Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने लिव-इन संबंधों के रजिस्ट्रेशन से जुड़ी याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने याचिका को मूर्खतापूर्ण विचार करार देते हुए कहा कि केंद्र सरकार इस मामले में क्या करेगी।
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने याचिकाकर्ता ममता रानी के वकील से पूछा कि क्या वह इन लोगों की सुरक्षा बढ़ाना चाहती है या वह चाहती है कि वे लिव-इन संबंधों में न रहें। इसके जवाब में वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता लिव इन में रहने वाले लोगों की सामाजिक सुरक्षा बढ़ाने के लिए इन संबंधों का पंजीकरण चाहती है।
पीठ ने कहा, लिव इन संबंधों के पंजीकरण का केंद्र से क्या लेना देना है, यह कैसा मूर्खतापूर्ण विचार है ? अब समय आ गया है कि कोर्ट ऐसी जनहित याचिकाएं दायर करने वालों पर जुर्माना लगाना शुरू करे ।
बता दें कि वकील ममता रानी ने एक याचिका दायर कर लिव-इन रिलेशनशिप के पंजीकरण के लिए नियम बनाने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग की थी। याचिका में लिव-इन पार्टनरों द्वारा हाल के समय में हुए बलात्कार और हत्या जैसे अपराधों में बढ़ोतरी का हवाला दिया गया था। इसमें श्रद्धा वालकर जैसे हाल के मामलों का जिक्र था, जिसकी लिव इन पार्टनर आफताब पूनावाला ने हत्या की थी। याचिका में ऐसे रिलेशनशिप के रजिस्ट्रेशन के लिए नियम और दिशानिर्देश तैयार करने की भी मांग की गई थी।