Sambhal ASI Survey: उत्तर प्रदेश के संभल में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम आज खग्गू सराय स्थित प्राचीन शिव मंदिर और कुएं का निरीक्षण करेगी। यह टीम मंदिर और कुएं की ‘कार्बन डेटिंग’ के जरिए यह जानने का प्रयास करेगी कि यह संरचना कितनी प्राचीन है और इसका ऐतिहासिक महत्व क्या है। बताते चलें, यह मंदिर 46 वर्षों तक बंद रहने के बाद 13 दिसंबर को खोला गया था।
खुदाई के दौरान मिली मूर्तियां
मंदिर के पास स्थित कुएं की खुदाई के दौरान अब तक कई खंडित मूर्तियां बरामद की गई हैं। स्थानीय लोगों का दावा है कि इनमें माता पार्वती और गणेश जी की मूर्तियां शामिल हैं। हालांकि प्रशासन ने खुदाई को 20 फीट पर रोक दिया था और अब इन मूर्तियों की प्रामाणिकता की जांच की जाएगी।
एएसआई टीम की कार्य योजना
ASI की चार सदस्यीय टीम (Sambhal ASI Survey), जिसमें उत्खनन और अन्वेषण अधिकारी, सहायक पुरातत्व अधिकारी और सर्वेक्षक शामिल हैं। ये टीम मंदिर और कुएं का बारीकी से निरीक्षण करेगी। इसके साथ ही, मस्जिद के संरक्षण से जुड़ी जांच की संभावना भी जताई जा रही है।
मंदिर का ऐतिहासिक महत्व
1978 से बंद इस मंदिर में भगवान शंकर और हनुमान जी की प्रतिमाएं स्थापित थीं। इसे अब स्थानीय लोग ‘संभलेश्वर महादेव मंदिर’ कहने लगे हैं। पूजा-अर्चना भी शुरू हो गई है, जिससे मंदिर में श्रद्धालुओं का आना जारी है।
संभल में सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता
जिला प्रशासन ने एएसआई टीम (Sambhal ASI Survey) की सुरक्षा के लिए व्यापक इंतजाम किए हैं। मंदिर का निरीक्षण जुम्मे की नमाज के दिन होने के कारण क्षेत्र में पुलिस अलर्ट पर है। पिछले हफ्ते मस्जिद में नमाज के दौरान विरोध प्रदर्शन और हिंसा हुई थी।
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जिलाधिकारी ने कार्बन डेटिंग के लिए ASI को लिखा पत्र
इस मामले में जिलाधिकारी ने मंदिर और कुएं की कार्बन डेटिंग कराने की बात कही थी, जो करीब 46 साल बाद खुला है। उन्होंने बताया था कि इसके लिए एएसआई को पत्र लिखा गया है। पत्रकारों से बात करते हुए जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया ने कहा कि यह कार्तिक महादेव का मंदिर है और यहां एक कुआं मिला है।
मंदिर में पूजा-अर्चना भी शुरू हो गई है। यहां अभी भी अतिक्रमण है। कल कुछ अतिक्रमण हटाया गया और हम बाकी अतिक्रमण भी हटा देंगे। हमने मंदिर और कुएं की कार्बन डेटिंग के लिए एएसआई को पत्र लिखा है।
बता दें, पुरातात्विक स्थलों की प्राचीनता तय करने की प्रक्रिया कार्बन डेटिंग के जरिए होगी, जिसमें यह पता लगाया जाएगा कि मंदिर और कुएं का निर्माण किस सदी में हुआ। इसके लिए ASI की टीम (Sambhal ASI Survey) पहले ही मुरादाबाद पहुंच चुकी है। यह ऐतिहासिक स्थल, अपनी प्राचीनता और धार्मिक महत्व के कारण न केवल संभल बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है।
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