Ratapani Tiger Reserve inauguration expense RTI: मध्य प्रदेश के रातापानी टाइगर रिजर्व के लोकार्पण पर 13 दिसंबर 2024 को आयोजित बाइक रैली कार्यक्रम को लेकर अब विवाद गरमा गया है। आरोप है कि वन विभाग ने केवल एक घंटे की रैली पर 27 लाख रुपए खर्च किए गए। जिसमें पेट्रोल, भोजन और हेलमेट शामिल हैं। RTI एक्टिविस्ट अजय दुबे ने मामले में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और मुख्य सचिव अनुराग जैन को पत्र लिखकर कार्यक्रम में हुए खर्च की जांच और कार्रवाई की मांग की है।
जानें पूरा मामला
दरअसल, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने रायसेन के रातापानी को मध्य प्रदेश का आठवां टाइगर रिजर्व घोषित किया था, इस अवसर पर 13 दिसंबर 2024 को युवा बाइकर्स के साथ बाइक रैली का आयोजन भी किया गया। इस कार्यक्रम में सीएम शामिल हुए थे।
अब इस आयोजन के 7 महीने बाद भारी खर्च को लेकर गंभीर सवाल उठे हैं। उद्घाटन कार्यक्रम में लाखों रुपए खर्च किए गए, जिसमें पेट्रोल, भोजन और अन्य व्यवस्थाओं पर मोटी रकम खर्च हुई। आरटीआई से खुलासा हुआ है कि एक घंटे के इस आयोजन में सरकारी खजाने से 27 लाख से ज्यादा खर्च किए गए।
RTI एक्टिविस्ट ने लगाए गंभीर आरोप
आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे ने मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को लिखे गए पत्र में कहा है कि रातापानी टाइगर रिजर्व के लोकार्पण समारोह के दौरान, भोपाल डीएफओ ने 5,000 लोगों को भोजन कराने का दावा किया, लेकिन कार्यक्रम के वीडियो और तस्वीरें स्पष्ट रूप से इतनी बड़ी भीड़ नहीं दिखातीं।
उन्होंने आरोप लगाया है कि वन विभाग ने केवल एक घंटे की बाइक रैली पर लगभग 27 लाख रुपए खर्च कर दिए, इस कार्यक्रम में खर्च से पत्र भी सामने आया है। जिसमें…
- पेट्रोल पर 7 लाख से ज्यादा खर्च।
- भोजन व्यवस्था के लिए 11.50 लाख रुपए।
- हेलमेट पर 2.36 लाख रुपए खर्च किए गए।
बाइकर्स की संख्या को लेकर उठे सवाल
इस आयोजन में बाइकर्स की संख्या को लेकर भी सवाल उठे हैं। भोपाल वनमंडल अधिकारी लोकप्रिय भारती का कहना है कि इस बाइक रैली में करीब 3,500 बाइकर्स ने भाग लिया था। हालांकि, हकीकत में यह संख्या कम बताई जा रही है। 7 लाख से ज्यादा का खर्च बाइक रैली के नाम पर होना बताया गया है। वन मंडल के अधिकारियों ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक को एक बिल भेजा है, जिसमें जनकल्याण पर्व के तहत बाइक रैली के लिए पूर्वनिर्धारित बजट मंजूर करने की बात कही गई है। बिल के अनुरोध में यह भी कहा गया है कि रैली में शामिल बाइकर्स को पेट्रोल का भुगतान IFMIS ग्लोबल बजट हेड से स्वीकृत किया जाए।
बाइक में भरवाया गया था 5 लीटर पेट्रोल
भोपाल वनमंडल अधिकारी लोकप्रिय भारती ने कहा कि बाइक रैली में लगभग 3,500 बाइकर्स शामिल थे और प्रत्येक बाइक में 5 लीटर पेट्रोल डलवाया गया। इस रैली में वन समितियों के लोगों की बाइक शामिल हुई थी, उसी में पेट्रोल भरवाया गया था, इसको लेकर वन मुख्यालय से परमिशन भी ली गई थी। 5 हजार लोगों को खाना खिलाने के मामले में उन्होंने बताया कि गोल जोड़ पर भीड़ थी, जिसका फोटो और वीडियो उनके पास मौजूद है।
खर्च का हिसाब और दस्तावेज हैं…
सामने आए पत्र को लेकर भोपाल डीएफओ लोकप्रिय भारती ने बताया कि इस कार्यक्रम में अब तक लगभग 10 लाख रुपए खर्च किए जा चुके हैं, और अभी भी कुछ भुगतानों का बाकी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जो लेटर वायरल हो रहा हैं, वह केवल डिमांड लेटर हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सभी बिल और खर्च का लेखा-जोखा तैयार है, और आवश्यकता पड़ने पर खर्च से जुड़े कागज दिखाए जाएंगे।
आयोजन की वैधता पर भी सवाल
जानकारी के अनुसार, रातापानी टाइगर रिजर्व भोपाल का हिस्सा नहीं, बल्कि रायसेन और सीहोर जिले में स्थित है। ऐसे में भोपाल वनमंडल द्वारा आयोजन और भारी भरकम खर्च करना कई सवाल खड़े करता है। भोपाल, रायसेन और सीहोर के युवा “गोल-जोड़” तक बाइक रैली ले गए गए, विवादास्पद खर्च इसी के तहत कथित तौर पर किया गया।
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मामले में होगी जांच
वाइल्डलाइफ चीफ शुभरंजन सेन ने कहा है कि जैसे ही शिकायत की आधिकारिक जानकारी सामने आती है, जांच की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। वहीं, शिकायतकर्ता का दावा है कि आयोजन में पांच हजार लोगों की मौजूदगी थी। उनका यह भी कहना है कि बाइक और पेट्रोल का उपयोग जितना दर्शाया गया है, हकीकत में वह उससे काफी कम था।
मामले में जांच और कार्रवाई की मांग
आरटीआई कार्यकर्ता अजय दुबे ने मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को पत्र लिखकर कार्यक्रम में हुए खर्च को लेकर शिकायत की है। उन्होंने कहा कि जब राज्य आर्थिक संकट से गुजर रहा है, तब सिर्फ एक घंटे के आयोजन पर करोड़ों की तरह खर्च करना भ्रष्टाचार का उदाहरण है। दुबे ने आरोप लगाया कि वन विभाग के वरिष्ठ अफसरों ने आंख मूंदकर इस फिजूलखर्ची को मंजूरी दी। उन्होंने पेट्रोल जैसे ईंधन के बड़े पैमाने पर इस्तेमाल को भी पर्यावरण के खिलाफ बताया और मांग की कि भोपाल डीएफओ लोकप्रिय भारती और वाइल्डलाइफ चीफ शुभरंजन सेन को हटाकर लोकायुक्त से जांच कराई जाए।