आज से लगभग 60 करोड़ साल पहले राजस्थान के रामगढ़ में उल्कापिंड से बने विशालकाय गड्ढ़े यानी क्रेटर झील (Crater Lake) को पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित किए जाने की योजना पर काम शुरू हो गया है. रामगढ़ क्रेटर (Ramgarh Crater) के नाम जाने वाले इस स्थान को डेवलप करने के लिए तीन विभागों को जिम्मेदारी दी गई है.
बताया जाता है रामगढ़ क्रेटर (Ramgarh Crater) भारत का तीसरा और राजस्थान का पहला क्रेटर है. इस रामगढ़ क्रेटर के अलावा दो अन्य विशालकाय क्रेटर महाराष्ट्र में लूनर क्रेटर और मध्य प्रदेश में ढाला क्रेटर हैं.
राजस्थान के बारां जिले में स्थित है रामगढ़ क्रेटर
रामगढ़ क्रेटर (Ramgarh Crater) की खोज सबसे पहले साल 1869 में की गई थी. वैज्ञानिकों के अनुसार इस विशालकाय गड्ढ़े निर्माण आज लगभग 60 करोड़ साल पहले एक विशालतम उल्कापिंड गिरने से हुआ था. यह विशालकाय क्रेटर राजस्थान के बारां जिले में रामगढ़ में स्थित है. अधिकारियों ने बताया कि इस योजना के पूरा हो जाने के बाद राजस्थान पर्यटन विभाग को हर साल लगभग 30 हजार से 40 हजार सैलानियों के आने की उम्मीद है.
57.22 करोड़ रुपये होंगे खर्च
राजस्थान के बारां स्थित रामगढ़ क्रेटर को 57.22 करोड़ रुपये की लागत से पर्यटन स्थल के रूप में तैयार किए जाने की योजना है. इस बजट में क्रेटर झील (Crater Lake) का सौंदर्यीकरण किया जाएगा. सैलानियों की सुविधा के बुनियादी ढांचे का विकास किया जाएगा. साथ ही, क्रेटर झील के आसपास अन्य दूसरी सुविधाओं को विकसित किया जाएगा.
उपलब्ध होंगी ये सुविधाएं
अधिकारियों के अनुसार, यहां शानदार सड़क, एक सूचना केंद्र, एक नॉलेज केंद्र और एक कैफेटेरिया तैयार कर रहा है. यह जिम्मेदारी राजस्थान पर्यटन विभाग (Rajasthan Tourism Department) को दी गई है. इसके अलावा गार्डन और ग्रीन एरिया, एक घाट का निर्माण, एक प्रवेश द्वार और साइन बोर्ड, के साथ ही ड्रिप सिंचाई का काम भी प्रस्तावित है.
रामगढ़ क्रेटर रिजर्व एरिया घोषित
पर्यटन विभाग की निदेशक रश्मि शर्मा के अनुसार, वन विभाग द्वारा रामगढ़ क्षेत्र को रिजर्व एरिया घोषित किया गया है. आने वाले समय में यहां भू-विज्ञान पर्यटन (Geosciences Tourism) को बढ़ावा देने के लिए काम शुरू हो रहा है. रामगढ़ क्रेटर देश में एक पर्यटन स्थल के रूप में उभरेगा. यह स्थल भूविज्ञान, पुरातत्व और इतिहास के प्रतीक के रूप में है. इस क्षेत्र के विकास के लिए पर्यटन, वन विभाग और लोक निर्माण विभाग मिलकर काम कर रहे हैं.
1869 में खोजा गया था रामगढ़ क्रेटर
द सोसाइटी ऑफ अर्थ साइंटिस्ट्स (The Society of Earth Scientists) के महासचिव सतीश त्रिपाठी के अनुसार, बारां जिले की मांगरोल तहसील से 12 किमी दूर यह क्रेटर साल 1869 में खोजा गया था. माना जाता है कि 3.5 किलोमीटर व्यास वाले इस क्रेटर का निर्माण 60 करोड़ साल पहले अंतरिक्ष से एक उल्कापिंड के गिरने के बाद हुआ था.
भू-विरासत के 200वें क्रेटर के रूप में मिली मान्यता
रामगढ़ क्रेटर को विश्व भू-विरासत (World Geo-Heritage) के 200वें क्रेटर के रूप में मान्यता दी गई है. त्रिपाठी ने कहा कि वैज्ञानिक रूप से यहां एक उल्कापिंड गिरा था. उल्कापिंड के प्रभाव से उत्पन्न ऊर्जा रेत को पिघला देती है और कांच बन जाती है. क्रेटर में सामान्य से अधिक मात्रा में लोहा, निकल और कोबाल्ट मिला है. कई क्षुद्रग्रहों में भी ये तत्व बड़ी मात्रा में मौजूद होते हैं.
यहीं पर है 10वीं शताब्दी का मिनी खजुराहो
पर्यटन विभाग के उप-निदेशक दलीप सिंह राठौड़ के अनुसार, खजुराहो शैली का 10वीं शताब्दी का शिव मंदिर रामगढ़ क्रेटर की परिधि पर स्थित है. इसे ‘मिनी खजुराहो’ के नाम से जाना जाता है. इस संरचना में दो झीलें हैं, जिनमें प्रवासी पक्षी आते रहते हैं. लगभग 950 साल पुराने देवी मंदिर के साथ कई प्राचीन मंदिर और केलपुरी समाधि स्थल भी यहां है. यहां चीतल, हिरण और जंगली सूअर भी पाए जाते हैं. यह क्षेत्र पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होगा.
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