RBI Repo Rate Hike: त्योहारी सीजन की शुरूआत हो गई है वही पर दीवाली से पहले आपकी ईएमआई और महंगी हो गई है, घर या कार लेने का प्लान अगर आप बना रहे है तो आपको झटका लग सकता है जी हां आरबीआई ने रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी करते हुए रेपो रेट को 5.40 फीसदी से बढ़ाकर 5.90 फीसदी कर दिया है। जहां पर ये बड़ा एलान आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी की बैठक ( RBI Monetary Policy Meeting) के बाद गर्वनर शक्तिकांत दास ( Shaktikanta Das) ने किया है।
इन लोन पर पड़ेगा असर
आपको बताते चलें कि, इस बड़े फैसले के सामने आने के बाद अब होम लोन से लेकर कार लोन ( Car Loan) और एजुकेशन लोन ( Education) लेने वालो को ज्यादा पैसा चुकाना पड़ सकता है। बताया जा रहा है कि, जिन लोगों ने पहले से होम लोन लिया हुआ है उनकी ईएमआई और महंगी हो जाएगी। बताते चलें कि, यह फैसला आरबीआई ने मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की तीन दिनों की बैठक के बाद लिया है।
इस वर्ष की पहली तिमाही में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि उम्मीद से कम रही, फिर भी यह 13.5% थी और शायद प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक थी: RBI गवर्नर शक्तिकांत दास pic.twitter.com/s0ShKwlQAU
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 30, 2022
28 सितंबर को हुई थी बैठक शुरू
आपको बताते चलें कि, 28 सितंबर से मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक की शुरूआत हुई थी. अगस्त महीने में खुदरा महंगाई ( Consumer Price Index) दर 7 फीसदी रहा है. जिसके चलते आबीआई को महंगाई पर नकेल कसने के लिए ब्याज दरें बढ़ाने का फैसला लेना पड़ा है।
नीतिगत रेपो दर को 50 आधार अंकों से बढ़ाकर 5.9% किया गया है: RBI गवर्नर शक्तिकांत दास pic.twitter.com/ck9gOYzOF6
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इस वजह से आरबीआई ने उठाया कदम
यह इसका तीन साल का उच्चस्तर है। खुदरा महंगाई को काबू में लाने और विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों के ब्याज दर में आक्रामक वृद्धि से उत्पन्न दबाव से निपटने के लिये केंद्रीय बैंक ने यह कदम उठाया है। साथ ही केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिये आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर सात प्रतिशत कर दिया है। रेपो वह दर है जिस पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को कर्ज देता है। इसमें वृद्धि का मतलब है कि कर्ज महंगा होगा और मौजूदा ऋण की मासिक किस्त बढ़ेगी। यह चौथी बार है जब नीतिगत दर में वृद्धि की गयी है। इससे पहले, मई में 0.40 प्रतिशत वृद्धि के बाद जून और अगस्त में 0.50-0.50 प्रतिशत की वृद्धि की गयी थी। कुल मिलाकर मई से अबतक आरबीआई रेपो दर में 1.90 प्रतिशत की वृद्धि कर चुका है।
तीन दिन की बैठक
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन की बैठक में किये गये गये निर्णयों की जानकारी देते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने टेलीविजन पर प्रसारित बयान में कहा, ‘‘एमपीसी ने रेपो दर 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 5.9 प्रतिशत करने का निर्णय किया है।’’ उन्होंने कहा कि एमपीसी के छह सदस्यों में पांच ने नीतिगत दर में वृद्धि का समर्थन किया। साथ ही समिति ने मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये नरम नीतिगत रुख को वापस लेने पर ध्यान देते रहने का भी फैसला किया है। रेपो दर में वृद्धि के साथ स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 5.65 प्रतिशत जबकि सीमांत स्थायी सुविधा दर और बैंक दर 6.15 प्रतिशत हो गयी है। दास ने कहा, ‘‘हम कोविड महामारी संकट, रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों के नीतिगत दर में आक्रामक वृद्धि के कारण उत्पन्न नये ‘तूफान’ का सामना कर रहे हैं।’’ आरबीआई ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिये मुद्रास्फीति अनुमान को 6.7 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।
आरबीआई ने कही बात
दूसरी तिमाही में इसके 7.1 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 6.5 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। आरबीआई ने कहा, ‘‘वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता से मुद्रास्फीति परिदृश्य पर असर पड़ा है। हालांकि, जिंसों के दाम में नरमी है लेकिन विकसित अर्थव्यवस्थाओं में मंदी का जोखिम है।’’ बयान के अनुसार, देर से बुवाई में सुधार से खरीफ उत्पादन अच्छा रहने का अनुमान है। रबी फसल को लेकर संभावना कुछ अच्छी लग रही है…। हालांकि अत्यधिक/बेमौसम बारिश से फसल को हुए नुकसान को लेकर जोखिम बना हुआ है।’’ दास ने कहा कि अगर कच्चे तेल के दाम में मौजूदा नरमी आगे बनी रही, तो महंगाई से राहत मिलेगी। उल्लेखनीय है कि अगस्त में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति सात प्रतिशत थी, जो आरबीआई के संतोषजनक स्तर से ऊपर है। आरबीआई को मुद्रास्फीति को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर बरकरार रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है। आर्थिक वृद्धि के बारे में उन्होंने कहा कि विभिन्न पहलुओं पर गौर करने के बाद चालू वित्त वर्ष के लिये जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 प्रतिशत से घटाकर सात प्रतिशत किया गया है।हालांकि, दास ने कहा कि वैश्विक संकट के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है।
जानें कितनी हुई गिरावट
आरबीआई के अनुसार, वैश्विक तनाव, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वित्तीय स्थिति तंग होने और विदेशों से मांग धीमी पड़ने से देश के जीडीपी के परिदृश्य को लेकर जोखिम है। हालांकि, कृषि और संबद्ध गतिविधियों के परिदृश्य में सुधार तथा सेवा क्षेत्र में तेजी एवं सरकार के पूंजीगत व्यय पर जोर, विनिर्माण क्षेत्र में क्षमता उपयोग में सुधार तथा गैर-खाद्य कर्ज में तेजी से आर्थिक गतिविधियों में तेजी की उम्मीद है। रुपये के मूल्य में गिरावट के बीच दास ने कहा कि डॉलर के मुकाबले घरेलू मुद्रा में उतार-चढ़ाव व्यवस्थित है और इसमें इस साल 28 सितंबर तक केवल 7.4 प्रतिशत की गिरावट आई है। उन्होंने यह भी कहा कि आरबीआई घरेलू मुद्रा की कोई विनिमय दर तय नहीं करता। अन्य बातों के अलावा आरबीआई ने ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा देने की जरूरत को ध्यान में रखते हुए क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के लिये इंटरनेट बैंकिंग सुविधा देने को लेकर पात्रता मानदंडों को युक्तिसंगत बनाने निर्णय किया है। एमपीसी के सदस्य शशांक भिडे, प्रो. जयंत आर वर्मा, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देवव्रत पात्रा और शक्तिकांत दास ने रेपो दर में 0.5 प्रतिशत वृद्धि का समर्थन किया जबकि डॉ आशिमा गोयल ने रेपो रेट में 0.35 प्रतिशत बढ़ाने के पक्ष में वोट किया। वहीं वृद्धि दर की गति बनाये रखने के साथ महंगाई को काबू में लाने के लिये उदार रुख को वापस लेने के पक्ष में पांच सदस्यों ने वोट किये जबकि वर्मा ने इस प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया। मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक पांच से सात दिसंबर, 2022 को होगी।