीकन नस्ल के बकरा के सीमेन मंगाए हैं। जहा कृत्रिम गर्भाधान की शुरुआत भी कर दी है।
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वजन का बड़ा महत्व रहता है
कृत्रिम गर्भाधान को लेकर वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ. सीके मिश्रा ने बताया कि बकरी पालन (Ambikapur CG News) में वजन का बड़ा महत्त्व है। जितना अधिक वजन का बकरी-बकरा होगा वह उतने अधिक दाम पर बिकेगा।
बकरा-बकरी का पालन सिर्फ मांस बिक्री के उद्देश्य से किया जाता है। बाजार में यह कम से कम 500 रुपए प्रति किलो बिक रहा है।
स्थानीय नस्ल में अधिकतम वजन 20 से 25 किलो होता है, लेकिन कृत्रिम गर्भाधान से नस्ल सुधार के बाद इनका वजन, स्थानीय नस्ल की तुलना में लगभग तीन से चार गुना हो जाता है।
चूंकि वजन पर इसका दाम निर्धारित होता है, इसलिए नस्ल सुधार के बाद ग्रामीणों को अधिक आय भी प्राप्त हो रही है।