Sarpanch Lakshika Dagar : न्यूज एंकर और रेडियों जॉकी में अपना हुनर दिखाने वाली 21 साल की लक्षिका डागर (Sarpanch Lakshika Dagar) अब सरपंच बन गई है। लक्षिका डागर (Sarpanch Lakshika Dagar) ने सरपंच बनकर सबसे कम उम्र में यह एक बड़ी उपलब्धि हांसिल की है। लक्षकी को सरपंच (Sarpanch Lakshika Dagar) बनने का तोहफा 26 जून को मिला और 27 जून यानि आज उनका जन्मदिन है। लक्षिका डागर (Sarpanch Lakshika Dagar) चिंतामन जवासिया ग्राम की सरपंच बनी है। सरपंची का चुनाव जीतने के बाद लक्षिका डागर (Sarpanch Lakshika Dagar) ने कहा है कि पंचायत के लोगों ने मेरे ऊपर भरोसा किया है। एक पढ़ी-लिखी लड़की पर लोगों ने भरोसा किया है। मैं उनकी उम्मदों खरा उतरने की कोशिश करूंगी।
कौन है लक्षिका डागर (Sarpanch Lakshika Dagar)
मध्यप्रदेश ग्राम पंचायत चुनाव में इस बार कई लड़कियां सरपंची के चुनावी मैदान में है। कई तो निर्विरोध चुने जा चुके है। 25 जून को पहले चरण की वोटिंग खत्म होने के बाद मतों की गणना शुरू हुई जिसमें लक्षिका (Sarpanch Lakshika Dagar) ने विजयी हासिल की। लक्षिका सरपंच बनने से पहले स्थानीय चौनल में न्यूज एंकर और रेडियो जॉकी भी रही है। लक्षिका (Sarpanch Lakshika Dagar) के पिता दिलीप डागर सहकारी केंद्रीय बैंक भरतपुरी में रीजनल अधिकारी के पद पर हैं। चिंतामन जवासिया ग्राम पंचायत में सरपंच पद के लिए आठ महिला उम्मीदवार थीं, उन सबों को पछाड़कर लक्षिका डागर (Sarpanch Lakshika Dagar) ने जीत हासिल की है। इसके बाद गांव-घर में जश्न का माहौल है। पंचायत के चुनाव में कुल आठ महिलाओं ने सरपंच पद के लिए पर्चा दाखिल किया था। लक्षिका ने सभी उम्मीदवारों को हराकर 487 मतों से जीत हासिल की है। लक्षिता डागर ने काफी समय तक पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी सेवाएं दी। उन्होंने जनसंचार में स्नातकोत्तर डिप्लोमा की है। उज्जैन से संचालित एक एफएम चौनल में लक्षिका डागर (Sarpanch Lakshika Dagar) रेडियो जॉकी भी है। सरपंची का चुनाव जीतकर लक्षिका (Sarpanch Lakshika Dagar) ने कम उम्र में ही जिले में ये एक अलग पहचान बनाई है।
लक्षिता का लक्ष्य, गांव का विकास
लक्षिका डागर (Sarpanch Lakshika Dagar) चुनाव जीत गई। उसने अपने क्षेत्र के लोगों से वादा किया है कि मेरा उदेश्य गांव के विकास के लिए काम करना है। गांव में पेयजल, नाली और स्ट्रीट लाइट की समस्या को हल करना है। उन्होंने कहा कि मैं सबसे कम उम्र की युवा सरपंच बनने जा रही हूं, इस बात की मुझे बहुत खुशी है। मैं चाहती हूं कि गांव में अच्छा विकास हो। मैं सभी की समस्याओं को सुलझा सकूं यही उम्मीद है। सरपंच बनने के लिए अगले ही दिन लक्षिका डागर 22 साल की हो गई है।