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Republic Day 2022: हर साल 26 जनवरी को हम गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं। भारतीय संविधान को इसी दिन 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था। लेकिन, क्या आप जानते हैं संविधान सभा ने भारतीय संविधान को 26 नवंबर 1949 को ही स्वीकार कर लिया था। तो फिर सवाल उठता है कि इसे 26 जनवरी 1950 को क्यों लागू किया गया? अगर आप जानते हैं तो अच्छी बात है, अगर नहीं जानते तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि ऐसा क्यों किया गया था।
आजादी की लड़ाई में 26 जनवरी का दिन खास था
दरअसल, स्वतंत्रता की लड़ाई में 26 जनवरी का दिन थोड़ा खास था। इसलिए गणतंत्र दिवस के लिए इस दिन को चुना गया। बता दें कि साल 1885 में कांग्रेस की स्थापना हुई थी। इसके बाद 'पूर्ण स्वराज' की मांग पहली बार 1930 में उठी और इंडिपेंडेंस डे पहली बार 26 जनवरी 1930 को प्रतीकात्मक रूप से मनाया गया। 1930 के बाद हर साल इसी दिन भारतीय स्वतंत्रता दिवस को प्रतीकात्मक रूप से मनाया जाने लगा।
26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाने लगा
मालूम हो कि 31 दिसंबर 1929 के दिन पंडित जवाहर लाल नेहरू ने रावी नदी के तट पर लाहौर अधिवेशन में तिरंगा फहराया था और उसी दिन 26 जनवरी की तारीख की घोषणा की थी। तबसे लेकर 1947 तक स्वतंत्रता दिवस 26 जनवरी को मनाया जाने लगा था। हालांकि, 15 अगस्त 1947 के दिन जब देश आजाद हुआ, तो उस दिन अपना असली स्वतंत्रता दिवस मिल गया।
संविधान निर्माताओं ने लिया निर्णय
1947 के बाद हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाने लगा। लेकिन 26 जनवरी को यादगार बनाने के लिए संविधान निर्माताओं ने इस दिन संविधान लागू करने का निर्णय लिया। 26 नवंबर 1949 को संविधान स्वीकार कर लिया गया था, लेकिन 17 साल तक हमने जिस दिन को प्रतीकात्मक रूप से स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया था उसे ऐसे कैसे भुनाया जा सकता था, इसलिए 26 जनवरी 1950 को संविधान को पूर्ण रूप से लागू किया गया और उसके बाद हम हर साल इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं।
ऐसे तैयार हुआ संविधान
बतादें कि संविधान सभा का गठन साल 1946 में हुआ ता। 9 दिसंबर 1946 को इसके लिए पहली मीटिंग हुई। फिर एक ड्राफ्टिंग कमेटी तैयार की गई, जिसके चेयरमैन डॉ. भीमराव अम्बेदकर बने। कुल 2 साल 11 महीने 18 दिन में हमारा संविधान बनकर तैयार हो गया। इसके बाद बहस हुआ, विचार मंथन हुआ और आखिरकार कई संशोधनों के बाद इसे स्वीकार कर लिया गया।
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