हाइलाइट्स
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रानी दुर्गावती की पुण्यतिथि पर सिक्के को लेकर घमासान
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व्हिसल ब्लोअर और सीएम के अपर सचिव आमने सामने
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एमपी के जबलपुर से है रानी दुर्गावती का खास नाता
Rani Durgavati Coin: वीरांगना रानी दुर्गावती की 24 जून को 460वीं पुण्यतिथि थी। इसके साथ ही मध्य प्रदेश में एक नया विवाद खड़ा हो गया।
व्यापमं के व्हिसल ब्लोअर और आदिवासी वर्ग की आवाज उठाने वाले डॉ. आनंद राय अपने सोशल मीडिया पर रानी दुर्गावती के चित्र वाले सिक्के को जारी करने की मांग की।
जिसके जवाब में मुख्यमंत्री के अपर सचिव ने एफआईआर की चेतावनी तक दे दी। आइए…आपको पूरा मामला बताते हैं।
आनंद राय ने ये की थी पोस्ट
डॉ. आनंद राय ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर पोस्ट किया कि “महाराणा प्रताप जी दुर्गादास राठौड़ आदि पर ₹10 के सिक्के जारी किए गए हैं।
किंतु महारानी दुर्गावती जो उनके काफी पहले शहीद हुई है। उनका कोई स्मारक सिक्का नहीं निकला है।
समस्त जनता को यह प्रयास करना चाहिए कि उनकी स्मृति स्वरूप ₹100 का या अधिक का सिक्का जारी किया जाए। जिस सिक्के में उनकी युद्ध रत छवि अंकित हो।”
सीएम के अपर सचिव ने ये दिया जवाब
डॉ. आनंद राय की पोस्ट का जवाब सीएम के अपर सचिव लक्ष्मण सिंह मरकाम ने दिया।
उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा “पिछले साल रानी दुर्गावती जी के पाँच सौ वे जन्म शताब्दी वर्ष के शुरू होने पर, 500 रुपए का सिक्का मान प्रधान मंत्री जी ने जारी किया गया था।
इंदौर के तथाकथित समाजसेवी डॉ आनंद राय जी, 100 का भी नहीं 500 का सिक्का जारी हुआ है।
भ्रामक पोस्ट हटा कर, अपनी अनभिज्ञता अथवा मानसिक अल्पता के कारण, इस फर्जी पोस्ट को जल्दी हटा लें अथवा एक और FIR के लिए तैयार रहें।”
गोंडवाना की रानी जिसने मुगलों की नाक में किया दम
भारत के इतिहास में मुगलों को चुनौती देने वाले शासकों की सूची में महाराणा प्रताप और शिवाजी महाराज के नाम के बाद गोंडवाना की रानी दुर्गावती का भी नाम लिया जाता है।
जिन्होंने अकबर की सेना में नाक में दम कर दिया था। उन्हें आखिरी दम तक मुगल सेना को रोकर अकबर की उनके राज्य पर कब्जा करने की हसरत को कभी पूरा नहीं होने दिया।
रानी दुर्गावती का जन्म 24 जून 1524 को यूपी के बांदा जिले में कलिंजर के चंदेला राजपूत राजा कीर्तिसिंह चंदेल के घर में इकलौती संतान के रूप में हुआ था।
16 साल तक किया कुशल शासन
दुर्गावती के पति दलपत शाह का मध्य प्रदेश के गोंडवाना क्षेत्र पर अधिकार था। दुर्भाग्यवश रानी दुर्गावती से विवाह के 7 वर्ष बाद ही राजा दलपतशाह का निधन हो गया।
पति के निधन के समय समय दुर्गावती के पुत्र नारायण की उम्र मात्र 5 वर्ष की ही थी। इसलिए रानी ने स्वयं ही गढ़मंडला का शासन अपने हाथों में ले लिया।
उनके राज्य का केंद्र वर्तमान जबलपुर था। रानी ने 16 साल तक इस क्षेत्र में शासन किया और एक कुशल प्रशासक की अपनी छवि निर्मित की।
उनका निधन 24 जून 1564 को नरराई नाला, जबलपुर मध्य प्रदेश में हुआ।