भोपाल। जब जागो तब सबेरा की कहावत प्रेरणा वाक्य के रूप में तो ठीक है लेकिन सुबह सबेरे रंग बदलते आकाश में गुडमॉर्निग कब होती है इसका उत्तर दिया नेशनल अवॉर्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने। चिनार पार्क में आयोजित कायर्क्रम में मॉडल की मदद से सारिका ने बताया कि सूर्य उदित हाने के लगभग 75 मिनिट पहले सबेरे की शुरूआत हो
जाती है जबकि सूर्य क्षितिज से 18 से 12 डिग्री नीचे रहता है। तब इसे एस्ट्रोनॉमिकल टवाईलाईट कहते हैं। इसमें आकाशगंगा का दिखना बंद होता जाता है
सारिका ने जानकारी दी कि उसके लगभग 25 मिनिट बाद में सूर्यका केंद्र क्षितिज से 12 से 6 डिग्री नीचे रहता है इसे नॉटिकल ट्वाईलाईट कहते हैं। इस समय मंद तारों का दिखना बंद हो जाता है लेकिन अधिकांश चमकीले तारों एवं ग्रहों को देखा जा सकता है। इसके लगभग 25 मिनिट बाद केवल इक्का दुक्का चमकीले तारे या ग्रह ही आकाश में रह जाते है इस स्थिति में सूर्य क्षितिज से 6 डिग्री नीचे रहता है। यह सूयार्दय के पहले का चमकीला आकाश होता है। इसे सिविल ट्वाईलाईट कहते हैं।
सारिका ने अपने प्रयोग में बताया कि सिविल ट्वाईलाईट के बाद लालिमा के साथ क्षितिज से उपर आता है सूर्य और होती है प्रकृति की गुड मॉर्निंग।ये बात अलग है कि देर रात तक ऑनलाइन रहने के बाद अनेक युवाओ की उस समय गुडनाईट हो रही होती है।
अन्य जानकारी
एस्ट्रोनॉमिकल टवाईलाईट- प्रदूषण वाले शहरों में यह रात की तरह ही दिखता है। लेकिन खगोलविद इस समय बहुत फीके तारे और आकाशगंगाओं का निरीक्षण नहीं कर पाते हैं।
नॉटिकल ट्वाईलाईट- इसमें फीके तारे ओझल होते है।
नॉटिकल शब्द उस समय का है जब नाविक समुद्र में नेविगेट करने के लिये तारों का इस्तेमाल करते थे।
सिविल ट्वाईलाईट- इस स्थिति में सूर्य क्षितिज से 6 डिग्री नीचे रहता है। यह सूयार्दय के पहले का चमकीला आकाश होता है। इस समय बाहरी गतिविधियों को करने के लिये कृत्रिम प्रकाश की अवश्यकता नहीं होती है।