देशभर में आरो बाटर यानी बोतल बंद पानी (RO Water) का अवैध धंधा धड़ल्ले से चल रहा है। आरो प्लांट (RO Water) में पानी को कैसे साफ किया जाता है, कैसे पानी को फिल्टर किया जाता है, कैसे इसकी पैकिंग होती है। इसकी जानकारी आमजन को नहीं होती है। वही जिन प्लास्टिक की बोतलों में पानी (RO Water) बेंचा जाता है। उन प्लास्टिक की बोतलों को फिर से पैकिंग कर बेचा जा रहा है। लेकिन प्लास्टिक की बोतलों का पानी इंसान को बीमारियों की ओर लेकर जा रहा है। प्लास्टिक की बोतलों में भरा पानी गर्मी में लोगों की सेहत पर बुरा असर डाल सकता है।
विशेषज्ञों की माने तो गर्मीयों में तापमान बढ़ने के चलते बोतलों में मौजूदा खतरनाक केमिकल पानी में घुलने लगते है जो कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं। बोतलबंद पानी (RO Water) से लिवर और पेट से जुड़ी बीमारियों को जन्म दे सकता है। दरअसल, आरो प्लांट में पानी की पैकिंग के दौरान साफ सफाई सुरक्षा और अन्य मानको का ध्यान नही रखा जाता है। ऐसे में गर्मी के मौसम में देश के कई इलाको मं जल का स्तर गिरता जा रहा है तो वही आरो प्लांट लोगों की जिंदगीयों से खिलावाड़ कर रहे है। लेकिन अब इस पर लगाम लगाने के लिए नगर निगम पानी माफियाओं पर कार्रवाई करने की योजना बना रहे है।
घर-घर फैला नेटवर्क
अवैध आरओ प्लांट (RO Water) का कारोबार देशभर में घर-घर फैला हुआ है। नव भारत टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार यूपी के गाजियाबाद में हर साल पानी का कारोबार 100 करोड़ रुपये से अधिक का होता है। गाजियाबाद में वैध पानी विक्रेता से अधिक अवैध पानी विक्रेता हैं जो शहर के अलग-अलग हिस्से में मिनरल बाटर (Mineral water) के नाम पर सप्लाई कर रहे हैं। बीते दिनों कई मिनरल वॉटर (Mineral water) के नाम पर पानी की सप्लाई करने वालों का सैंपल भी फैल हो चुका है। पूरे जिले की बात करते तो जिलेभर में 8 लोगों के पास मिनरल पानी (Mineral water) बेचने का लाइसेंस है लेकिन जिलेभर में 100 से अधिक लोग इस काम में अवैध रूप ये जुड़े हुए है।
क्या होता है नुकसान
स्वास्थ्य विशेषज्ञ के अनुसार प्लास्टिक की अलग-अलग वैरायटी पर निर्भर करता है कि किस तरह की प्लास्टिक में पानी की पैकिंग की जा रही है। कई जगाह तो कॉस्ट कटिंग के चलते घटिया क्वालिटी की प्लास्टिक का उपयोग किया जा रहा है। प्लास्टिक की बोतल का पानी का तापमान करीब 25 डिग्री होना चाहिए। लेकिन पानी माफिया बंद बोतलों (Mineral water) को गर्मी में बाहर रख देते हैं। ऐसे में जब प्लास्टिक गर्म होती है तो प्लास्टिक से केमिकल निकलकर पानी में मिल जाते है जो हमारी सेहत के लिए काफी घातक होते है। ऐसे पानी के सेवन से लिवर और पेट से जुड़ी गंभीर बीमारियां हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि प्लास्टिक की बोतल 6 महीने में खराब हो जाती है। इसलिए हर 6 महीने के बाद बोतल को नष्ट कर देनी चाहिए। हालांकि मिनरल पानी (Mineral water) बनाने वाली बड़ी कंपनियां तो ऐसे नियमों का पालन करती है। लेकिन देशभर में चल रहे अवैध प्लांट नियमों का पालन नहीं करते हैं। अवैध प्लांट वाले प्लास्टिक की बोतलों को कई साल तक इस्तेमाल करते है जो इंसान की मौत का कारण बन सकता है।