Scam 2003: स्टाम्प पेपर घोटाला, जिसे तेलगी घोटाला के नाम से भी जाना जाता है, एक वित्तीय घोटाला था जो 1992 में शुरू हुआ और 2002-2003 के दौरान सामने आया।
तेलगी देश के सबसे बड़े घोटालों में से एक का मास्टरमाइंड था, जो भारत के कई राज्यों में फैला था और इसकी कीमत 30 हजार करोड़ रुपये से अधिक थी। इस कारण घोटाले के पीछे के मास्टरमाइंड अब्दुल करीम तेलगी को दोषी ठहराया गया।
कोन है अब्दुल करीम
29 जुलाई 1961 को कर्नाटक में पैदा हुए अब्दुल करीम तेलगी ने ट्रेनों में फल और सब्जियां बेचकर अपनी शिक्षा का खर्च उठाया और बाद में सऊदी अरब चला गया। जब तेलगी छोटा था तब उसके पिता का निधन हो गया था जो एक भारतीय रेलवे कर्मचारी थे।
सात साल बाद, वह मन में एक नए फ्रॉड के साथ भारत लौटा। उसने अपनी कंपनी अरेबियन मेट्रो ट्रैवल्स के जरिए भारत से सऊदी अरब में लेबर निर्यात करने के लिए फर्जी पासपोर्ट और दस्तावेज बनावाये। फिर नकली स्टांप पेपर बनाने की ओर बढ़ गए।
30 हजार करोड़ का घोटाला
धीरे-धीरे जब तेलगी ने नकली स्टाम्प पेपर बनाना शुरू किया तो वह इसका विस्तार करने लगा। उसने बैंकों, बीमा कंपनियों और स्टॉक ब्रोकरेज फर्मों जैसे वित्तीय संस्थानों को नकली सामान बेचने के लिए 300 एजेंटों की भर्ती की। इस ऑपरेशन का पैमाना चौंका देने वाला था, जिसका अनुमान लगभग 30 हजार करोड़ रुपये था।
17 जनवरी 2006 को, तेलगी और कई सहयोगियों को 30 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई। बाद में 2007 में तेलगी को 13 साल की अतिरिक्त सज़ा दी गई इसके साथ उससे 202 करोड़ रुपये का जुर्माना भी भरने को कहा गया था। आयकर विभाग ने अनुरोध किया कि जुर्माना भरने के लिए तेलगी की संपत्ति जब्त कर ली जाए।
2003 में ‘द फाइनेंशियल टाइम्स’ के अनुसार, तेलगी के खिलाफ महाराष्ट्र में इन टिकटों से संबंधित कम से कम 12 मामले दर्ज किए गए थे और 1992 और 2002 के बीच अन्य राज्यों से अतिरिक्त 15 मामले दर्ज किए गए थे।
स्कैम 2003: द टेल्गी स्टोरी के बारे में
‘स्कैम 2003’ के बारे में बात करते हुए, हंसल मेहता जो की इसके निर्देशक हैं, उनका कहना है कि, “ये उस इंसान के संघर्ष की पहचान के साथ-साथ उन गलत कामों के बारे में है जो की एक गलत तरीके से सफलता को पाना चाहता है।
जहां स्केम एक हसल का जश्न है वहीं ये अवैधता के बारे में बताता है और जो सिस्टम आपको मजबूर करता है भ्रष्टाचार करने के लिए।
हंसल मेहता एक कहानीकार के रूप में पिछले 30 वर्षों से काम कर रहे हैं। “हम एक ऐसे समय में रहते हैं जहां जिन लोगों के पास चमकने का अवसर नहीं है, उन्हें चमकने के लिए दौड़ने की जरूरत है। मैंने ‘खाना खजाना’ के दिनों से ऐसा किया है।
इसमें 30 साल की दौड़ है, लेकिन मेरी दौड़ तेल्गी से अलग है। मैं विश्वास करना चाहूंगा कि मैं जहां हूं वहां पहुंचने में मैंने कोई घोटाला नहीं किया है।
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