दिल्ली। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने उन खबरों को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार और राज्य के पुलिस प्रमुख को नोटिस भेजा है जिनमें संदेशखाली में जारी हिंसा के कारण ‘‘मानवाधिकारों के लगातार उल्लंघन’’ का आरोप लगाया गया है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए, आयोग ने उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखालि में ‘‘मानवाधिकारों के उल्लंघन’’ संबंधी घटनाओं की जांच करके तथ्यों का पता लगाने के लिए ‘‘अपनी टीम तैनात करने’’ का भी निर्णय लिया है।
मानवाधिकार आयोग की टीम करेगी जांच
एक बयान में कहा गया है कि टीम का नेतृत्व एनएचआरसी के एक सदस्य द्वारा किया जाएगा, जिनकी सहायता आयोग के अधिकारी करेंगे। इसमें कहा गया है कि एनएचआरसी ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की उन खबरों का स्वत: संज्ञान लिया है।
जिनमें आरोप लगाया गया है कि पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना के संदेशखाली में, एक राजनीतिक व्यक्ति के समर्थकों द्वारा निर्दोष और गरीब महिलाओं को प्रताड़ित किया गया है और उनका यौन उत्पीड़न किया गया है।
आयोग ने कही ये बात
बयान में कहा गया है कि इसके परिणामस्वरूप, पिछले कुछ दिन से, स्थानीय ग्रामीणों ने विभिन्न ‘गुंडों’ और असामाजिक तत्वों द्वारा अंजाम दी गई आपराधिक गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई के लिए विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। आयोग ने कहा कि यह भी बताया गया है कि महिलाओं के साथ-साथ बच्चों और वृद्ध व्यक्तियों की सुरक्षा को कथित तौर पर ‘‘खतरे में’’ डाला गया है।
चार सप्ताह में रिपोर्ट मांगी
आयोग ने पाया है कि संदेशखालि में हाल की घटनाओं जिनका जिक्र विभिन्न प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की खबरों में किया गया है, और ये खबरें ‘‘प्रथमदृष्टया मानवाधिकारों के उल्लंघन का संकेत देती है, जो अंतरात्मा को झकझोर देती है’’।
बयान में कहा गया है कि तदनुसार, इसने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर इन घटनाओं में शामिल लोगों के खिलाफ की गई या प्रस्तावित कार्रवाई के संबंध में चार सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है। इसमें यह भी पूछा गया कि क्या पीड़ितों को कोई मुआवजा दिया गया या देने का प्रस्ताव है।