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Saras Ganana 2023: म.प्र. के बालाघाट में पाए गए सर्वाधिक इतने सारस, नंबर दो पर है ये जिला

जिला पुरातत्व एवं संस्कृति परिषद और वन विभाग की सूचना के अनुसार, Saras Ganana 2023 में बालाघाट में कुल 49 सारस देखे गए हैं।

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Shyam Nandan
Saras Ganana 2023: म.प्र. के बालाघाट में पाए गए सर्वाधिक इतने सारस, नंबर दो पर है ये जिला

बालाघाट से अशोक मोटवानी की रिपोर्ट

बालाघाट। Saras Counting in MP: मध्य प्रदेश में हर साल बारिश के पहले विलुप्त होती जा रही सारस पक्षियों की गणना (Saras Ganana 2023) की जाती है। साल 2023 में भी  बालाघाट जिला पुरातत्व एवं संस्कृति परिषद के सहयोग से सेवा संस्था और वन विभाग सारस गणना के कार्य में जुटा है।

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बालाघाट में मिलेसर्वाधिक सारस

प्रदेश के बालाघाट जिले में सबसे सबसे अधिक सारस पाए गए हैं। जिला पुरातत्व एवं संस्कृति परिषद और वन विभाग की सूचना के अनुसार, बालाघाट में कुल 49 सारस देखे गए हैं। अभी तक ज्ञात तीन जिलों में बालाघाट नंबर एक पर है। आपको बता दें, सारस गणना का काम वन विभाग के नियमों और मानदंडों के आधार पर किया गया है।

दूसरे और तीसरे नंबर पर हैं ये जिले

वन विभाग के अनुसार, प्रदेश के गोंदिया जिले में कुल 31 सारस मिले हैं। सारस के संख्या की लिहाज से ये जिला दूसरे नंबर पर है। जबकि, भण्डारा जिला तीसरे नंबर पर है। यहां अभी तक मात्र 4 सारस देखे गए हैं।

ऐसे हो रही गणना

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के इन जिलों में विगत छह दिनों से सारस पक्षियों की गणना (Saras Ganana 2023) हो रही है। अभी तक हुई सारस गणना में बालाघाट और गोंदिया जिले में क्रमशः 80 और 70 और जगहों पर सारस की गणना की गई है। सारस गणना का यह काम सेवा संस्था के सदस्य, स्थानीय किसान, सारस मित्र और बालाघाट एवं गोंदिया वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों द्वारा किया जा रहा है।

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सारस का सांस्कृतिक और पर्यावरणीय महत्व

केवल मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे भारत में सारस का सांस्कृतिक महत्व है। कहते हैं, विश्व के प्रथम ग्रंथ रामायण की प्रथम कविता सारस पक्षी को समर्पित है। आदिकाव्य रामायण की शुरुआत एक प्रणयरत सारस-युगल के वर्णन से होती है। इस पक्षी को प्रेम और समर्पण का प्रतीक माना जाता है।

पारिस्थितिकी और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से सारस की उपस्थिति एक महत्वपूर्ण सूचक है। यह जल की उपलब्धता और जैविक विविधता को दर्शाता है। विगत कुछ सालों में जलवायविक परिवर्तन, बढ़ती आबादी और प्रदूषण के कारण यह सुंदर पक्षी संकटग्रस्त पक्षियों की सूची में सम्मिलित हो गया है।

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