भोपाल. केंद्र सरकार के खाद्य मंत्रालय की जांच में मध्यप्रदेश में चावल घोटाले का बड़ा खुलासा हुआ है। केंद्रीय जांच दल ने एमपी के दो आदिवासी बाहुल्य जिले मंडला और बालाघाट में गरीबों को बांटे गए चावल की गुणवत्ता की जांच की थी और केंद्र सरकार ने जो रिपोर्ट दी है उसमें चावल की गुणवत्ता बेहद खराब मिली है।
केंद्रीय मंत्रालय ने मप्र सरकार के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर बांटे गए चावल की गुणवत्ता पर सवाल खड़े किए है। लिखा है कि इतना खराब गुणवत्ता का चावल है कि इंसानों के साथ साथ जानवरों के भी खाने लायक नहीं है।
नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ ने भी इस मामले की जांच की मांग की है। कमलनाथ ने ट्वीट कर लिखा है कि यह इंसानियत व मानवता को तार-तार करने वाला होकर एक आपराधिक कृत्य भी है। इसके दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
मध्यप्रदेश में कोरोना महामारी में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत जिस चावल का वितरण किया गया वो मनुष्य के खाने के योग्य नहीं था , यह केन्द्र सरकार के जाँच के उपरांत लिखे एक पत्र के माध्यम से सामने आया है।
यह इंसानियत व मानवता को तार- तार करने वाला होकर एक आपराधिक कृत्य भी है।— Kamal Nath (@OfficeOfKNath) September 2, 2020
क्या है पूरा मामला
केंद्रीय टीम ने बालाघाट और मंडला में चावल के 32 सैंपल लिए थे, जिसमें से 31 डिपो से और एक राशन की दुकान से इकट्ठा किया गया था। 30 जुलाई से 2 अगस्त के बीच की गई जांच में पता चला कि चावल के नमूने किसी भी मानक पर खतरे नहीं उतरे बल्कि ये उस श्रेणी के है जो भेड़ बकरियों को खिलाया जाता है।
केंद्रीय जांच दल की रिपोर्ट के बाद एमपी सरकार हरकत में आ चुकी है और कहा जा रहा है कि सरकार मिलावटखोरों के खिलाफ एक बड़ा कदम उठा सकती है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कालाबाजारियों पर नकेल कसने के अधिकारियों को निर्देश दिए थे। हालांकि प्रदेश के खाद्य मंत्री बिसाहू लाल का कहना है कि उन्हें अबतक केंद्र की तरफ से रिपोर्ट नहीं मिली है।