Rajsekhar Pairi Space Mission CG: छत्तीसगढ़ के छोटे से कस्बे पेंड्रा से निकलकर अब एक युवा अंतरिक्ष की ओर कदम बढ़ा रहा है। मूल रूप से बिलासपुर जिले के रहने वाले राजशेखर पैरी को अमेरिका की निजी एयरोस्पेस कंपनी टाइटन स्पेस इंडस्ट्रीज (Titan Space Industries – TSI) ने अपने पहले मानव अंतरिक्ष मिशन के लिए चुना है। यह न सिर्फ उनके लिए, बल्कि छत्तीसगढ़ और भारत के लिए भी गर्व की बात है।
राजशेखर की पृष्ठभूमि और शिक्षा

राजशेखर (Rajsekhar Pairi Space Mission) इस समय यूके में रहकर एयरोस्पेस और मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं और साथ ही एक स्पेस टेक्नोलॉजी कंपनी ऑर्बिटालॉकर में प्रोजेक्ट मैनेजर (इंजीनियरिंग) के रूप में कार्यरत हैं। इससे पहले उन्होंने कम्प्यूटेशनल फ्लूइड डायनेमिक्स में इंटर्नशिप भी की है। उनकी शैक्षिक योग्यता और अनुभव ने उन्हें इस मिशन के लिए एक आदर्श उम्मीदवार बनाया है।
चुनाव से पहले हुआ कठिन प्रशिक्षण
राजशेखर को इस मिशन का हिस्सा बनने से पहले कठोर ट्रेनिंग से गुजरना पड़ा। उन्होंने नकली चंद्र मिशन में हिस्सा लिया, एनालॉग स्पेस आवासों में रहकर अलग-अलग परिस्थितियों का सामना किया और अंतरिक्ष यात्रियों के लिए तय किए जाने वाले कई मापदंडों को सफलतापूर्वक पूरा किया। यह प्रशिक्षण उन्हें अंतरिक्ष मिशन के लिए पूरी तरह से तैयार करता है।
राजशेखर का सपना हुआ साकार
राजशेखर (Rajsekhar Pairi Space Mission) अपने चयन पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “यह सिर्फ मेरी व्यक्तिगत सफलता नहीं है। यह संदेश है कि भारत, यूके और दुनिया भर के युवाओं के लिए अंतरिक्ष की दुनिया अब पहले से ज्यादा करीब है। निजी स्पेस फ्लाइट कंपनियां अब वैश्विक प्रतिभाओं को भी मौके दे रही हैं।” यह उनके लिए एक सपने के सच होने जैसा है।
अब अंतरिक्ष में करेंगे महत्वपूर्ण प्रयोग
राजशेखर को अब कंपनी के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के तहत विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। मिशन के दौरान वे केवल पृथ्वी की कक्षा तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि उससे आगे के प्रयोगों और अनुसंधानों में भी सक्रिय भूमिका निभाएंगे। यह मिशन न केवल उनके लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी।
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निजी अंतरिक्ष उड़ानों की दिशा में भारत की भागीदारी
राजशेखर का यह चयन इस बात का संकेत है कि भारत के युवा अब सिर्फ सरकारी अंतरिक्ष एजेंसियों पर निर्भर नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय निजी स्पेस प्रोजेक्ट्स में भी अपनी छाप छोड़ रहे हैं। यह कहानी न सिर्फ युवाओं को प्रेरणा देती है, बल्कि यह दिखाती है कि कड़ी मेहनत, सही दिशा और समर्पण के साथ किसी भी गांव या कस्बे से उठकर कोई भी अंतरिक्ष तक पहुंच सकता है।
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