हाइलाइट्स
-
रातापानी में मिला 1 बाघ का शव, 2 घायल
-
एमपी में लगातार हो रही है बाघों की मौत
-
रेलवे ट्रैक के किनारे पर नहीं है फेंसिंग
Ratapani Wildlife Sanctuary: मध्य प्रदेश में देश में सबसे ज्यादा बाघों की संख्या है. जिस कारण प्रदेश का टाइगर स्टेट का दर्जा दिया गया है. हालांकि एमपी में लगातार बाघों का मौत चिंता का विषय बन गई है. सोमवार को यहां 1 बाघ का शव और 2 बाघ घायल अवस्था में मिले. यह बाघ रातापानी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी क्षेत्र में मिले हैं. जिसे एमपी सरकार नए टाइगर रिजर्व बनाने की बात कह रही है. घटना में बुदनी के मिडघाट के पास ट्रेन से टकराकर एक टाइगर की मौत हो गई. जबकि, दो घायल टाइगर का इलाज किया जा रहा है.
वन विभाग में मचा हड़कंप
टाइगर की मौत की सूचना मिलते ही वन विभाग में हड़कंप मच गया. विभाग की टीम, डॉक्टर और रेस्क्यू, रेंजर के साथ घटना स्थल पहुंची. टीम ने आनन-फानन में टाइगर का शव लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा और घायल बाघों को इलाज शुरू किया. दोनों घायल बाघ के शावक की उम्र एक साल बताई जा रही है. यह क्षेत्र रातापानी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में आता है. इस वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के जंगली जानवर लगातार रेल हादसों का शिकार हो रहे हैं.
रेलवे लाइन के पास नहीं है फेंसिंग
रेलवे लाइन पड़ने वाले वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में जानवरों की सुरक्षा के लिहाज से केंद्र सरकार ने ट्रेन के ट्रैक किनारे फेंसिंग लगाने का फैसला किया था. लेकिन, यह काम अभी तक शुरू नहीं हुआ है. यहां पर रेलवे ट्रैक जंगल से गुजरते हैं लेकिन फेंसिंग नहीं है. जिस कारण जंगली जानवर कई बार ट्रैक पर आ जाते हैं. ऐसे में उनकी मौत हो जाती है.
लापरवाही है टाइगर्स की मौत की वजह
एमपी में बीते 6 महीने में 23 टाइगर्स की मौत हो चुकी है. इनमें से बीते 6 महीने में अकेले बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 12 टाइगर दम तोड़ चुके हैं. इसके अलावा साल 2012 से 2022 के बीच 10 सालों में एमपी में 65 बाघों की मौत हुई है. इन बाघों की मौत आपसी संघर्ष से नही बल्कि वन विभाग के स्थानीय स्टाफ की लापरवाही और शिकारियों से उनकी मिली भगत से हो रही है.
यहां बन रहा नया टाइगर रिजर्व
रातापानी एरिया में मोहन सरकार नया टाइगर रिजर्व बनाने जा रही है. सीएम मोहन यादव ने रातापानी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी को टाइगर रिजर्व बनाने के प्रस्ताव पर मंजूरी दे दी है. शासन-प्रशासन की ओर से सब तय हो चुका है. अब केवल, औपचारिकताएं ही बाकी हैं. यह भी बता दें, इसके लिए राज्य स्तरीय वन्यप्राणी बोर्ड से भी अनुमोदन मिल गया है. दूसरी ओर, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority-NTCA) ने रातापानी को टाइगर रिजर्व बनाने के लिए 13 साल पहले यानी साल 2011 में ही सैद्धांतिक सहमति दे दी थी.
यह भी पढ़ें: Nita Ambani Cutwork Blouse: शुभ आशीर्वाद में नीता अंबानी ने पहना अनोखा ब्लाउज, अपने पोते-पोतियों के लिए जताया प्यार