हाइलाइट्स
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दादा गुरु पर मेडिकल टीम कर रही रिसर्च
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दादा गुरु रोजाना 30 किमी पैदल चल रहे
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नर्मदा को प्रदूषण से बचाने चला रहे अभियान
Research on Dada Guru: मध्य प्रदेश में ऐसा रिसर्च चल रहा है। जो अद्भुत, अकल्पनीय और प्रकृति की महत्वता को एक बार फिर सिद्ध करने वाला है।
इसके पूरे होने में अब फिर्स दो दिन बाकी हैं। एक संत भीषण गर्मी यानी 44-45 डिग्री सेल्सियस में रोजाना करीब 30 किलोमीटर पैदल नर्मदा की परिक्रमा कर रहा है
और सबसे बड़ी बात यह है कि इस दौरान उनके शरीर से जो ऊर्जा खर्च हो रही है, इसके लिए अलग से कोई सप्लीमेंट नहीं ले रहे हैं,
यहां तक की उन्होंने तीन साल 7 महीने से आहार के रूप में अन्न का दाना तक नहीं लिया है।
… सिर्फ नर्मदा जल और वायु पर जी रहे हैं और पूरी तरह स्वस्थ हैं।
आइए अब उनके बारे में भी बता दें। आप भैयाजी सरकार के नाम से पूरे नर्मदांचल में प्रसिद्ध हैं।
उन्हें भक्त और समर्थक दादा गुरु कहकर पुकारते हैं।
47 साल के दादा गुरु से पर जबलपुर मेडिकल कॉलेज की टीम रिसर्च (Research on Dada Guru) कर रही है।
सात दिन के इस रिचर्स के अब सिर्फ दो दिन और बाकी हैं यानी पांच दिन पूरे हो चुके हैं। मेडिकल टीम का कहना है कि दादा गुरु पूरी तरह से स्वस्थ हैं।
इसी रिसर्च के बीच बंसल न्यूज के हेड शरद द्विवेदी ने सोमवार, 27 मई की शाम दादा गुरु से खास बातचीत (Research on Dada Guru) की। पेश-
बहुत सारे लोगों के मन में यह प्रश्न इस समय चल रहा है। एक प्रयोग के माध्यम से आप क्या बताना चाहते हैं संसार को? और यह सब कैसे संभव हो रहा है। नर्मदा मैया का जल एक संपूर्ण पोषण है?
दादा गुरु ने कहा, यह साधना या महाव्रत, केवल एक संदेश है।
जैसे देश और दुनिया अभी संक्रमण और आपदाओं का शिकार हो रही है।
यह केवल प्राकृति केंद्रित जीवन शैली का जीवंत प्रमाण है और हमारी सनातन धर्म या सनातन, जो संस्कृति है… वो प्रकृति केंद्रित है।
मेरा मानना है यदि किसी का प्रकृति पर केंद्रित जीवन है, तो वो सबसे बेहतर और सबसे सुरक्षित, घर-परिवार अपने जीवन को जी सकता है।
शोध नर्मदा की महिमा और महत्व को वैश्विक स्तर पर स्थापित करेगा
दादा गुरु ने बताया कि आज महाव्रत के दौरान मध्य प्रदेश शासन, जो शोध कर रहा है।
आने वाले समय में नर्मदा की महिमा और महत्व को वैश्विक स्तर पर स्थापित करेगी।
दूसरी तरफ हमारी जो सनातन संस्कृति है। उसकी जीवंत प्रमाणिकता देगी। ये मेरी साधना प्रकृति केंद्रित जीवन शैली है।
उनका दावा कि प्रकृति हर क्षति की पूर्ति कर सकती है। जो प्रकृति के निकट है… वो तनाव और निराशा से मुक्त है।
जो प्रकृति के निकट है वो सबसे बेहतर जीवन जी सकता है।
लोग प्रकृति केंद्रित जीवन शैली को अपनाएं
दादा गुरु ने कहा, हमारा जीवन नर्मदा पर केंद्रित है और हमारा जीवन इन पेड़-पहाड़ों और विंध्याचल (पर्वत) पर केंद्रित है।
आज कहीं ना कहीं यह प्रकृति का सबसे बड़ा संदेश होगा… हर भक्त प्रेमी और परिवार के लिए।
उन्होंने कहा, लोग प्रकृति केंद्रित जीवन शैली को अपनाएं… यही सदी का सबसे बड़ा धर्म होगा।
नदियां हमें जीना सिखाती हैं…
श्रीराम और श्रीकृष्ण की जीवन शैली से जुड़े सवाल के जवाब में दादा गुरु ने कहा कि नदियां हमें जीना और आत्मनिर्भर बनाती हैं।
उन्होंने कहा- गंगा, यमुना, गोदावरी पर संवाद गुरु-गोविंद की लीला जीना सिखाती और आत्मनिर्भर बनाती है।
गुरु-गोविंद लीला ने मूलाधार शक्तियों का बोध कराया है। जीना सिखाया है। आत्मनिर्भर बनाया है। आज कहीं ना कहीं वो आादि शक्ति भगवती वो लीला करा रही है।
दुनिया भारत की ओर देख रही, ये कैसे भय मुक्त जीवन जीते हैं?
