बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर में साल 2013 में कांग्रेसी नेताओं की हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट से NIA को झटका लगा है। कोर्ट ने कहा है कि माओवादी हमलों में बड़ी राजनीतिक साजिश के आरोपों का मामला चलता रहेगा।
छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा 2020 में दर्ज की गई नई FIR के खिलाफ एनआईए की याचिका खारिज कर दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम मामले में दखल नहीं देंगे।
2013 में माओवादियों ने किया था हमला
सुकमा के झीरम घाटी में 2013 में माओवादियों के हमले में 27 कांग्रेस नेताओं की मौत की जांच एनआईए द्वारा किये जाने के बावजूद, राज्य पुलिस से कराये जाने के राज्य सरकार के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था।
NIA इस मामले की जांच 2013 से कर रही है। इस मामले में 39 लोगों को आरोपी बनाया गया है और उनके खिलाफ 2 चार्जशीट दायर की गई है।
2018 में बघेल सरकार ने शुरु की दोबारा जांच
इसके बाद साल 2018 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री बघेल ने दोबारा झीरम कांड की जांच के लिए विशेष जांच दल का गठन किया था। कांग्रेस सरकार का कहना था कि एनआइए ने जांच में जिन बिंदुओं को छोड़ दिया है।
एसआइटी केवल उन विंदुओं की जांच करेगी। इस पर एसआईटी के खिलाफ नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी जिस पर सुनवाई चल रही थी।
वकील सुदीप श्रीवास्तव ने दी जानकारी
इस मामले में राजनांदगांव के दिवंगत विधायक उदय मुदलियार के बेटे के वकील सुदीप श्रीवास्तव ने कहा कि आज सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच ने एनआईए की अपील को खारिज कर दिया है।
इस मामले में छत्तीसगढ़ पुलिस ने वृहद षड्यंत्र की जांच के लिए एफआईआर दर्ज की थी। मामले में एनआईए का कहना था कि चूंकि जांच हमने की है इसलिए छत्तीसगढ़ पुलिस इस जांच को नहीं कर सकती।
एनआईए ने जांच पर रोक की मांग की थी
इस मामले में छत्तीसगढ़ सरकार और राजनांदगांव के पूर्व विधायक उदय मुललियार के बेटे जितेंद्र मुदलियार ने थाना दरभा में आवेदन किया था। इस आधार पर पुलिस नया एफआईआर दर्ज कर मामले की चांच कर रही थी। जांच को राकने के लिए एनआईए ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
निचली अदालत से उच्चतम न्यायालय तक चला केस
मामले में निचली अदालत से उच्चतम न्यायालय तक केस चला। सभी जगह छत्तीसगढ़ पुलिस के पक्ष में फैसला आया है। शिकायतकर्ताओं का कहना था कि इस मामले में वृहद षड्यंत्र की जांच एनआईए ने जानबूझकर नहीं की है, इसलिए दोबारा उन्हें जांच देने का सवाल ही नहीं होता।
इन तर्कों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने एनआईए की अपील को खारिज कर दी है। अब इस मामले की जांच छत्तीसगढ़ पुलिस कर सकेगी।
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