Electoral Bond: सुप्रीम कोर्ट (SC) की फटकार के बाद एसबीआई ने इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bond) के डिटेल चुनाव आयोग को दे दिए थे । चुनाव आयोग ने वो डेटा अपनी वेबसाइट पर पब्लिश भी कर दिया था।
लेकिन, इस जानकारी में यूनिक नंबर Unique Number नहीं था। जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट (SC) ने एसबीआई (SBI) को फिर से फटकार लगाई और गुरुवार यानी आज तक Unique Number जारी करने को कहा गया था।
क्या है पूरा मामला ?
एसबीआई ने जैसे ही इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा जारी किया बैसे ही 24 घंटे के अंदर ही सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर एसबीआई (SBI) को जमकर लताड़ दिया। क्योंकि एसबीआई ने सबसे अहम जानकारी ही चुनाव आयोग को नहीं दी थी। ये जानकारी थी इलेक्टोरल बॉन्ड के यूनिक नंबर की।
जहां सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई की तरफ से चुनाव आयोग को सौंपे गए इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bond) से जुड़ी जानकारियों में यूनिक नंबर को शामिल नहीं किया जाने पर नाराजगी जताई थी। वहीं एसबीआई को यूनिक नंबर शेयर करने के आदेश दिए थे।
क्या है यूनिक नंबर?
सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई (SBI) से इलेक्टोरल बॉन्ड का कौन सा नंबर साझा करने को कहा है और सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि आखिर इस नंबर के सामने आने से क्या-क्या पता चल जाएगा। हर इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bond) पर यूनिक नंबर होता है।
जिसे अल्फान्यूमेरिक कोड भी कहते हैं, अल्फान्यूमेरिक कोड ठीक बैसा ही है जैसे आप पासवर्ड या कुछ आईडी वगैरह बनाते हैं तो उसमें कुछ अल्फाबेट (a,b,C,d जैसे), कुछ नंबर (1,2,3,4) या/और @, $, # जैसे स्पेशल कैरेक्टर को मिलाकर कोड बनाते हैं।
उसी तरह जब पार्टियों को चंदा देने के लिए कोई बॉन्ड (Electoral Bond) खरीदता है तो उसमें भी इसी तरह का एक कोड होता है। यूनिक बॉन्ड नंबर हर बॉन्ड पर दर्ज वह नंबर होता है, इसे सिर्फ अल्ट्रावॉयलेट किरणों (UV Rays) में देखा जा सकता है। हर एक इलेक्टोरल बॉन्ड को एक अलग अल्फान्यूमेरिक कोड सौंपा गया है।
फिर अभी एसबीआई ने कौन सा डेटा जारी किया है?
वर्तमान में, एसबीआई ने चुनाव आयोग को दो साइलो में डेटा दिया है – दानकर्ता जिन्होंने बॉन्ड खरीदे और प्राप्तकर्ता जिन्होंने उन्हें भुनाया – और सारे लिंक गायब है, कई रिपोर्ट में ये दावा किया गया है की चुनावी बॉन्ड खरीदने वाले और प्रत्येक बॉन्ड को भुनाने वाले के बीच एक-पर-एक पत्राचार केवल तभी किया जा सकता है, जब प्रत्येक ईबी का अल्फा-न्यूमेरिक नंबर, उपलब्ध हो।
इस पर पीठ ने कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं है कि एसबीआई को सभी विवरणों का खुलासा करना आवश्यक था। हम स्पष्ट करते हैं कि इसमें भुनाए गए बॉन्ड का अल्फा-न्यूमेरिक नंबर और सीरियल नंबर, यदि कोई हो, शामिल होगा।” एसबीआई की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने शीर्ष अदालत से कहा कि अगर चुनावी बांड की संख्या बतानी होगी तो हम देंगे।
यूनिक नंबर से ऐसा क्या पता चलेगा ?
यूनिक नंबर हर बॉन्ड पर अलग-अलग होता है यूनिक नंबर को अक्सर मैचिंग कोड कहा जाता है इस नंबर से पता चलता है कि आखिर कोई खास बॉन्ड किसने खरीदा और किसके लिए खरीदा। मतलब अगर यूनिक नंबर हाथ लग जाए तो साफ साफ पता चल जाएगा कि किस कंपनी संस्थान या व्यक्ति ने किस राजनीतिक दल को कितना चंदा दिया है।
गौरतलब है कि एसबीआई ने अभी जो जानकारियां चुनाव आयोग को दी है उससे यह पता चल रहा है कि किस पार्टी को किससे कितना चंदा मिला है। अभी बस इतना पता चला है कि किस कंपनी ने कितनी कीमत के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे हैं। किस-किस पार्टी को इलेक्टोरल बॉन्ड के कितने पैसे मिले हैं।
ऐसे में इलेक्टोरल बॉन्ड की यह खास डिटेल नहीं जमा करके एसबीआई ने कई सवाल भी खड़े कर दिए हैं क्या किसी जल्दबाजी में ये डिटेल नहीं दिए गए या किसी खास दबाव में एसबीआई ने ऐसा कदम उठाया।
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