Sawan 2023 Solah Somwar: पौरानिक कथाओं से पता चलता है कि देवी पार्वती ने महादेव को पाने के लिए सोलह सोमवार के व्रत की शुरुआत की थी। बताया गया है कि सती के दूसरे रूप में मां पार्वती ने जन्म लिया था। हर जन्म में भोलेनाथ को अपना पति बनाने का प्रण लिया था।
यही वजह है कि सोलह सोमवार का व्रत कर रखकर कठिन तपस्या की थी और एक बार वापस से भगवान शिव को प्राप्त कर लिया था। आपको बताते कि सावन सोमवार में किस तरह की पूजा करना चाहिए। क्या नियम क्या है हमें इस बारे में सही से जानकारी नहीं होती है, तो हम आपको बता चले कि यदि आप अपना दुखों को दूर करना चाहते हो, तो जाने पूरी जानकारी में कभी दुखों से परेशान नहीं होंगे।
जानें सावन में शिव को जल कैसे चढ़ाएं (Sawan Jalabhishek Niyam)
जल चढ़ाने का पात्र
शास्त्रों में बताया गया है कि शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए तांबे, कांसे या चांदी के पात्र सबसे अच्छा माना जाता है। वहीं दूध चढ़ाने के लिए पीतल या चांदी के बर्तन का प्रयोग करें।
सही दिशा
शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय साधक को उत्तर दिशा की ओर मुख करना चाहिए। मान्यता है कि इस दिशा में मुख करके जलाभिषेक करने पर माता पार्वती और शिव जी दोनों का आशीर्वाद मिलता है।
कैसे चढ़ाएं जल
भोलेथान को जल अर्पित करते समय जल की एक पतली धारा बनाकर मंत्र जाप करते हुए जल चढ़ाएं। शिवलिंग पर कभी खड़े होकर जल नहीं चढ़ाना चाहिए, इसे भोलेथान स्वीकार नहीं करते हैं। बैठकर और शांत मन से जलाभिषेक करें।
इस चीज न करें उपयोग
शिव शंभू की पूजा में शंख वर्जित है, ऐसे में शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए शंख का इस्तेमाल न करें। शिवपुराण के अनुसार, शिवजी ने शंखचूड़ नाम के दैत्य का वध किया था। ऐसा माना जाता है कि शंख उसी दैत्य की हड्डियों से बने होते हैं। इसलिए शिवलिंग पर शंख से जल नहीं चढ़ाना चाहिए।
जानें सावन सोमवार पूजा की विधि के बारे में
सबसे पहले सूर्योदय से पूर्व पानी में काले तिल डालकर स्नान करें। साफ वस्त्र धारण करें और फिर शिव जी के समक्ष 16 सोमवार व्रत का संकल्प लें। व्रत का संकल्प लेने के लिए हाथ में पान का पत्त, सुपारी, जल, अक्षत और कुछ सिक्के लेकर शिव जी के इस मंत्र का जाप करें।
ऊं शिवशंकरमीशानं द्वादशार्द्धं त्रिलोचनम्। उमासहितं देवं शिवं आवाहयाम्यहम्॥
16 सोमवार का पूजन शाम के समय प्रदोष काल में किया जाता है। घर में पूजा कर रहे हैं तो एक तांबे के पात्र में शिवलिंग रखें और गंगाजल में गाय का दूध मिलाकर अभिषेकर करें। षडोपचार विधि से भगवान शिव का पूजन करें।
ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप भगवान भोलेनाथ को पंचामृत अर्पित करें। उन्हें सफेद चंदन लगाएं। सोलह सोमवार की बताई गई सामग्री शिव जी और मां पार्वती को अर्पित करें।
महामृत्युंजय मंत्र, शिव चालीसा का पाठ जरुरी
पूजा के समय महामृत्युंजय मंत्र, शिव चालीसा का पाठ करें। धूप, दीप लगाकर सोमवार व्रत की कथा पढ़ें। सोलह सोमवार की पूजा में भगवान शिव को चूरमें का भोग लगाना चाहिए। इसके लिए आधा सेर गेहूं के आटे से चूरमा बनाएं और उसमें घी-गुड़ मिलाकर शिव जी अर्पित करें। खीर का भोग भी लगा सकते हैं।
परिवार सहित शंकर जी की आरती करें। सभी में प्रसाद बांटने के बाद खुद भी ग्रहण करें। ध्यान रहे प्रति सोमवार एक ही समय और जहां पूजा की है उसी स्थान पर प्रसाद ग्रहण करना चाहिए।
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