हाईलाइट्स
-
28 साल बाद फिर खुलेगी सरला मिश्रा केस फाइल
-
पूर्व CM दिग्विजय सिंह और उनके भाई लक्ष्मण सिंह की बढ़ सकती हैं मुश्किलें
-
भोपाल कोर्ट ने दिए फिर से जांच के आदेश
Sarla Mishra Murder Case Reopened: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 28 साल पुराने कांग्रेस नेता सरला मिश्रा कांड की फाइल एक बार फिर से खुलने जा रही है। भोपाल की स्थानीय अदालत ने इस बहुचर्चित मामले में दोबारा जांच के आदेश दिए हैं। इस फैसले से न केवल परिजनों में न्याय की उम्मीद जगी है, बल्कि प्रदेश की राजनीति में भी हलचल तेज हो गई है, क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह पर फिर से सवाल उठने लगे हैं।
कोर्ट ने माना- पुलिस जांच में खामियां
भोपाल की जज पलक राय ने सरला मिश्रा की मौत के मामले में पुलिस की जांच को “अधूरी और त्रुटिपूर्ण” मानते हुए पुनः जांच के आदेश दिए हैं। पुलिस ने पहले इस केस को आत्महत्या करार दिया था, लेकिन अब कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जांच में गड़बड़ियां थीं और पुलिस को नए सिरे से रिपोर्ट पेश करनी होगी।
परिवार का आरोप- सियासी साजिश के तहत की गई थी हत्या
सरला मिश्रा के भाई अनुराग मिश्रा ने कोर्ट में याचिका दायर करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और उनके भाई लक्ष्मण सिंह पर गंभीर आरोप लगाए थे। उनका दावा है कि राजनीतिक द्वेष के चलते उनकी बहन की हत्या की गई, जिसे आत्महत्या दिखाया गया। केस फिर से खुलने के बाद उन्होंने कहा, “अब उम्मीद है कि हमें न्याय मिलेगा।”

1997 में हुई थी रहस्यमयी मौत
14 फरवरी 1997 को कांग्रेस महिला नेता सरला मिश्रा गंभीर रूप से जलने की हालत में भोपाल के अस्पताल में भर्ती हुई थीं। उनकी हालत इतनी खराब थी कि उन्हें दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल रेफर किया गया, जहां 19 फरवरी को उनकी मौत हो गई। उस समय इस मामले ने प्रदेश की राजनीति में भूचाल ला दिया था। पुलिस ने 27 मार्च 2000 को क्लोजर रिपोर्ट पेश की, जिसमें सरला के कथित डाइंग डिक्लेरेशन के आधार पर इसे आत्महत्या बताया गया।
डाइंग डिक्लेरेशन बना था विवाद का केंद्र
पुलिस के अनुसार, सरला मिश्रा ने अपने बयान में कहा था, “मैंने दो ढक्कन घासलेट डालकर आग लगा ली। हर काम में असफल होने के कारण मैंने खुदकुशी की। इसमें किसी का कोई दोष नहीं है।” लेकिन परिवार और राजनीतिक विरोधियों ने इस बयान को संदेहास्पद बताते हुए जांच पर सवाल उठाए।
2006 में हाई कोर्ट ने CBI जांच की याचिका खारिज की
इस मामले में भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेशभर में प्रदर्शन किया था और विधानसभा में लगातार हंगामा हुआ था। इसके बाद तत्कालीन गृहमंत्री चरण दास महंत ने सीबीआई जांच की घोषणा की, लेकिन कभी नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ। 2006 में हाई कोर्ट ने सीबीआई जांच की याचिका खारिज कर दी थी।
ये भी पढ़ें: Dhirendra Shastri Ratlam Visit: भीड़ में खड़ी थी लड़की, धीरेंद्र शास्त्री ने बच्ची को बुलाया और झोले से दिए 500 रुपये
2018 से कानूनी लड़ाई जारी
अनुराग मिश्रा ने 2018 में दोबारा कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और कहा कि पुलिस ने मामले की जांच में लापरवाही बरती। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की विवेक अग्रवाल सिंगल बेंच ने 2019 में भोपाल में पदस्थ सभी CJM को स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया।
अब क्या आगे होगा?
अब जब कोर्ट ने केस को री-ओपन (Sarla Mishra Murder Case Reopened) करने का आदेश दे दिया है, तो पुलिस को नए सिरे से जांच करनी होगी। अगर नए साक्ष्य सामने आते हैं, तो यह मामला राजनीतिक रूप से और भी गंभीर मोड़ ले सकता है। साथ ही, दिग्विजय सिंह और लक्ष्मण सिंह की भूमिका की फिर से जांच हो सकती है।
ये भी पढ़ें: ड्यूटी के दौरान वीडियो वायरल: वर्दी में महिला पुलिसकर्मियों ने बनाई भोजपुरी गानों पर रील, SP ने दिए जांच के आदेश