नई दिल्ली। Sakat Chauth 10 Jan 2023 : इस साल का सकट चौथ 10 जनवरी मंगलवार यानि कल मनाई जाएगी। religion पर क्या आप जानते हैं कि इस दिन का क्या महत्व है। इस दिन पूजन का सही समय क्या है। आपको कैसे पूजन करना चाहिए। साथ ही यहां जानें गणेशजी की आरती।
क्यों पड़ा तिल चतुर्थी नाम
हिन्दु धर्म के अनुसार सकट चौथ को तिल चौथ भी कहा जाता है। चतुर्थी पर महिलाएं सुख-सौभाग्य, संतान की समृद्धि और परिवार के कल्याण की इच्छा से ये व्रत रखती हैं। इस व्रत के दिन स्नान करने वाले जल में तिल डालने का विशेष महत्व है। यानि इस दिन तिल डालकर स्नान करना चाहिए। साथ ही फलाहार में तिल का उपयोग जरूर किया जाता है। रात को किए जाने वाले पूजन में भी भगवान गणेश को तिल के लड्डुओं से भोग लगाना चाहिए। इस व्रत को तिलकुट चतुर्थी, तिल चौथ या सकट चौथ भी कहा जाता है। आपको बता दें इस दिन लंबोदर रूप में भगवान गणेश की पूजा करने का विधान है।
आखिर क्यों खास है गणेशजी का ये व्रत, पद्म पुराण में है उल्लेखित
हमारे हिन्दू धर्म में जितने भी त्योहार आते हैं उनका अपना अलग महत्व होता है। इसी तरह तिलकुट का त्योहार भी खास है। पद्म पुराण के अनुसार इसी तिथि के दिन भगवान कार्तिकेय और भगवान गणेश के बीच पृथ्वी की परिक्रमा लगाने को लेकर प्रतिस्पर्धा हुई थी। तब भगवान गणेश ने पृथ्वी की परिक्रमा करने की बजाय भगवान शिव-पार्वती की ही सात बार परिक्रमा करके प्रतियोगिता जीत ली थी। इस पर प्रसन्न होकर शिवजी ने गणपति को देवताओं में प्रमुख मानते हुए उन्हें प्रथम पूजा होने का वरदान दिया था।
ऐसे करें गणपति की पूजा (Ganpati Ki Puja Kaise Kare)
संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह शीघ्र स्नान कर ब्रह्म मुहूर्त में ही भगवान गजानन गणपति का अभिषेक करें। उन्हें लाल रंग के पुष्प, माला, मौली, अक्षत, धूप बत्ती, देसी घी का दीपक आदि अर्पित करें। उन्हें लाल चंदन का तिलक लगाएं। उनकी आरती करें तथा उन्हें काले तिल और गुड़ से बने लड्डुओं का भोग लगाएं। रात को चन्द्रमा के उदय होने पर जल से अर्ध्य दें। दिन में भगवान गणपति की कथा भी सुनें। पूरे दिन व्रत करें तथा एक समय भोजन करें। इस तरह पूजा करने से व्यक्ति की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