दादा गुरु ने बताया कि आज दुनिया हमारी ओर देख रही है। क्या है भारत के इन गांव-नगरों में।
इतने संक्रमण और आपदाओं के दौर में ये कैसे भय मुक्त जीवन जीते हैं? तो शायद वो मां.. आदि शक्ति सारी दुनिया को दिखा रही है कि हमारे पास गंगा है,
हमारे पास यमुना है, नर्मदा है, गोदावरी है कावेरी है। दुनिया के लिए ये नदियां हैं।
हमारे लिए ये प्रत्यक्ष शक्ति है। दुनिया के लिए ये माटी धारा है, माटी… को हम शक्ति के रूप में … अस्तित्व। जैसे कहते हैं हमारा अस्तित्व, हमारा आधार… मां है।
पेड़-पहाड़ हमारे लिए शक्ति और ऊर्जा केंद्र
उन्होंने कहा कि हम पेड़-पहाड़ों को भी ईश्वर के रूप में पूजते हैं। ये हमारा सनातन धर्म है, संस्कृति है।
और प्रत्येक भारतीय को ये महाव्रत और साधना गौरवान्वित करेगी, जब हम सारी दुनिया को दिखाएंगे… ये विंध्याचल, ये सतपुड़ा, ये हिमालय,
ये गिरिनार, ये गोवर्धन, ये कामदगिरि… हमारे लिए ये पहाड़ नहीं। हमारे लिए शक्ति और ऊर्जा केंद्र हैं।
हमारे लिए वृक्ष, पेड़ और पहाड़ कोई साधारण नहीं हैं। हमारे लिए शक्ति के सबसे बड़े ऊर्जा के स्रोत हैं।
विश्व का सबसे असाधारण नर्मदा का पथ
दादा गुरु ने कहा, नर्मदा का पथ… जहां चलना साधना कहलाती है। विश्व का सबसे असाधारण ये नर्मदा का पथ है।
असीम ऊर्जा का केंद्र है। जिसके कंकड़, पत्थर और शिलाओं में सबसे ज्यादा ऊर्जा पाई जाती है। तो वो नर्मदा के कंकड़… जिन्हें हम शंकर कहते हैं।
शोध गौरवान्वित करेगा
दादा गुरु ने कहा कि नर्मदा के चारों ओर के पेड़, पहाड़ और कंकड़ के बीच चलने से शक्ति का संचार होता है।
वो दुनिया में सिर्फ नर्मदा का पथ है। आज कहीं ना कहीं मध्यप्रदेश सरकार और शासन इस शोध को कर रहा है।
निश्चित रूप से ये गौरवान्वित करने वाला विषय होगा। नर्मदा के पथ पर चलने से एक ऐसी शक्ति का संचार होता है
और नर्मदा जल का सेवन करने से कैसे ऊर्जा का संचार होता है? ये कहीं ना कहीं जिसे हम विश्व धरोहर कहते हैं। वैश्विक स्तर पर स्थापित होगा।
नर्मदा का तट ही दादा का मठ है
इसी बीच सवाल किया कि ये सब करने के बाद आपका लक्ष्य क्या रहेगा? आप आश्रम व्यवस्था की ओर नहीं गए हैं।
जवाब में दादा गुरु ने कहा, हमारा तो ‘तट ही मठ’ है। नर्मदा का तट हो या गंगा का तट हो।
कोई भक्त प्रेमी पूछता है कि दादा का कहां मठ है तो हम बोल देते हैं। नर्मदा का तट ही दादा का मठ है।
उन्होंने कहा कि मेरा मठ की तट है… वो गंगा को हो या नर्मदा का।
…वही मंदिर है हमारे लिए… वही देवालय है
उन्होंने कहा, ये घर ही मंदिर हैं और ये गांव-नगर ही देवालय हैं। आज जैसे हम मेडिकल कॉलेज में हैं।
डॉक्टर को बोलते हैं …यही हमारा मंदिर है। जहां पर बोध हो, जहां पर किसी की जिंदगी को बचाने का काम किया जा रहा है या किसी के जीवन को दिशा देने का काम किया जा रहा है।
मुझे लगता है वही मंदिर है हमारे लिए… वही देवालय है।
दो दिन और चलेगा रिसर्च
यहां बता दें, दादा गुरु पर चल रहा रिसर्च 29 मई को पूरा होगा।
इसके बाद यह रिपोर्ट मेडिकल टीम, स्टेट मेडिकल काउंसिल मध्य प्रदेश के माध्यम से जबलपुर कलेक्टर को सौंपेगी।
जो बाद में सरकार के पास पहुंचाई जाएगी। फिलहाल रिसर्च पर डॉक्टर ज्यादा कुछ कहने को तैयार नहीं हैं।