Story Of Ravindra Kaushik: रविंद्र कौशिक भारत के ऐसे जासूस थे, जिनके नाम से भारत में शायद ही कोई वाकिफ नहीं होगा। साल 1952 में राजस्थान के श्रीगंगानगर के एक पंजाबी परिवार में जन्में कौशिक ने कभी नहीं सोचा था कि वह भारत के इतिहास के सबसे महान जासूस बन जाएंगे। उनको अपनी किशोरावस्था से ही थिएटर से लगाव था। एक बार थिएटर के दौरान उन पर एक रॉ अधिकारी की नजर पड़ी। उसके बाद उनके जीवन ने अलग ही मोड़ ले लिया।
साधारण परिवार में जन्में थे कौशिक
राजस्थान के साधारण से परिवार में जन्में रविंद्र कौशिक के परिवार में उनके माता-पिता और एक भाई रहा करते थे। कौशिक को बचपन से ही थिएटर में काफी दिलचस्पी थी। एक बार वो थिएटर में परफॉर्म कर रहे थे उस दौरान उन पर रॉ की नजर पड़ी। जिसके बाद से शुरू हुई उनके ‘भारत के सबसे बड़े जासूस’ बनने की कहानी।
थिएटर में करते थे एक्टिंग
लेकिन थिएटर के दौरान उनकी एक्टिंग से रॉ के सदस्य क्यों प्रभावित हुए यह भी कहानी काफी दिलचस्प है। दरअसल, उनके मोनो-एक्ट जिसमें वह एक इंडियन आर्मी अफसर का रोल प्ले कर रहे थे। कहानी थी चीनी सेना द्वारा पकड़े जाने के बाद उन्होंने भारत से जुड़ी अहम जानकारी देने से इनकार कर देते है।’ रॉ अधिकारी उनकी परफॉर्मेंस से काफी खुश हुए थे।
1975 में भेजे गए पाकिस्तान
रॉ द्वारा चयनित होने के बाद उन्हें 2 साल की कड़ी ट्रेनिंग का सामना करना पड़ा था। साल 1975, जब वह पहली बार मिशन के लिए पाकिस्तान भेजे गए थे। उनका काम था अंडरकवर रहकर पाकिस्तान से भारत को अहम जानकारी भेजना। रॉ (R&AW) ने उन्हें पाकिस्तान ‘नबी अहमद शाकिर’ के नाम से भेजा था। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती है।
इंदिरा गांधी ‘ब्लैक टाइगर’ कहकर बुलाया
काल्पनिक नाम ‘नबी अहमद शाकिर’ लेकर पाकिस्तान पहुंचने के बाद उन्होंने सबसे पहले कराची की ‘लॉ यूनिवर्सिटी’ में एडमिशन दाखिला लिया। वहां से सफलतापूर्वक ग्रेजुएट होने के बाद उन्हें पाकिस्तान की सेना में कमीशन अफसर के रूप में जॉब मिल गया। उन्हें बाद में पाकिस्तान सेना के ‘मेजर’ पोस्ट पर पदोन्नति भी मिली। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उनके काम से खुश होकर उन्हें ‘ब्लैक टाइगर’ कहकर बुलाया था।
पाकिस्तान में स्थानीय लड़की से की शादी
रविंद्र कौशिक ने पाकिस्तान में एक स्थानीय लड़की से शादी भी कर ली थी। वह एक बेटी के पिता भी बन गए थे। साल 1979 से 1983 तक उन्होंने पाकिस्तान से अहम जानकरियां भेजीं। जिसकी वजह से रॉ को भारत की डिफेंस रणनीति को मजबूत करने में काफी मदद मिली। उनकी जिंदगी काफी स्मूथ चल रही थी, लेकिन फिर आया 1983 का वह मनहूस साल जब सब कुछ बदल गया।
1983 में पाकिस्तानी सेना के हत्थे चढ़ गए
साल 1983 में जब भारतीय जासूस इनायत मसीहा बॉर्डर क्रॉस कर रही थी उस दौरान पाकिस्तानी सेना के हत्थे चढ़ गई। उन्होंने पाकिस्तानी सेना द्वारा इंटेरोगेशन में रविंद्र कौशिक का राज खोल दिया। जासूसी के आरोप में कौशिक को गिरफ्तार करके उन्हें मुल्तान की जेल में डाल दिया गया था।
पाकिस्तान में उम्रकैद की हुई थी सजा
रविंद्र को फांसी की सजा हुई थी लेकिन पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सजा कम करके उम्रकैद कर दी। साल 2001 में उनकी दिल के दौरा पड़ने से मौत हो गई। रविंद्र द्वारा लिखी गई चिट्ठी को पढ़ते हुए उनके भाई ने बताया कि भाई रविंद्र कौशिक ने लिखा, ‘क्या भारत जैसे बड़े देश के लिए कुर्बानी देने वालों को यही मिलता है? मालूम हो कि उनकी रिहाई के लिए भारत सरकार ने कुछ नहीं किया, बस उनको उनके हाल पर यूं ही छोड़ दिया था।
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