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Sabudana Khichdi: साबूदाना खिचड़ी इंदौरी पोहे को दे रही टक्कर, सावन में ज्यादातर लोगों की पहली पसंद, खूब है डिमांड

Sabudana Khichdi; सावन के पावन महीने में इंदौर में साबूदाना खिचड़ी की डिमांड अचानक दोगुनी हो गई है। जानें क्यों उपवास में यह बन गई है सबसे पसंदीदा डिश, कैसे बनती है और इसके सेहत से जुड़े फायदे।

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anjali pandey
Sabudana Khichdi: साबूदाना खिचड़ी इंदौरी पोहे को दे रही टक्कर, सावन में ज्यादातर लोगों की पहली पसंद, खूब है डिमांड

Sabudana Khichdi:  सावन का पवित्र महीना शुरू होते ही देशभर में व्रत और पूजा-पाठ का माहौल बन गया है। खासकर इंदौर में इन दिनों एक खास डिश की डिमांड तेजी से बढ़ गई है। साबूदाना खिचड़ी। चटोरों के इस शहर में, जहां पोहे की एक अलग ही पहचान है, वहीं सावन में साबूदाना खिचड़ी हर गली और नुक्कड़ पर छा गई है।

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सावन में क्यों बढ़ी खिचड़ी की डिमांड?

सावन में व्रत रखने वाले श्रद्धालु फलाहारी भोजन को प्राथमिकता देते हैं और ऐसे में साबूदाना खिचड़ी उनकी पहली पसंद बन जाती है। इसमें भरपूर कार्बोहाइड्रेट होता है, जो उपवास के दौरान शरीर को भरपूर ऊर्जा प्रदान करता है।

रॉयल रत्न साबूदाना के डायरेक्टर राजकुमार साबू के अनुसार, साबूदाना ऊर्जा का अच्छा स्रोत है और उपवास के दौरान शक्ति बनाए रखता है। यही वजह है कि सावन में इसकी खपत दोगुनी तक हो जाती है।

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इंदौर में 500 से ज्यादा खिचड़ी स्टॉल्स

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इंदौर की गलियों में आज करीब 500 से अधिक साबूदाना खिचड़ी के स्टॉल्स मौजूद हैं, जहां अलग-अलग वैरायटीज में खिचड़ी परोसी जाती है। 20 रुपये से लेकर 60 रुपये तक के विकल्पों में मिलने वाली यह खिचड़ी व्रतधारियों के साथ-साथ आम लोगों के लिए भी एक बेहतरीन नाश्ता बन गई है।

स्टॉल संचालकों के मुताबिक, खास बात यह है कि खिचड़ी न तो सख्त रहती है और न ही चिपचिपी यह नर्म, सॉफ्ट और बेहद स्वादिष्ट होती है।

कैसे बनती है इंदौरी स्टाइल की साबूदाना खिचड़ी?

साबूदाना को एक दिन पहले पानी में भिगोकर रखा जाता है ताकि वह फूलकर अच्छी तरह नरम हो जाए। इसके बाद इसमें डाले जाते हैं:

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  • सेंधा नमक
  • उबले आलू का मिश्रण
  • शक्कर और नींबू का रस

काली मिर्च, अनारदाना और धनिया पत्ती

इस खिचड़ी की खास बात यह है कि इसमें लहसुन और प्याज का प्रयोग नहीं किया जाता, जिससे यह पूरी तरह फलाहारी बनी रहती है। यही वजह है कि उपवास रखने वाले और जिम जाने वाले दोनों ही इसे बड़े चाव से खाते हैं।

देश से विदेश तक ‘सच्चा मोती’ की मांग

इंदौर में रोजाना 50 टन से ज्यादा साबूदाने की खपत होती है, जबकि पूरे मध्य प्रदेश में यह आंकड़ा 500 टन प्रतिदिन तक पहुंचता है। सावन में यह डिमांड दोगुनी हो जाती है। रॉयल रत्न ब्रांड न केवल देशभर में, बल्कि विदेशों में भी लोकप्रिय है।

उपवास ही नहीं, रोज का स्वाद भी

साबूदाना खिचड़ी आज सिर्फ व्रत का खाना नहीं रही, बल्कि इंदौरियों के रोजमर्रा के नाश्ते का अहम हिस्सा बन चुकी है। खासतौर पर जिम जाने वाले युवाओं में इसकी डिमांड ज्यादा देखी जाती है, क्योंकि यह हल्की होने के साथ-साथ पेट भरने वाला और एनर्जेटिक फूड है। यदि आप भी इन दिनों इंदौर घूमने आ रहे हैं, तो साबूदाना खिचड़ी का स्वाद जरूर लें यह केवल स्वाद नहीं, इंदौर की खास पहचान बन चुकी है।

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