नई दिल्ली। सब के घर में पंखा तो जरूर होगा। वही पंखे जो हमें गर्मी से बचाते हैं। ये पंखे हमारे घर में छत से नीचे की तरफ लटके हुए होते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे देश की संसद में पंखे उल्टे लगे हैं। यानी पंखे जमीन से छत की ओर लगे हुए हैं। अगर आपने गौर किया होगा तो आपको याद होगा। लेकिन ऐसा क्यों है? इसके पीछे की वजह काफी रोचक है। तो आइये जानते हैं संसद भवन में पंखों को उल्टा क्यों लगाया गया है?
1927 में हुआ था उद्घाटन
बतादें कि 21 फरवरी 1921 में ड्यूक ऑफ क्नॉट ने संसद भवन की नींव रखी थी। इसे डिजाइन करने की जिम्मेदारी मशहूर आर्किटेक्चर एडिवन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर को दी गई थी। संसद भवन को बनने में 6 साल लगे थे। निर्माण के बाद इसे भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इर्विन ने 18 जनवरी 1927 में उद्घाटन किया था। संसद भवन के सेंट्रल हॉल में जो सीलिंग फैन लगे हैं वो छत की बजाय जमीन से जुड़े हैं।
सेंट्रल हॉल में लगे हैं उल्टे पंखे
जानकारों की माने तो, जब संसद भवन को बनाया गया था, तब इसका गुंबद काफी उंचा बनाया गया था। वहीं सेंट्रल हॉल का गुंबद पूरे संसद का सेंटर है। ऐसे में उस समय जब पंखे लगाने की बारी आई तो छत काफी उंची थी, जिसके कारण सीलिंग फैन लगाना मुश्किल हो रहा था। पहले पंखे को लंबे डंडे के जरिए लगाने की कोशिश की गई लेकिन बात नहीं बनी। ऐसे में सेंट्रल हॉल में अलग से खंभे लगाए गए और फिर उन पर उल्टे पंखे लगाए गए। इस बार बात बन गई और हॉल के कोने-कोने तक हवा पहुंचने लगी। तब से ये पंखे इसी तरह लगे हुए हैं। संसद भवन की ऐतिहासिकता को बनाए रखने के लिए इसमें कोई बदलाव भी नहीं किया गया।