Scindia Royal Family: ग्वालियर किले में छिपा है 'गंगाजली' का खजाना!, जानिए इस गुप्त तहखाने की कहानी

Scindia Royal Family: ग्वालियर किले में छिपा है ‘गंगाजली’ का खजाना!, जानिए इस गुप्त तहखाने की कहानी

Scindia Royal Family

ग्वालियर। लोग आज भी ग्वालियर किले में खजाना दबे होने की बात करते हैं। कहा जाता है कि किले के अंदर एक गुप्त तहखाने में अरबों का खजाना दबा हुआ है। लोग इस खजाने को ‘गंगाजली’ के नाम से जानते हैं। स्थानीय लोग कहते हैं कि ग्वालियर किले के गुप्त तहखानों में सिंधिया के महाराजा ने इस खजाने को रखवाया था। हालांकि कुछ लोग इस गुप्त खजाने पर विश्वास करते हैं, तो कुछ बस इसे एक कहानी मानते हैं। हालांकि कई बार इसकी हकीकत भी सामने आई है। ऐसे में आज हम आपको गंगाजली खजाने की कहानी बताएंगे। जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां तक पहुंचने के रास्ते का राज एक कोड वर्ड के रूप में बीजक में छिपाकर रखा गया है।

खजाने का रहस्य जयाजीराव जानते थे

आपको बता दें कि इस खजाने का रहस्य केवल महाराज जयाजीराव सिंधिया जानते थे। लेकिन 1886 में महज 52 साल की उम्र में बीमारी के कारण उनका निधन हो गया। वे अपने वारिस माधव राव सिंधिया द्वितीय को इसका रहस्य भी नहीं बता पाये। लेकिन माधवराव द्वितीय काफी भाग्यशाली थे। एक दिन वे किले के एक गलियारे से गुजर रहे थे। इस रास्ते की तरफ से कोई आता-जाता नहीं था। तभी उनका अचानक से पैर फिसला। उन्होंने खुद को संभालने के लिए एक खंभे का सहारा लेना चाहा। लेकिन माधवराव द्वितीय ने उस खंभे को जैसे ही पकड़ा, वो आश्चर्यजनक रूप से एक तरफ झुक गया और एक गुप्त छुपे हुए तहखाने का दरवाजा खुल गया।

पहले एक तहखाना मिला

माधवराव द्वितीय ने इसके बाद अपने सिपाहियों को बुलाया और तहखाने की छानबीन की। छानबीन के दौरान उन्हें 2 करोड़ चांदी के सिक्कों के साथ कई बहुमूल्य रत्न मिले। इस खजाने के मिलने के बाद माधवराव सिंधिया द्वितीय की आर्थिक स्थिति काफी मजबूत हो गई थी। हालांकि तब माधवराव द्वितीय को सिर्फ एक तहखाना ही मिला था, गंगाजली के बाकी खजानों की खोज तो अभी बाकी ही थी। ऐसे में माधवराव सिंधिया ने खजाने को खोजने के लिए अपने पिता के समय के ज्योतिषी को बुलाया। ज्योतिषी ने महाराज के सामने शर्त रख दी, शर्त के अनुसार महाराज को बगैर हथियार के अकेले उसके साथ जाना था। महाराज मान गए।

दूसरी बार भी खजाना पाने से चुक गए माधवराव

हालांकि उन्होंने अपने राजदंड को साथ रखा। ज्योतिषी, महाराज को अंधेरी भूलभुलैयानुमा सीढियों से नीचे ले गया। महाराज और ज्योतिषी गंगाजली तहखाने के करीब पहुंच भी गए थे। लेकिन तभी महाराज को लगा कि उनके पीछे कोई आ रहा है, उन्होंने अपने बचाव में राजदंड से अंधेरे में ही प्रहार कर दिया और दौड़ कर ऊपर आ गए। ऊपर खड़े सैनिकों को जब वे साथ लेकर नीचे गए तो उन्होंने देखा कि गलती से उन्होंने ज्योतिषी को ही मार दिया है। माधवराव द्वितीय एक बार फिर बाकी के खजाने तक पुहंचने से चुक गए।

आज भी पूरा खजाना पहुंच से बाहर है

कहा जाता है गंगाजली का पूरा खजाना आज भी सिंधिया घराने की पहुंच से बाहर है। हालांकि इतिहास की किताबों में इस खजाने का कोई जिक्र नहीं है। लेकिन कई संस्मरणों में इसके बारे में संकेत मिलते हैं। राजमाता विजयाराजे सिंधिया के संस्मरणों में भी इसके संकेत मिले हैं। इसके अलावा, सिंधिया रियासत के तत्कालीन गजट विवरणों में भी इसका उल्लेख मिलता है।

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