नई दिल्ली। भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी amalaki ekadashi 2023 को प्रसन्न करने के लिए Rangbhari Ekadashi 2023 सबसे खास माना जाने वाला त्योहार आमलकी एकादशी इस वर्ष 3 मार्च को मनाया जाएगा। आमलकी एकादशी को बेहद खास माना जाता है। आपको बता दें वैसे तो एकादशी हर महीने में दो बार आती है लेकिन इस एकादशी को बेहद खास माना जाता है। ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं इस एकादशी पर किए जाने वाले कुछ खास उपायों के बारे में। जिन्हें करेंगे तो आपके जीवन में चारों ओर से धन बरसेगा।
रंगभरी एकादशी या आमलमी एकादशी के उपाय —
अमालकी एकादशी के दिन आंवले के पेड़ और भगवान विष्णु की पूजा करने से विशेष शुभ मिलता। साथ ही ऐसी मान्यता है। दिन घर में आवंले का वृक्ष लगाने से हर कार्य में तरक्की मिलती है। धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है।
ऐसा माना जाता है कि इस दिन 21 ताजे पीले फूलों की माला भगवान विष्णु को चढ़ाने साथ ही खोए की बनी मिठाई का भोग लगाने से बेहद लाभ होता। भगवान प्रसन्न होकर भक्तों पर आशीर्वाद बरसाते हैं। जीवन में हर कार्य में सफलता मिलती है।
आमलकी एकादशी के दिन आंवले का भोग लगाना साथ ही स्वयं भी ग्रहण करना चाहिए। ऐसा करना आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी करने वाला होता है।
धन प्राप्ति के लिए इस दिन सुबह स्नान के बाद विधि-विधान से पूजा करें। अगर मिल जाए तो इस पूजन में एकाक्षी नारियल भगवान को अर्पित करें। पूजा के बाद इसे पीले रंग के कपड़े में बांध कर अपने पास रखें।
आंवला के पेड़ से प्रार्थना करने से हर कार्य में दोगुनी तरक्की मिलती है।
आंवले के पेड़ पर जल अर्पित करके इसकी मिट्टी को माथे पर लगाने से कार्य क्षेत्र में आ रही समस्या दूर होती हैं।
पति-पत्नी के बीच तनाव को दूर करने के लिए इस दिन आंवले के वृक्ष पर सात बार सूत का धागा लपेटें। इसके बाद घी का दीपक जला कर तनाव दूर करने की प्रार्थना करें।
रंगभरी एकादशी 2023 मुहूर्त (Rangbhari Ekadashi 2023 Muhurat)
वारणसी में रंगभरी एकादशी से होली का त्योहार शुरू हो जाता है। इसे आमलकी एकादशी भी कहा जाता है। इस साल फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की रंगभरी एकादशी 02 मार्च 2023, गुरुवार को सुबह 06.39 मिनट पर शुरू हो रही है। रंगभरी एकादशी का समापन 03 मार्च 2023, सुबह 09.11 मिनट पर होगा।
पूजा मुहूर्त – सुबह 08:17 – सुबह 09:44 (3 मार्च 2023)
रंगभरी एकादशी व्रत पारण समय – सुबह 06.48 – सुबह 09.09 (4 मार्च 2023)
आमलकी या रंगभरी एकादशी व्रत पारण के नियम-
इस व्रत में अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है।
व्रत पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले कर लें।
व्रत पारण हरि वासर के वक्त नहीं करना चाहिए। आपको बता दें हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि को कहते हैं।
इस व्रत तोड़ने का सबसे अच्छा समय प्रातः काल का होता है।