Cryonics Technology : धरती पर जन्म लेना वाले हर इंसान को एक न एक दिन मरना ही होता है। इंसान की मृत्यु तय है। लेकिन मरे हुए इंसान अब दोबारा जिंदा होंगे, यह सुनने में थोड़ा अजीब लगेगा। लेकिन ऐसा प्रयोग किया जा रहा है। आज के समय में तेजी से बढ़ रहा मेडिकल साइंस दुनिया में तेजी से हो रही मौतों पर पाबंदी नहीं लगा सका है। हालांकि मेडिकल साइंस ने वेंटिलेटर जैसी मशीने दी हैं, जो इंसान को कुछ समय के लिए जिंदा रख सकती है। लेकिन मेडिकल साइंस अब ऐसे क्षेत्र में काम कर रहा है जिसमें कई वैज्ञानिक जुटे हुए है। वैज्ञानिक दुनिया में मृत्यु को कंट्रोल करने की कोशिश में है। वैज्ञानिक मरे हुए इंसान को फिर से जिंदा करने के लिए रिसर्च में लगे हुए है।
दरअसल, अमर उजाला की एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका की एक ऐसी लैब की कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर सामने आई है जहां लाशों को फिर से जिंदा करने का काम चल रहा है। माना जा रहा है कि अगर अमेरिकी वैज्ञानिक इस प्रयोग में सफल होते है तो यह मेडिकल सांइस के लिए सबसे बड़ी सफलता होगी। अमेरिका की जिस लैब में यह प्रयोग किया जा रहा है इस प्रयोग को क्रायोनिक्स कहा जाता है। अमेरिका की इस प्रयोगशाला में मरे हुए इंसान को फिर से जिंदा करने के लिए कई लाशों को रखा गया है।
लैब में ज्यादातर अमीरों की लाशें
खबर के अनुसार अमेरिका की इस प्रयोगशाला में अधिक्तर अमीरों की लाशों को रखा गया है। क्योंकि मरने वाले परिवारों को उम्मीद है कि उन्हों दोबारा जिंदा किया जा सके। इसके लिए लैब को अच्छी-खासी फीस दी गई है।
क्या है क्रायोनिक्स तकनीक?
अमेरिका की इस प्रयोगशाला में जो तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है, उसे क्रायोनिक्स कहा जाता है। इस तकनीक में मरे हुए इंसान के शरीर को फ्रीजर में रखा जाता है। लाशों को ऐसे फ्रीजर में रखा जाता है जिसका तापमान बहुत अधिक ठंडा होता है ताकि लाश सुरक्षित रहें। वैज्ञानिक लगातार इंसान को फिर से जिंदा करने की कोशिश करने में जुटे है। वैज्ञानिकों भविष्य में जब भी इस खोज में सफल होंगे तो इन लाशों को दोबारा जिंदा किया जायेगा। इसलिए लाशों को फ्रीजर में रखा गया है। खबर के अनुसार वैज्ञानिकों का कहना है कि भविष्य में ऐसा संभव हो सकता है। क्योंकि सौ साल पहले चांद पर पहुंच पाना असंभव था। लेकिन आज हम चांद पर पहुंच गए है, तो हमें उम्मीद है कि हम मरे हुए इंसान को फिर से जिंदा करने के प्रयोग में सफल हो सकते है। इसमें कोई गलत नहीं है।
नोट- आपकों बता दें कि यह लेख केवल देश में प्रसारित खबरों और जानिकारियों पर आधारित है। इसका हमारा और हमारी संस्थान से कोई लेनादेना नहीं है। हम इस लेख की सत्यता की पूरी तरह से पुष्टि नहीं करते है।